अविकल उत्तराखंड
कोटद्वार। संस्कृत भारती का सात दिवसीय प्रान्त स्तरीय प्रबोधन वर्ग आज से हेमनदास सरस्वती विद्या मंदिर जानकीनगर में आज से शुरू हो गया है । प्रबोधन वर्ग में 60 छात्र व 20 शिक्षक प्रतिभाग कर रहें है । सम्मेलन का उदघाटन मुख्य अतिथि विधानसभा अध्यक्ष ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। अपने सम्बोधन में श्रीमती खंडूरी ने कहा कि संस्कृत भाषा सभी भाषाओं की जननी है, उत्तराखंड में संस्कृत को द्वितीय भाषा का दर्जा भी दिया गया है।
संस्कृत के प्रचार प्रसार हेतु इस प्रकार के वर्ग लगने जरुरी है । मुख्य वक्ता डॉ प्रेम चंद्र शास्त्री ने कहा कि जीवन व्यवहार व आदर्श लोकाचार की शिक्षा संस्कृत भाषा में बहुत सहज़ एवं सुंदर रूप में दी गई है । संस्कृत व्याकरण की दृष्टि से आंतरिक सुसंगति वाली भाषा है जो विचारों के आदान प्रदान के लिए बहुत सरल व मधुर है।
डॉ शास्त्री ने कहा कि संस्कृत भाषा सनातन सांस्कृतिक मूल्यों की संवाहक है वेद पुराण सहित दर्शन, तत्व मीमांसा, खगोल शास्त्र, भूगोल, शरीर रचना विज्ञान, आनुवंशिकी, वास्तुकला जीव विज्ञान, गणित, मनोविज्ञान, शल्य क्रिया, आयुर्वेद आदि के ज्ञान का संस्कृत में अथाह भंडार है । कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विष्णु अग्रवाल ने कहा कि संस्कृत के प्रचार प्रसार हेतु वर्ग व कार्यशालाएं लगनी बहुत जरुरी है तभी इस भाषा को खोने से बचाया जा सकता है ।
सम्मेलन में वर्गाधिकारी सूबेदार मेजर गंभीर सिंह बिष्ट बिष्णु अग्रवाल डॉ प्रेमचंद शास्त्री विभाग संयोजक श्री पंकज ध्यानी प्रांत मंत्री गिरीश तिवारी प्रांत संघटन मंत्री गौरव शर्मा प्रांत शिक्षण प्रमुख डा०नवीन जशोला जनपद शिक्षण प्रमुख कुलदीप मैंदोला सतीश देवरानी राजगौरव नौटियाल,प्रशांत कुकरेती एस०एस०रावत जी,इतेन्द्र नैथानी,मनोज कुकरेती , रमाकांत कुकरेती मौजूद थे। कार्यक्रम का संचालन जनपद संयोजक रोशन बलूनी व पंकज ध्यानी ने संयुक्त रूप से किया।
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