जामुन की गुठली ने सांसत में डाली जान
अविकल उत्तराखंड
देहरादून। गुणों से भरपूर माने जाने वाले जामुन ने टिहरी के शूरवीर की जान आठ महीने सांसत में रखी। कई बड़े अस्पतालों के हाथ खड़े कर देने के बाद ग्राफिक एरा के विशेषज्ञों ने शूरवीर की सांस की नली में फंसी यह गुठली निकाल कर उन्हें इस मुसीबत से बाहर निकाला। इस जरा सी गुठली की वजह से उनके फेफड़ों में भी संक्रमण फैल गया था।
जामुन की गुठली निगलने की वजह से टिहरी के 54 वर्षीय शूरवीर आठ महीनों से बहुत तकलीफ में थे। उन्हें खांसी, बुखार के साथ ही सांस लेने में दिक्कत हो रही थी। उनका बायां फेफड़ा सड़ने लगा था। कई अस्पतालों से निराशा हाथ लगने के बाद उन्हें ग्राफिक एरा अस्पताल लाया गया। अस्पताल के मेडिकल डायरेक्टर डा. पुनीत त्यागी ने परामर्श देकर उन्हें ब्रोंकोस्कोपी से उपचार करने की सलाह दी।
ग्राफिक एरा अस्पताल के विशेषज्ञों की टीम ने ब्रोंकोस्कोपी की मदद से सांस की नली में फंसी जामुन की गुठली निकालने में सफलता हासिल की। यह उपचार रेस्पिरेटरी मेडिसन विभाग के एचओडी डा. अभिषेक गोयल व डा. अविशम के निर्देशन में किया गया। उपचार के बाद अब मरीज खुलकर सांस ले पा रहा है और उसके स्वास्थ में तेजी से सुधार हो रहा है।
ग्राफिक एरा अस्पताल ने बड़ोवाला में दी सेवाएं
देहरादून। ग्राफिक एरा अस्पताल ने बड़ोवाला में स्वास्थ्य शिविर लगाकर विशेषज्ञों की सेवाएं उपलब्ध कराई। इस शिविर में 170 से ज्यादा मरीजों का परीक्षण करके दवाइयां दी गई।
शिविर का आयोजन ग्रोइंग किड्स प्ले स्कूल, बड़ोवाला में किया गया। ग्राफिक एरा अस्पताल के जनरल मेडिसिन विशेषज्ञ डॉ. गौरव, ईएनटी विशेषज्ञ डॉ. परवेन्द्र सिंह व बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. सागर बिष्ट ने मरीजों का परीक्षण किया और उपचार के लिए उन्हें निशुल्क दवाइयां दी।
स्वास्थ्य शिविर में 92 मरीजों का पंजीकरण किया गया। शिविर में जनरल मेडिसिन, नेत्र जांच, बाल रोग परामर्श के साथ बीपी व शुगर जांच की सुविधा उपलब्ध कराई गई। जांच के बाद 15 मरीजों को उपचार के लिए चुना गया। आयुष्मान योजना के तहत ग्राफिक एरा अस्पताल में इन मरीजों का कैशलेस उपचार किया जाएगा।
हाइड्रोजन सुरक्षा को पाठ्यक्रम में लाना जरूरी
देहरादून। ग्राफिक एरा में विशेषज्ञों ने कहा कि हाइड्रोजन सुरक्षा को पाठ्यक्रम में शामिल करना जरूरी है।
ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी में सुरक्षित हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था विषय पर सेमिनार का आयोजन किया गया। सेमिनार में वैज्ञानिक व आईआईटी दिल्ली की प्रक्रिया सुरक्षा व जोखिम प्रबन्धन सलाहकार डा. चित्रा राजगोपाल ने मुख्य अतिथि के रूप में सम्बोधित करते हुए कहा कि हाइड्रोजन उत्पादन में डिजाइन स्टेज में ही सुरक्षा योजना को बनाना आवश्यक है। हाइड्रोजन सुरक्षा में बिग डेटा, डेटा एनलिसिस जैसे अन्य टूल्स का इस्तेमाल किया जा सकता है।
डा. राजगोपाल ने कहा कि हाइड्रोजन सुरक्षा को पाठ्यक्रम में जोड़ना जरूरी है ताकि इस विषय को नई पीढ़ी अच्छे से समझ सके। इसके लिये विशेषज्ञों को सभी को प्रशिक्षण देना होगा। डा. राजगोपाल ने केस स्टडीज के माध्यम से हाइड्रोजन उत्पादन, जोखिम प्रबन्धन और उसके परिवहन से जुड़ी समस्याओं और उनके समाधानों पर प्रकाश डाला। इसके साथ ही उन्होंने डेटा एनालिटिक्स, इलैक्ट्रानिक्स डिटेक्टर्स, लाइफ साईकिल एनालिसिस, सेफ्टी एनालिसिस, ग्रीन एनर्जी, बायोमास फोर हाइड्रोजन जैसे क्षेत्रों में शोध करने का आह्वान किया। सेमिनार का आयोजन ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी ने अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद के सहयोग से किया।
कार्यक्रम में कुलपति डा. नरपिन्दर सिंह, प्रो-वाईस चांसलर डा. संतोष एस. सरार्फ, डीन इंण्टरनेशनल कोलाबोरेशन डा. मांगेराम, डायरेक्टर सेण्टर ऑफ एनर्जी डा. बी. एस. नेगी, डा. राजेश पी. वर्मा व विभिन्न विभागों के एचओडी, शिक्षक-शिक्षिकाएं, पीएचडी स्काॅलर्स और छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।
Total Hits/users- 30,52,000
TOTAL PAGEVIEWS- 79,15,245