राज्यपाल के एआई चैटबॉट ‘‘स्पीच टू टेक्स्ट और टेक्स्ट टू स्पीच’’ लांच
अविकल उत्तराखंड
देहरादून। राजभवन में वीर माधो सिंह भण्डारी तकनीकी विश्वविद्यालय के तत्वावधान और यूपीईएस व क्वांटम विवि के सहयोग से ‘‘एआई, मेटावर्स और क्वांटम कंप्यूटिंग के साथ कल का निर्माण’’ विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।
सोमवार को आयोजित इस कार्यशाला में विश्वविद्यालयों के विषय विशेषज्ञों द्वारा इन विषयों पर अपने प्रस्तुतीकरण दिए गए।
कार्यशाला में राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने राज्यपाल के एआई चैटबॉट ‘‘स्पीच टू टेक्स्ट और टेक्स्ट टू स्पीच’’ को लॉन्च किया। तकनीकी विश्वविद्यालय द्वारा तैयार किए गए इस चैटबॉट में राज्यपाल के भाषण की वीडियो को टेक्स्ट और टेक्स्ट को वीडियो रूप में परिवर्तित किया जा सकेगा।
इस अवसर पर राज्यपाल ने कहा कि आने वाला समय एआई, मेटावर्स और क्वांटम कंप्यूटिंग का है। आज पूरा विश्व तेजी से बदल रहा है जिसमें इन तीनों तकनीकों की बड़ी भूमिका रहेगी और इनसे कोई भी क्षेत्र अछूता नहीं रहेगा। इन तकनीकों को न अपनाने वाले देश विकास की दौड़ में बहुत पीछे रह जाएंगे।
उन्होंने कहा कि बदलते विश्व के केंद्र में एआई है, यह ऐसी ताकत है जो उद्योगों, समाज और हमारे अस्तित्व के मूल ढ़ांचे को नया आकार दे रही है। हमें विकास और समृद्धि के लिए एआई का उपयोग करना जरूरी है। उन्होंने कहा कि तकनीकों का सावधानीपूर्वक और सतर्क उपयोग हमारे जीवन में चल रहे परिवर्तनों को आगे बढ़ा सकता है।
राज्यपाल ने उपस्थित छात्र-छात्राओं से कहा कि एआई, मेटावर्स और क्वांटम कंप्यूटिंग का भविष्य आप सभी के हाथों में है। आप सभी कल की एआई संचालित दुनिया के निर्माता हैं। विद्यार्थियों की रचनात्मकता, आलोचनात्मक सोच और समस्या-समाधान कौशल इस भविष्य को आकार देने में सहायक होंगे। उन्होंने कहा कि भारत अपनी युवा और तकनीक-प्रेमी आबादी के साथ एआई में वैश्विक नेतृत्व करने के लिए अच्छी स्थिति में है। हमें डिजिटल साक्षरता और कौशल विकास पर भी ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है। राज्यपाल ने एआई चैटबॉट तैयार करने वाले इंजीनियरिंग कॉलेज, द्वाराहाट अल्मोड़ा के प्रो. विशाल कुमार और छात्र मयंक बिष्ट, दीपक सिंह व शुभम को प्रशंसा पत्र भी दिए।
कार्यशाला में तकनीकी विश्वविद्यालय के डॉ. विशाल कुमार और डॉ. अजित सिंह ने एआई पर प्रस्तुतीकरण देते हुए कहा कि इसमें मानव प्रगति की अकल्पनीय ऊंचाइयों को छूने की क्षमता है, साथ ही यह महत्वपूर्ण चुनौतियां भी पेश करता है।
एक ओर, एआई स्वास्थ्य सेवा से लेकर कृषि तक, वित्त से लेकर शिक्षा तक, सभी क्षेत्रों में नवाचार को बढ़ावा दे रहा है या रोजमर्रा के कामों को स्वचालित करता है और मानव बुद्धि को उच्च-स्तरीय सोच के मुक्त करता है। वहीं दूसरी ओर नौकरी विस्थापन, गोपनीयता संबंधी चिन्ताएं और नैतिक दुविधाएं बड़ी समस्याएं हैं।
यूपीईएस के डॉ. विजय शेखर और पंकज बडोनी ने कहा कि मेटावर्स सिर्फ एक चर्चा का विषय नहीं है, यह एक प्रतिमान बदलाव है। यह एक सामूहिक आभासी साझा स्थान है जो वस्तुतः उन्नत भौतिक वास्तविकता और भौतिक रूप से स्थायी आभासी स्थान के अभिसरण द्वारा बनाया गया है जिसमें सभी आभासी दुनिया, संवर्धित वास्तविकता और इंटरनेट का योग शामिल है।
क्वांटम यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ. विवेक कुमार और डॉ. अमृता कुमारी ने कहा कि क्वांटम कंप्यूटिंग कोई दूर का विषय नहीं है, यह एक वास्तविकता है जो हमारे सामने खुल रही है। यह अनंत संभावनाओं का क्षेत्र है, जहां मानवीय कल्पना और कंप्यूटेशनल शक्ति की सीमाएं मिलती है।
इस कार्यशाला में विधिक परामर्शी राज्यपाल अमित कुमार सिरोही, अपर सचिव राज्यपाल स्वाति एस. भदौरिया, कुलपति उत्तराखण्ड तकनीकी विश्वविद्यालय प्रो. ओंकार सिंह, कुलपति दून विश्वविद्यालय प्रो. सुरेखा डंगवाल, कुलपति श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय प्रो. एन.के. जोशी, कुलपति हेमवती नंदन बहुगुणा उत्तराखण्ड चिकित्सा शिक्षा विश्वविद्यालय देहरादून प्रो. एम.एल.बी. भट्ट, कुलपति उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय डॉ. अरुण कुमार त्रिपाठी एवं कुलपति उत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालय प्रो. दिनेश चन्द्र शास्त्री सहित विश्वविद्यालयों के छात्र-छात्राएं उपस्थित रहीं।
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