जांच रिपोर्ट की समीक्षा करें डीएम- बॉबी पंवार
शंभू पासवान को टिकट दे कर प्रदेश के मूल अनुसूचित जातियों के अधिकारों का उल्लंघन
अविकल उत्तराखंड
देहरादून। उत्तराखंड स्वाभिमान मोर्चा के अध्यक्ष बॉबी पंवार ने ऋषिकेश मेयर शंभू पासवान के जाति प्रमाण पत्र को लेकर चल रहे विवाद पर पबड़ा बयान दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा ने भारत सरकार, माननीय उच्च न्यायालय एवं सर्वोच्च न्यायालय के स्पष्ट दिशा-निर्देशों की अनदेखी कर बिहार मूल के व्यक्ति शंभू पासवान को मेयर पद का टिकट दिया, जो कि उत्तराखंड की मूल अनुसूचित जातियों के अधिकारों का सीधा उल्लंघन है।
बॉबी पंवार ने बताया कि शिकायतकर्ता दिनेश चंद्र मास्टर द्वारा दायर याचिका के आधार पर मा. न्यायालय के आदेश से जिलाधिकारी देहरादून की अध्यक्षता में एक जांच समिति गठित की गई।
उत्तराखंड स्वाभिमान मोर्चा के प्रदेश प्रवक्ता सुरेश सिंह ने समिति के समक्ष भारत सरकार, उच्चतम न्यायालय और विभिन्न उच्च न्यायालयों के आदेशों समेत कई दस्तावेज प्रस्तुत किए।
बावजूद इसके, समिति ने एकतरफा रिपोर्ट तैयार कर शंभू पासवान के पक्ष में निष्कर्ष दे दिया।
इस रिपोर्ट को अभी जिलाधिकारी देहरादून द्वारा स्वीकार किया जाना शेष है और अंतिम रिपोर्ट न्यायालय में प्रस्तुत की जानी है।
“निवास” और मूल राज्य की व्याख्या – केंद्र सरकार के आदेशों का हवाला
बॉबी पंवार ने भारत सरकार के गृह मंत्रालय द्वारा 1977 में जारी आदेश, और 1985 व 2018 के अन्य दिशा-निर्देशों का हवाला देते हुए बताया कि अनुसूचित जाति/जनजाति का दर्जा केवल उसी राज्य में मान्य होता है जहाँ व्यक्ति का या उसके माता-पिता का स्थायी निवास 1950 की अधिसूचना की तिथि पर था। महज किसी राज्य में लंबे समय से निवास, जन्म, शिक्षा या रोजगार भी उस राज्य में अनुसूचित जाति का दर्जा प्राप्त करने के लिए पर्याप्त नहीं है।
उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय के फैसलों – मर्री चंद्रशेखर राव बनाम डीन ऑफ लॉ फैकल्टी, संतलाल बनाम महाराष्ट्र राज्य, और रंजना कुमारी बनाम उत्तराखंड राज्य – का हवाला देते हुए स्पष्ट किया कि किसी अन्य राज्य की अनुसूचित जाति को प्रवासी राज्य में अनुसूचित जाति का दर्जा नहीं दिया जा सकता, भले ही प्रवासी परिवार कई वर्षों से उस राज्य में रह रहा हो।
बॉबी पंवार ने जिलाधिकारी से मांग की कि वे एकपक्षीय रिपोर्ट को अस्वीकार कर समस्त दस्तावेजों का संज्ञान लें, जांच रिपोर्ट की समीक्षा करें और मा. न्यायालय में निष्पक्ष रिपोर्ट प्रस्तुत कर शंभू पासवान का निर्वाचन रद्द कर पुनः चुनाव की संस्तुति करें।
उन्होंने कांग्रेस के अनुसूचित जाति/जनजाति से जुड़े नेताओं – प्रीतम सिंह और यशपाल आर्य – की चुप्पी पर भी सवाल उठाए। पंवार ने आरोप लगाया कि ये नेता अनुसूचित जातियों के मूल अधिकारों के मुद्दे पर विधानसभा सत्र में भी चुप रहे, जबकि उन्हें खुलकर विरोध दर्ज कराना चाहिए था।
इस मौके पर मोर्चा के सैनिक प्रकोष्ठ के प्रदेश महासचिव राजेन्द्र भट्ट, दीप्ति बिष्ट, राम कंडवाल, सुरेश सिंह, प्रमोद काला सहित कई कार्यकर्ता उपस्थित रहे।
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