चर्चित उत्तराखण्ड आयुर्वेद विवि के छात्रों ने खोला मोर्चा

बोले छात्र, तीन शिक्षक पढ़ाते नहीं बैठकी लगाते हैं हमने मोटी फीस दी है

कुलसचिव को पत्र भेज अपना दुखड़ा सुनाया

अविकल उत्तराखण्ड

हरिद्वार/देहरादून। अक्सर विवादों में घिरे रहने वाले उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय में एक और नया बखेड़ा शुरू हो गया है।

इस बार छात्रों ने मोर्चा खोलते हुए पठन पाठन से दूर रहने वाले तीन शिक्षकों की कुलसचिव से शिकायत कर दी।
और कहा कि हरिद्वार स्थित ऋषिकुल परिसर के कायचिकित्सा विभाग के तीन शिक्षक पढ़ाते नहीं है। और इधर उधर समय काटते हैं। बैठकी लगाते हैं।

पत्र में लिखा है कि हम लोग अखिल भारतीय प्रवेश परीक्षा में चयनित होकर यहाँ पढ़ने आये हैं । और इस पाठ्यक्रम में के लिये मोटी फीस भी दी हैं।

छात्रों की शिकायत पर नव नियुक्त कुलसचिव रामजी शरण शर्मा ने ऋषिकुल परिसर निदेशक को जांच कर तीन दिन के अंदर रिपोर्ट देने को कहा है।

छात्रों ने कायचिकित्सा विभाग के प्रो. ओपी सिंह, डॉ. संजय कुमार त्रिपाठी एवं डॉ. श्वेता ज्ञानेन्द्र शुक्ला की शिकायत करते हुए कहा है कि ये शिक्षक अपना शिक्षण कार्य नहीं करते है और न ही ओपीडी में बैठते है। मरीज भी नहीं देखते।

देखें कुलसचिव का पत्र

दिनांक : १५ अगस्त, 2024

सेवा में,

परिसर निदेशक, ऋषिकुल परिसर, हरिद्वार, उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय।

विषयः परिसर में कार्यरत कतिपय संकाय सदस्यों द्वारा शिक्षण कार्य न किये जाने विषयक।

महोदय,

उपरोक्त विषयक अवगत कराना है कि ऋषिकुल परिसर के छात्रों द्वारा परिसर के कायचिकित्सा विभाग में कार्यरत तीन संकाय सदस्यों के विरूद्ध इस आशय की शिकायत की गयी है कि संकाय संदस्य पढ़ाते नहीं है और न ही ओ०पी०डी० देखते है। छात्रो द्वारा विशेषत् प्रो० ओ०पी० सिंह, डॉ० संजय कुमार त्रिपाठी एवं डॉ० श्वेता ज्ञानेन्द्र शुक्ला के सम्बन्ध में शिकायत की गयी है, कि वे न ही कक्षाओं में पढ़ाते है और नहीं ओ०पी०डी० में बैठते है, जिसके कारण उनका शिक्षण कार्य एवं चिकित्सा शिक्षण कार्य पूर्ण नहीं हो पाता है।

साथ ही अधोहस्ताक्षरी के संज्ञान में यह भी आया है कि परिसर में कार्यरत कतिपय शिक्षक अपना शिक्षण कार्य नहीं करते है और न ही ओ०पी०डी० में बैठते है।

उक्त के सम्बन्ध में छात्रों द्वारा इस बाबत आपसे भी शिकायत की गयी होगी? आपके द्वारा इस सम्बन्ध में क्या कार्यवाही की गयी है के सम्बन्ध में अवगत कराते हुए, सम्बन्धित शिकायत आपको इस आशय से संलग्न कर प्रेषित की जा रही है कि उक्त के सम्बन्ध में अपनी आख्या 03 दिवस के भीतर अधोहस्ताक्षरी को प्रस्तुत करना सुनिश्चित करें।

संलग्नकः यथोपरि।

Prof. OP Singh • Dr Shavela G. Shulela

भवदीय, (रामजी शरण शर्मा)

देखें, कायचिकित्सा विभाग के छात्रों की शिकायत

ज्ञापन

आदरणीय कुलसचिव महोदय, उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय

सादर नमस्कार

महोदय,

हमलोग ऋषिकुल परिसर उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय हरिद्वार में कायचिकित्सा विभाग में सातकोत्तर (एमडी आयुर्वेद) के छात्र हैं। महोदय हमारे विभाग में प्रत्येक वर्ष 06 छात्रों का प्रवेश होता है त्रिबर्षीय पाठ्यक्रम में एक समय में कुल 18 छात्र अध्ययनरत होते हैं। महोदय, कायचिकित्सा विभाग आयुर्वेद में सबसे महत्वपूर्ण विषय होता है। एक तरह से सम्पूर्ण चिकित्सा व्यवस्था इसी विभाग के पास होता है। पठन पाठन के अतिरिक्त ओपीडी, वार्ड में भर्ती मरीज आदि कई महत्वपूर्ण काम इस विभाग के काम का हिस्सा होता है।

ऋषिकुल परिसर कायचिकित्सा विभाग में कुल 03 शिक्षक कार्यरत हैं।

  1. डॉ० ओम प्रकाश सिंह- प्रोफेसर
  2. डॉ० संजय कुमार त्रिपाठी- एसोसिएट प्रोफेसर और
  3. डॉ० श्वेता ज्ञानेंद्र शुक्ला- असिस्टेंट प्रोफेसर (संविदा)

डॉ० श्वेता ज्ञानेंद्र शुक्ला संविदा विगत 10 वर्षों से पर कार्यरत है। इनके कॉलेज में आने जाने का कोई समय नहीं होता तथा किसी भी काम के प्रति कोई विशेष लगाव नहीं होता है।

बचे दो शिक्षक डॉ ओम प्रकाश सिंह जी और डॉ संजय त्रिपाठी जी तो ये दोनो लोग रोज सुबह कॉलेज आकर उपस्थिति रजिस्टर में हस्ताक्षर करने के बाद यूनिवर्सिटी के प्रशासनिक भवन देहरादून चले जाते हैं न तो कोई हमारी क्लासेस लेता है न ही कोई ओपीडी होता है न ही कोई मरीजों को देखने वाला होता है। विभाग में अराजकता का माहौल बना रहता है।

जिस दिन ओम प्रकाश सिंह सर देहरादून नही जाते उस दिन दिनभर या तो प्राचार्य कार्यालय में बैठे रहते हैं या कभी द्रव्यगुण विभाग तो कभी रसशास्त्र विभाग के जा कर बैठकी लगाना और घूम घूम कर इधर उधर चाय नाश्ता करते हैं। पढाई लिखाई तो दूर कभी कोई मरीज भी नही देखते। ऐसे में हमारी क्या ही ट्रेनिंग हो रही है । आप अंदाजा लगा सकते हैं। हमने आप से पहले कुलसचिव महोदय, एवं कुलपति महोदय को भी इस बाबत पत्र के माध्यम से अवगत कराया परंतु वे लोग एक दूसरे के पूरक हैं और पुराने साथी हैं तो कोई कार्रवाई नहीं की गई।

अगर इन लोगों को प्रशासनिक व्यवस्था के तहत प्रतिदिन देहरादून जाना ही है तो इन लोगों का स्थानांतरण हर्रावाला परिसर में ही क्यों नहीं कर दिया जाता और जो शिक्षक वहां हैं उनको ऋषिकुत में कर दिया जाए जिससे हमारी पढ़ाई और ट्रेनिग तो प्रभावित नहीं होगी। हम लोग अखिल भारतीय प्रवेश परीक्षा में चयनित होकर यहाँ पढ़ने आगे हैं तथा इस पाठ्यक्रम में के लिये मोटी फीस भी दी हैं।

महोदय, हम लोग विश्वविद्यालय के किसी राजनीति में पड़ना नहीं चाहतेंल हैं। हमारी माँग मात्र इतनी है कि हमारे शिक्षक हमारा क्लास लें तथा पाठ्यक्रम के अनुसार जो भी चिकित्सकिय टेनिग है उसे दें। बाकी कौन कहाँ जाता है विश्वविद्यालय में उनकी क्या आवश्यकता है उससे हमें कोई मतलब नहीं है। महोदय हमारी यह माँग अनुचित तो नही है ?

महोदय, आशा है कि कुछ सार्थक कदम उठायेगें अन्यथा हमें मजबूर होकर कुलाधिपति महोदय को ज्ञापन देना पड़ेगा।

एक निवेदन है कि कृपया इस पत्र को इन शिक्षकों को नही दिखायें अन्यथा ये लोग हमें परेशान कर सकते है आप स्वयं से इन बातों का परीक्षण करके आवश्यक कदम उठायेगे ऐसी आशा है।

“अविकल उत्तराखण्ड ” इन तीनों शिक्षकों का पक्ष मिलने पर प्रमुखता से प्रकाशित करेगा)

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