ग्राफिक एरा में माइक्रोबायोलॉजी की चुनौतियों पर मंथन

अविकल उत्तराखंड

देहरादून। ग्राफिक एरा में देश भर के विशेषज्ञ सूक्ष्म जीवों से पर्यावरण में पड़ने वाले प्रभावों पर मंथन कर रहे हैं।
ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी में आज माइक्रोबायोलॉजी में विभिन्न चुनौतियों पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन शुरू हो गया। इसमें उत्तराखंड, उड़ीसा, केरल, छत्तीसगढ़, जयपुर, गोवा, पंजाब व हिमाचल प्रदेश सहित देश भर के वैज्ञानिक व शोधकर्ता भाग ले रहे हैं। आज, वैज्ञानिक व जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के डीन (फैकेल्टी आफ लाइफ साइंसेज) प्रो. मोहम्मद जाहिद अशरफ ने मुख्य अतिथि के रूप में सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि हाइपोक्सिया की स्थिति में शरीर के टिश्यू में ऑक्सीजन का स्तर कम हो जाता है। ऊंचाई पर स्थित जगहों पर रहने वाले लोगों को हाइपोक्सिया की वजह से एनीमिया, कैंसर, स्ट्रोक व इन्फेक्शन जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। उन्होंने हाइपोक्सिया पर की गई अपनी शोध प्रस्तुत करते हुए कहा कि कैल्पेन नामक प्रोटीन एचए थ्रोंबोसिस कहे जाने वाले रक्त के थक्के का समय पर पता लगाने में उपयोगी होता है। उन्होंने माइक्रो आरएनए पर विस्तार से जानकारी साझा की।

ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ. नरपिंदर सिंह ने कहा कि पेट में मौजूद सूक्ष्मजीव मस्तिष्क के स्वास्थ्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। पहले के मुकाबले अब शोध व नवाचार के जरिए डीएनए एडिटिंग से जीन को बदलना भी संभव हो गया है। उन्होंने छात्र-छात्राओं से माइक्रोबायोलॉजी के विभिन्न विषयों में शोध करने का आह्वान किया। माइक्रोबायोलॉजी सोसाइटी ऑफ़ इंडिया के प्रतिनिधि प्रो. ए. जे. नायर ने पर्यावरण, स्वास्थ्य व अन्य क्षेत्रों में सूक्ष्मजीवों की महत्वता पर प्रकाश डाला।
सम्मेलन को ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर अनीता पांडे, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के प्रोफेसर रूपेश चतुर्वेदी, वन अनुसंधान संस्थान के डॉ. शैलेश पांडे, गुरुकुल कांगड़ी, हरिद्वार के प्रोफेसर राकेश भूटिआणी व स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय, भिलाई की डॉ. शमा ए. बैग ने भी संबोधित किया। पहले दिन आज स्मारिका का विमोचन किया गया व 10 शोध पत्र प्रस्तुत किए गए।

राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन डिपार्टमेंट ऑफ़ माइक्रोबायोलॉजी व डिपार्टमेंट ऑफ़ बायोटेक्नोलॉजी ने माइक्रोबायोलॉजी सोसाइटी ऑफ़ इंडिया व टैगजीन ट्रेनिंग एंड रिसर्च इंस्टिट्यूट (टीजीटीआरआई) के सहयोग से किया। सम्मेलन में प्रो- वाइस चांसलर प्रो. संतोष एस. सर्राफ, माइक्रोबायोलॉजी विभाग की एचओडी प्रो. अंजू रानी, बायोटेक्नोलॉजी विभाग के एचओडी डॉ. रूपक नागराईक के साथ प्रो. पंकज गौतम, प्रो. प्रमिला शर्मा, प्रो. आशीष थपलियाल, डॉ. दिव्या वेणुगोपाल, टीजीटीआरआई के निदेशक डॉ. सचिन चौहान, वैज्ञानिक, शोधकर्ता, शिक्षक- शिक्षिकाएं, पीएचडी स्कॉलर्स व छात्र- छात्राएं मौजूद रहे।

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