रामपुर तिराहा कांड-  पीएसी के दो पुलिस कर्मियों  को आजीवन कारावास 

कोर्ट ने  एक लाख  रु. का जुर्माना भी लगाया

कोर्ट के फैसले से राहत मिली-धामी 

अविकल उत्तराखंड 

मुजफ्फरनगर। अपर सत्र न्यायाधीश, मुजफ्फरनगर (उत्तर प्रदेश) की अदालत ने सोमवार को रामपुर तिराहा मुजफ्फरनगर (उत्तर प्रदेश) मामले  से संबंधित एक केस  में पी.ए.सी. के तत्कालीन पुलिसकर्मी मिलाप सिंह एवं   वीरेंद्र प्रताप को आजीवन कारावास के साथ 1,00,000/- रु. के जुर्माने की  सजा सुनाई। उन्हें अदालत ने 15 मार्च को भारतीय दण्ड संहिता  की धारा 376 (2) (जी), 392, 354 एवं  509 के तहत दोषी ठहराया और सजा पर सुनवाई के लिए 18 मार्च की तिथि  तय की गई थी।  अदालत  ने यह भी आदेश दिया कि जुर्माने की पूरी राशि पीड़िता को दी जाएगी। दोनों दोषी पुलिसकर्मी रिटायर हो चुके है।  गौरतलब है कि उत्तराखंड संघर्ष समिति ने 2 अक्टूबर 1994  को लाल किला, दिल्ली में एक रैली का आयोजन किया था ।

रैली में भाग लेने के लिए पहाड़ी क्षेत्रों से लोग बसों में दिल्ली आ रहे थे। उत्तर प्रदेश सरकार ने रैली में हिस्सा लेने वालों को रोकने के लिए  जगह-जगह पुलिस बल तैनात कर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे। जब रैली करने वाले लोग,  दिनाँक 01-02.10.1994 की रात्रि में रामपुर तिराहा, मुजफ्फरनगर के पास पहुंचे तो पुलिस ने उन्हें रोक लिया और हिरासत में ले लिया। कुल 345 रैलीकर्ताओं को हिरासत में लिया गया, जिसमें  से 47 महिलाएं थीं। हिरासत में ली गई महिला रैलीकर्ताओं के साथ  बलात्कार व  छेड़छाड़ के मामले सामने आए थे।

 इलाहाबाद उच्च न्यायालय के समक्ष उत्तराखंड संघर्ष समिति द्वारा समादेश  याचिका संख्या 32928 वर्ष 1994, दायर की गई थी। इलाहाबाद उच्च न्यायालय के दिनांक 07.10.1994 के आदेश के अनुपालन में, सीबीआई ने प्रारंभिक जांच (पीई) की। सीबीआई द्वारा प्रस्तुत प्रारंभिक जांच रिपोर्ट के आधार पर,  उच्च न्यायालय ने सीबीआई को प्राथमिकी  दर्ज करने का निर्देश दिया। तदनुसार, सीबीआई ने दिनाँक 25.01.1995 को विभिन्न आरोपों पर मामला दर्ज किया कि रैली में हिस्सा  लेने वालों को ले जा रही एक बस को मुजफ्फरनगर के रामपुर तिराहा पर रोका गया एवं  बस के शीशे, हेड लाइट और खिड़की के शीशे तोड़ दिए गए तथा तैनात पुलिस कर्मियों ने रैली में शामिल लोगों के साथ दुर्व्यवहार किया। यह भी आरोप है  कि दोनों पुलिसकर्मी पी.ए.सी. के थे, जिन्होंने बस में घुसकर पीड़िता के साथ छेड़छाड़ और बलात्कार सहित अपराध किए थे।

जांच पूरी होने के बाद, सीबीआई ने दिनाँक 21.03.1996 को आरोप पत्र दायर किया। विचारण  के दौरान 15 गवाहों से पूछताछ की गई। विचारण अदालत  ने दोनों आरोपियों को कसूरवार  पाया और उन्हें तदनुसार सजा सुनाई।

कोर्ट के फैसले से राहत मिली- धामी 

राज्य आंदोलन के दौरान हुए चर्चित रामपुर तिराहा कांड में पीएससी के दो सिपाहियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाए जाने पर मुख्यमंत्री  पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि लंबे समय से न्याय का इंतजार कर रहे पीड़ितों एवं उनके परिवारजनों को अदालत के निर्णय से बड़ी राहत मिली है। 

मुख्यमंत्री ने कहा कि मुजफ्फरनगर के रामपुर तिराहे पर 2 अक्टूबर 1994 को आंदोलन के दौरान हमारे नौजवानों, माताओं-बहनों के साथ क्रूरतापूर्ण बर्ताव किया गया,जिसमें कई आन्दोलनकरियों की शहादत हुई। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना थी। उन्होंने कहा कि आंदोलनकारियों की आशाओं और आकांक्षाओं को पूरा करना सरकार की प्राथमिकता और कर्तव्य है।

गौरतलब है कि रामपुर तिराहा कांड में अदालत ने दोनों आरोपियों पीएससी के जवानों को आजीवन कारावास की सजा सुनाने के साथ ही उन पर 50-50 हजार का जुर्माना भी लगाया है।

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