आईटीआई के तबादले रद्द करने की मांग, एक्ट में उल्लंघन हुआ

आरोप- आईटीआई में हुए तबादलों में नियमों का पालन नहीं हुआ

अविकल उत्तराखंड

देहरादून। उत्तराखण्ड राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान कर्मचारी संघ के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष एवं राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के प्रदेश प्रवक्ता आर पी जोशी ने तबादलों में तबादला एक्ट के उल्लंघन का आरोप लगाया है।

उन्होंने कहा कि कौशल विकास विभाग के प्रशिक्षण प्रखण्ड के अन्तर्गत आईटीआई में हुए स्थानान्तरण में एक्ट का सरासर उल्लंघन किया गया है।

आर पी जोशी के अनुसार विभाग द्वारा जारी स्थानान्तरण एक्ट के कई बिन्दुओं का पालन न करते हुए इस वर्ष अनुदेशकों, कार्यदेशकों एवं भण्डारी संवर्ग के स्थानान्तरण किए गए हैं

इन बिन्दुओं का तबादलों में पालन नहीं किया गया

  1. स्थानान्तरण एक्ट की धारा 23 में प्रत्येक वर्ष सामान्य स्थानान्तरण हेतु समय सारणी निर्धारित है और प्रत्येक कार्य के लिए एक निश्चित समयावधि निर्धारित है किन्तु विभाग द्वारा 22 मई 2024 को वेबसाइट पर सूची प्रकाशित करते हुए आनन फानन में दिनांक 10 जून 2024 को स्थानान्तरण आदेश भी जारी कर दिए गए, जबकि शासन द्वारा इस स्थानान्तरण सत्र को 10 जुलाई 2024 तक विस्तारित कर दिया गया है।
  2. स्थानान्तरण एक्ट की धारा 23(7) में स्पष्ट किया गया है कि कार्मिकों से प्राप्त विकल्पों/आवेदन पत्रों का विवरण वेबसाइट पर स्थानान्तरण आदेश जारी किए जाने से 20 दिन पूर्व प्रदर्शित किया जाना था, किन्तु विभाग द्वारा इसका सरासर उल्लंघन करते हुए बगैर विकल्पों को प्रदर्शित किए ही कार्मिकों के स्थानान्तरण आदेश जारी कर दिए गए, जो कि स्थानान्तरणों की पारदर्शिता पर प्रश्न चिन्ह लगाता है और स्थानान्तरण एक्ट की उपयोगिता पर प्रश्नचिन्ह खड़ा करता है ।
  3. स्थानान्तरण आदेश में यह भी देखा गया है, कि एक कार्मिक का स्थानान्तरण दुर्गम से सुगम हेतु एक ऐसें संस्थान में किया गया है जहाँ पर उस कार्मिक का पद ही उपलब्ध नहीं है जबकि स्थानान्तरण एक्ट की धारा 11(क) में स्पष्ट किया गया है, कि दुर्गम क्षेत्र से सुगम क्षेत्र में अनिवार्य स्थानान्तरण सम्बन्धित संवर्ग में सुगम क्षेत्र में उपलब्ध एवं धारा 7 के अधीन संभावित रिक्तियों की कुल संख्या की सीमा तक ही किया जाएगा, किन्तु बगैर पद के ही स्थानान्तरण किया जाना आश्चर्यजनक एवं स्थानान्तरणों में हुई घोर लापरवाही का द्योतक है ।
  4. स्थानान्तरण एक्ट की धारा 17(2)(घ) में स्पष्ट किया गया है कि सरकारी सेवकों के मान्यता प्राप्त सेवा संघों के अध्यक्ष/सचिव के स्थानान्तरण पदधारित करने की तिथि से पद पर बने रहने अथवा 02 वर्ष की अवधि, जो भी पहले हो, तक की अवधि में नहीं किए जाएंगे किन्तु यहाँ भी एक्ट का सरासर उल्लंघन करते हुए उत्तराखण्ड राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान कर्मचारी संघ जिसका कार्यकाल को लगभग ढाई वर्ष से अधिक हो गए हैं के शीर्ष पदाधिकारी को स्थानान्तरण से मुक्त रखा जाना स्थानान्तरण एक्ट के उल्लंघन को सरासर दर्शाता है ।
    वहीं दूसरी ओर इसी धारा के अन्तर्गत एक जिलाध्यक्ष का स्थानान्तरण नहीं होना था किन्तु एक्ट का उल्लंघ करते हुए उसका स्थानान्तरण कर दिया गया यह भी आश्चर्यजनक है ।
  5. यह भी संज्ञान में आया है कि स्थानान्तरण एक्ट के मध्य ही स्थानान्तरण एक्ट के अन्तर्गत स्थानान्तरण आदेश जारी होने की तिथि 10 जून 2024 से दो तीन दिन पूर्व ही विभाग में पास्परिक स्थानान्तरण आदेश भी जारी करते हुए कुछ कार्मिकों को विशेष लाभ भी प्रदान किया गया है, जो कि स्थानान्तरण एक्ट का स्पष्ट उल्लंघन है । आखिर ऐसी क्या मजबूरी हो गई थी कि स्थानान्तरण एक्ट की प्रक्रिया के गतिमान होते हुए इस तरह से अलग से स्थानान्तरण आदेश जारी किये गए ।

पूर्व अध्यक्ष जोशी ने मुख्यमंत्री, विभागीय मंत्री एवं मुख्य सचिव से यह मांग की है कि इस वर्ष हुए स्थानान्तरणों की जांच कराते हुए स्थानान्तरण एक्ट का उल्लंघन कर हुए स्थानान्तरणों को तत्काल रद्द किया जाए एवं दोषी अधिकारियों के विरुद्ध कड़ी से कड़ी कार्यवाही अमल में लाई जाए ताकि भविष्य़ में इस तरह की पुनरावृत्ति न होने पाए ।

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