पीपीएस एसोसिएशन ने केंद्रीय पुलिस बल/ पैरामिलिट्री के डेपुटेशन प्रस्ताव पर जताई आपत्ति

पीपीएस एसोसिएशन ने डीजीपी को सौंपे ज्ञापन में दी कई दलील

अविकल उत्तराखंड

देहरादून। प्रांतीय पुलिस सेवा पीपीएस एसोसिएशन ने उत्तराखण्ड पुलिस सेवा में केंद्रीय पुलिस बल/ पैरामिलिट्री के डेपुटेशन को लेकर आपत्ति प्रकट करते हुए डीजीपी को एक ज्ञापन सौंपा। उत्तराखण्ड पुलिस सेवा में लॉस नायक से कमांडेट स्तर तक डेपुटेशन पर नियुक्ति के प्रस्ताव को राज्य हित एवं लोक हित में ठीक नहीं होने के बारे में बताया।

ज्ञापन में कहा गया है कि उत्तराखंड एक शांत प्रदेश है। यहां केंद्रीय पुलिस बल/पैरामिलिट्री के अधिकारियों की कार्य विशेषज्ञता की आवश्यकता नहीं है। राज्य सेवा के पर्याप्त अधिकारी है, जो राज्य की भौगोलिक, सामाजिक पृष्ठभूमि व संस्कृति का अच्छा ज्ञान रखते हैं। अर्द्धसैनिक बलों को विनिदिर्ष्ट कर्तव्य उनके संचालन व कार्यप्रणाली के हिसाब से विशेष व खास होते है व वह सिविल पुलिस के कर्तव्यों का निर्वहन नहीं करते हैं, केवल विशेष परिस्थितियों में राज्य सरकारों की मदद और सहायता करते हैं।

अर्द्धसैनिक बलों के अधिकारियों की तैनाती मूलतः अशांत उपद्रवग्रस्त क्षेत्रों में की जाती है तथा उनका उदेश्य उस डिस्टर्व क्षेत्र में शांति व्यवस्था कायम करना होता है जबकि उत्तराखंड एक शांत प्रदेश है। यहां पर धार्मिक पर्यटन, कुंभ मेला मेला त्यौहार व आपदा ड्यूटी के प्रमुख बिंदु होते है। यहाँ कोई नक्सलवाद या कोई अन्य संघर्ष का केंद्र बिंदु भी नहीं है। ऐसे में इन अधिकारियों की नियुक्ति डेपुटेशन पर यहां किए जाने पर आम जनता पर भी राज्य कार्य की प्रतिकूल छवि बन जाने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।

पैरामिलिट्री/ केंद्रीय पुलिस बल की कार्यप्रणाली पॉलिसी ओरिएटेड होती है ना कि पब्लिक ओरिएंटेड। उत्तराखंड जैसे विशिष्ट भौगोलिक सामाजिक और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि ने राज्य के लिए लोक पुलिस कार्यप्रणाली ही उपयुक्त माना गया है उत्तराखंड पीपीएस कॉडर बहुत छोटा काडर है तथा पोस्टिंग के अवसर भी सीमित मात्रा में है। केवल पीपीएस अधिकारियों का एक छोटा हिस्सा ही फील्ड पोस्टिंग में रहते है, शेष Non DF में पोस्टेड रहते हैं। यदि Non DF के पदो कोटेशन से भरा जाएगा तो स्टेट काडर को को पोस्टिंग नहीं मिल पाएगी। इससे वर्षों से लगनपूर्वक अपना कर्तव्य करते आ रहे राज्य पुलिस सेवा अधिकारियों के मनोबल पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा ।

वर्तमान में स्टेट काडर के अधिकारी पर्याप्त मात्रा में राज्य सरकार के पास उपलब्ध है। इसलिए डेपुटेशन से लाया जाना ठीक नहीं है। इससे शासन पर अनावश्यक वित्तीय भार भी पड़ेगा जो कि राज्य की अर्थव्यवस्था के लिए ठीक नहीं है। सेवा नियमावली में किसी भी पद पर नियुक्ति के लिए दो तरीके दिए गए है सीधी भर्ती व निश्चित वर्षों का सेवा अनुभव, इसमें किसी अन्य विभाग से डेपुटेशन का कोई प्रावधान नहीं है ।

इस दौरान प्रांतीय पुलिस सेवा पीपीएस एसोसिएशन, उत्तराखण्ड के सुरजीत पंवार अपर पुलिस अधीक्षक(अध्यक्ष), प्रमोद कुमार अपर पुलिस अधीक्षक, श्रीमती शाहजहां जावेद खान अपर पुलिस अधीक्षक, प्रकाश चंद्र अपर पुलिस अधीक्षक,  चंद्र मोहन अपर पुलिस अधीक्षक एसटीएफ, चक्रधर अंथवाल अपर पुलिस अधीक्षक(महासचिव),  विवेक कुमार पुलिस उपाधीक्षक, आशीष भारद्वाज पुलिस उपाधीक्षक, शांतनु पराशर पुलिस उपाधीक्षक, श्रीमती पूर्णिमा गर्ग पुलिस उपाधीक्षक, सुश्री रीना राठौर पुलिस उपाधीक्षक एवम अन्य अधिकारीगण मौजूद रहे।

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