पूर्वी और पश्चिमी नयार नदियों की यात्रा की होगी पड़ताल

“स्रोत से संगम – नयार यात्रा” 21 अप्रैल से 28 अप्रैल तक

अविकल थपलियाल

देहरादून। अस्कोट-आराकोट अभियान से जुड़े सदस्य अब पौड़ी जिले की नयार नदी क्षेत्र की जमीनी हकीकत परखेंगे।

“पहाड़” संस्था के तत्वावधान में आयोजित “स्रोत से संगम – नयार यात्रा” 21 अप्रैल से 28 अप्रैल तक आयोजित की जाएगी। यह यात्रा पूर्वी और पश्चिमी नयार नदियों के उद्गम से लेकर उनके संगम स्थल व्यासघाट तक की समग्र अध्ययन यात्रा होगी।

यात्रा दल पारंपरिक विरासत, पर्यावरणीय परिवर्तन और सामाजिक ताने-बाने के साथ 1956 की नयार नदी बाढ़ के कारणों का भी अध्ययन करेगा।

यात्रा दल दो भागों में विभाजित रहेगा — एक दल पूर्वी नयार और दूसरा पश्चिमी नयार का अध्ययन करेगा। दोनों दल सतपुली में मिलेंगे और गंगा नदी के संगम स्थल व्यासघाट में यात्रा का समापन करेंगे।

13 प्रमुख अध्ययन बिंदुओं पर केंद्रित होगी नयार यात्रा

पशुपालकों की स्थिति, उनके आवास व पशुधन घनत्व

जंगल व पशुओं पर आधारित आर्थिकी

वन-उत्पादों पर आधारित व्यवसायों की स्थिति एवं परिवर्तनों का अध्ययन

सड़क संपर्क से उच्च जलागम क्षेत्रों में आए परिवर्तनों का विश्लेषण

कृषि के बंजर होने के कारण व परिवर्तनों का अध्ययन

मानव-पशु द्वंद की घटनाओं व कारणों का अध्ययन

1951 व 1970 में आई बाढ़ के कारणों का विश्लेषण

उच्च व निम्न जलागम क्षेत्रों में वनस्पति पैटर्न व उसमें आए बदलावों का अध्ययन

पारंपरिक पहनावा और रहन-सहन की शैली का अवलोकन

मंदिरों, भवनों, तिबारी शैली की स्थापत्य कला का अध्ययन

धार्मिक मान्यताओं व स्थानीय देवताओं से संबंधित अध्ययन

क्षेत्र के प्रसिद्ध व्यक्तित्वों का दस्तावेजीकरण

भरसार बगीचे के समाप्त होने के कारणों की पड़ताल

यात्रा की रूपरेखा

20 अप्रैल: सभी प्रतिभागी धुलेख गाँव में एकत्रित होंगे, गोष्ठी व रात्रि विश्राम

21 से 27 अप्रैल: दो दलों में विभाजित होकर पूर्वी व पश्चिमी नयार के साथ यात्रा

28 अप्रैल: सतपुली से व्यासघाट तक सामूहिक समापन यात्रा

यात्रा में मुख्य रूप से अरुण कुकसाल, गिरिजा पाण्डे, डॉ एसपी सती, जयदीप सिंह, चन्दन सिंह डांगी,
चन्द्रशेखर तिवारी समेत कई रिसर्च स्कॉलर हिस्सा लेंगे।

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