नशे के विरोध में राज्यव्यापी आंदोलन चलाने की तैयारी

11 अगस्त को देहरादून में जन जागरण मार्च के साथ होगी आंदोलन की शुरुआत

अविकल उत्तराखंड 

देहरादून। राज्य में नशे शराब के साथ ही साथ तेज़ी से ड्रग्स के बढ़ते जा रहे चलन से , लोगों के घर परिवारों में बिगड़ते माहौल और युवा पीढ़ी और बच्चों के भविष्य को लेकर चिंतित विचारशील एवं संघर्ष शील महिलाओं की पहल पर, महिलाओं के व अन्य अन्य जनसंगठनों ने एक जुट होकर , प्रदेश स्तर पर नशे के खिलाफ व्यापक जन जागरण का अभियान चलाने का फैसला किया है।

‘नशा विरोधी जन अभियान’ के बैनर तले इस अभियान की शुरुआत 11 अगस्त को देहरादून से की जा रही है। इस दिन सुबह 7 बजे एफआरआई गेट से पहला जन जागरण मार्च निकाला जाएगा। बाद में इस तरह के मार्च पूरे देहरादून और राज्य केअन्य हिस्सों में आयोजित किये जाएंगे। जिसके बाद बाद प्रदेश की युवा पीढ़ी को नशे के प्रकोप से बचाने के लिये सर्व सम्मति से प्रभावी जरूरी कदम उठाए जाएंगे I यह सब नशा विरोधी जन अभियान के बैनर तले होगा।

नशा विरोधी जन अभियान के लिए हर ज़िले व प्रदेश मे एक संयोजक मंडल बनाया जाएगा I इसके लिए अभी गठित अभियान टीम द्वारा राज्य आंदोलनकारी और प्राथमिक शिक्षक संघ की पूर्व अध्यक्ष ऊषा भट्ट और स्वतंत्र पत्रकार व एक्टिविस्ट त्रिलोचन भट्ट को यह जिम्मेदारी दी गई है, जो सभी सक्रिय व्यक्तियों व संघठनो की सम्मति से यह गठित करेंगे I

अभियान को लेकर उक्त दोनों की ओर से जारी एक संयुक्त बयान में कहा गया है कि उत्तराखंड में पहले शराब का ही प्रचलन था, लेकिन अब तरह-तरह के नशे और ड्रग्स देहरादून से लेकर राज्य के सुदूर पर्वतीय गांवों तक पहुंच गये हैं। इससे युवा पीढ़ी बर्बाद हो रही है और कई परिवार तबाह हो चुके हैं। पुलिस विभाग कभी-कभी नशे के खिलाफ अभियान चलाता है, लेकिन इस मामले में जिस संवेदनशीलता का जरूरत है, उसका अभाव सरकारी अभियानों में साफ नजर आता है।

बयान में कहा गया है कि सरकार की अपनी सीमाएं होती हैं। ऐसे में केवल सरकार को दोष देना ठीक नहीं है। आम लोगों को भी इसमें भागीदारी निभानी होगी। नशा विरोधी अभियान के तहत नशे के खिलाफ आम नागरिकों की भागीदारी के लिए उन्हें जागरूक किया जाएगा और सरकार से सतत संबाद भी बनाया जाएगा। करीब एक दर्जन संगठनों ने इस अभियान में शामिल होने की स्वीकृति दे दी है। आने वाले दिनों में इस मामले में सहमति रखने वाले राज्य के अन्य संगठनों और व्यक्तियों को भी आंदोलन में शामिल करने का प्रयास किया जाएगा।

बयान में कहा गया है कि नशे के बढ़ते चलन से सबसे ज्यादा प्रभावित महिलाएं होती हैं। ऐसे में इस अभियान से ज्यादा से ज्यादा महिलाओं को जोड़ने के प्रयास किये जा रहे हैं। यह संतोषजनक है कि देहरादून की विचारवान महिलाओं ने बड़ी संख्या में इस आंदोलन में शामिल होने की बात कही है। बयान में अपील की गई है कि जो लोग नशे के खिलाफ इस मुहिम में शामिल होना चाहते हैं, वे ज्यादा से ज्यादा संख्या में 11 अगस्त और उसके बाद कुछ-कुछ दिनों के अंतराल में देहरादून और राज्य के अन्य हिस्सों में आयोजित किये जाने वाले मार्च में शामिल हों, ताकि अभियान को मजबूती प्रदान करने की दिशा में प्रभावी रणनीति बनाई जा सके।

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