यूकॉस्ट व अग्नि मिशन टीम ने संगोष्ठी का आयोजन किया

अविकल उत्तराखंड

देहरादून। उत्तराखण्ड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद एवं अग्नि मिशन टीम के संयुक्त तत्वावधान में यूकॉस्ट, विज्ञान धाम, झाजरा, में “Technologies & Innovation for Climate Adaptive Forests and Livelihoods solutions in Indian Himalayan Region (IHR) with Uttarakhand as an Exemplar” विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी की अध्यक्षता प्रो दुर्गेश पंत, महानिदेशक, यूकॉस्ट ने की।

इस अवसर पर प्रो. दुर्गेश पंत ने चम्पावत जिले को आदर्श जनपद के रूप में विकसित करने के लिए विभिन्न रेखीय विभागों, केन्द्रीय संस्थानों एवं प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार भारत सरकार के कार्यालय के साथ मिलकर किये जा रहे कार्यो के बारे में जानकारी दी। प्रहलाद सिंह अधिकारी, समन्वयक, आदर्श चम्पावत द्वारा संगोष्ठी के बारे में संक्षिप्त जानकारी दी गयी। उन्होंने कहा कि अग्नि टीम के द्वारा चम्पावत जिले में किसानों को नई प्रौद्योगिकी के बारे में जानकारी दी गयी। और भविष्य में भी यूकॉस्ट के साथ मिलकर चम्पावत जिले में नवीन प्रौद्योगिकियों के बारे में जानकारी दी जायेगी।

अग्नि मिशन टीम के द्वारा पॉवर प्वाइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से चम्पावत जिले के लिए तैयार की गयी कार्ययोजना को प्रतिभागियों के साथ साझा किया गया। इस संगोष्ठी में विशिष्ट अतिथि डॉ0 हरेन्दर सिंह बिष्ट, निदेशक, आई0आई0पी0 के द्वारा संस्थान के माध्यम से चम्पावत जनपद में किये जा रहे कार्यो के साथ ही भविष्य में किये जाने वाले कार्यो के बारे में जानकारी दी गयी। संगोष्ठी में प्रतिभाग करने वाले विभिन्न संस्थानों के प्रतिनिधियों के द्वारा जलवायु अनुकूल वन एवं जलवायु अनुकूलित आजीविका पर अपने-अपने विचार व्यक्त किये। संगोष्ठी में ऑनलाइन माध्यम से भी विभिन्न संस्थानों विश्व बैंक, बाइफ संस्थान, विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन, यू0एन0डी0पी0, एफ0एस0आई0 एवं आई0आई0टी0 मण्डी के प्रतिनिधियों के द्वारा प्रतिभाग किया गया।

इस संगोष्ठी में आदर्श चम्पावत के अन्तर्गत जलवायु अनुकूल वन एवं जलवायु अनुकूलित आजीविका पर विशेषज्ञों के द्वारा विचार व्यक्त किये गये। विशेषज्ञों के द्वारा चम्पावत जिले में आजीविका के प्रमुख स्त्रोत मधुमक्खी पालन, डेयरी, मछली उत्पादन, मूल्य संवर्धन इत्यादि पर भी विचार विमर्श किया गया। जलवायु अनुकूल वन के अन्तर्गत प्रतिभागियों के द्वारा वनाग्नि को कम करने एवं वन आधारित आजीविका में सुधार करने के लिए सुझाव दिये गये।

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