कानून पेशा नहीं जिम्मेदरी है- जस्टिस कुमार
अविकल उत्तराखंड
देहरादून। कानून के छात्र-छात्राओं को अदालतों की प्रक्रिया समझाने और उनकी प्रतिभा को परखने के लिए ग्राफिक एरा में राष्ट्रीय स्तर की मूट कोर्ट प्रतियोगिता शुरू हो गई। इसमें देश भर के 45 विश्वविद्यालयों व कॉलेजों के छात्र- छात्राओं के बीच रोचक मुकाबले होंगे।
ग्राफिक एरा हिल यूनिवर्सिटी में अयोजित मूट कोर्ट प्रतियोगिता के उद्घाटन सत्र को सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश और राष्ट्रीय हरित अधिकरण के पूर्व अध्यक्ष जस्टिस स्वतंत्र कुमार ने मुख्य अतिथि के रूप में सम्बोधित करते हुए कहा कि कानून केवल पेशा नहीं है। यह जिम्मेदारी है जो सुनिश्चित करती है कि लोगों को न्याय मिल सके।
श्री कुमार ने छात्र छात्राओं से कहा कि एक अच्छा वकील बनने के लिए व्यवहारिक ज्ञान का होना बहुत ज़रूरी है ताकि कानूनी समझ और तर्क वितर्क करने के कौशल को बढ़ाया जा सके। केंद्र सरकार की विधि एवं न्याय मंत्रालय के पूर्व सचिव पी. के. मल्होत्रा ने कहा कि मूट कोर्ट जैसी प्रतियोगिताओं से छात्र-छात्राओं को न्यायिक प्रक्रिया की वास्तविक झलक मिलती है। ऐसी प्रतियोगिताओं के जरिए छात्र- छात्राओं में विश्वास के साथ अपने पक्ष को रखने की हिम्मत भी बढ़ती है।
श्री गुरु गोबिंद सिंह त्रिशताब्दी यूनिवर्सिटी, हरियाणा के प्रो.राजीव खन्ना ने छात्र- छात्राओं को विधि क्षेत्र में गहराई से जुड़ने की प्रेरणा दी। उन्होंने कहा आने वाले समय में आप उन लोगों में होंगे जिनके पास लोगों के हित में कार्य करें की ताकत होगी। इस क्षेत्र में खुद में धैर्य और लोगों के प्रति दयालुता का होना जरूरी है। प्रतियोगिता के पहले दिन आज, ऑक्टा और क्वार्टर राउंड अयोजित किये गए। जिनमें विभिन्न विश्वविद्यालयों के प्रतिभागियों ने आपराधिक कानून के परिप्रेक्ष्य में अपनी युक्तियां प्रस्तुत की। कल मूट कोर्ट का फाइनल होगा। कार्यक्रम का आयोजन स्कूल ऑफ लॉ ने किया। कार्यक्रम में एचओडी डॉ. विवेक गोयल के साथ ही संयोजक स्तुति भंडारी, आदित्य, देव प्रिया तरार और छात्र- छात्राएं मौजूद रहे।
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