आयुष्मान भारत गोल्डन कार्ड बने नहीं और पेंशन से कटौती भी हो गयी शुरू। प्रदेश के बाहर के सूचीबद्ध अस्पताल योजना के तहत नहीं कर रहे इलाज। आश्चर्यजनक बात तो यह हुई कि सीएम त्रिवेंद्र की विधानसभा डोईवाला में लगे विशेष शिविर में ही फर्जी गोल्डन कार्ड बन गए। डीएम,देहरादून को जांच सौंप दी गयी है। इस योजना के तहत प्रदेश में 40 लाख से अधिक लाभार्थियों के गोल्डन कार्ड बनाये गए हैं। पेंशनर व कर्मचारियों की संख्या दो लाख है। इन्हें असीमित कैशलेस इलाज की सुविधा है। जबकि आम लोगों को 5 लाख तक के इलाज की सुविधा है।Aayushman bharat golden card
अविकल उत्त्तराखण्ड
नोयडा/देहरादून
केस 1- हुकुम चंद अरोरा, पेंशनर रुड़की-हर्निया के आपरेशन के लिए दिल्ली के गंगाराम हॉस्पिटल गए।आयुष्मान गोल्डन कार्ड भी था। यह अस्पताल उत्त्तराखण्ड सरकार की गोल्डन कार्ड से सूचीबद्ध अस्पतालों की सूची में शामिल है।लेकिन अस्पताल के प्रबंधन ने गोल्डन कार्ड के तहत इलाज करने से मना कर दिया। साफ कह दिया कि वे इस योजना के तहत इलाज नहीं कर सकते। नतीजतन श्री अरोरा 17 फरवरी को अपनी एक स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी के तहत हर्निया का आपरेशन करवाने पर मजबूर हुए। उत्त्तराखण्ड से रिटायर हुए अरोरा ने अपने संगठन को पत्र लिख कार्रवाई की मांग की है।

केस 2- श्रीमती सुधा थपलियाल रिटायर शिक्षक सुशील कुमार की पत्नी है। नोयडा के मेट्रो हॉस्पिटल में इलाज के लिए गई। आयुष्मान गोल्डन कार्ड दिखाया। अस्पताल प्रबंधन ने इस योजना के तहत किसी भी प्रकार की रियायत देने से साफ मना कर दिया। कह दिया कि अभी मेट्रो अस्पताल का उत्त्तराखण्ड सरकार से MOU (करार) नहीं हुआ है। जबकि मेट्रो अस्पताल भी उत्त्तराखण्ड सरकार की आयुष्मान गोल्डन कार्ड की सूची में प्रमुखता से शामिल है।



केस- 3 – देहरादून की एक रिटायर शिक्षिका की पारिवारिक व स्वंय की पेंशन से अंशदान कटना शुरू हो गया है। दोनों पेंशन से अंशदान कटने पर परेशान शिक्षिका फैमिली ने गुहार लगाई कि एक ही पेंशन से अंशदान कटना चाहिए।
केस 4- ऐसे सैकड़ों उदाहरण भी सामने आ रहे हैं कि आयुष्मान गोल्डन कार्ड बना ही नही और पेंशन से कटौती शुरू हो गयी है। कई पेंशनर परेशान हैं और सरकार से विसंगति पर बात करना चाहते हैं।


केस-5 यही नहीं, राज्य में नकली आयुष्मान गोल्डन कार्ड भी धड़ल्ले से बन रहे हैं। सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत की विधानसभा डोईवाला में लगे विशेष शिविर में ही फर्जी गोल्डन कार्ड बनवा दिया गया। हो हल्ला होने पर सीएम ने देहरादून के डीएम को जांच के लिए कहा है। इस प्रकरण को लेकर बाकायदा सीएम मीडिया टीम ने प्रेस नोट भी जारी किया।
गौरतलब है कि आयुष्मान गोल्डन कार्ड योजना के तहत उत्त्तराखण्ड के 23 लाख परिवारों को निशुल्क इलाज मुहैया कराने का लक्ष्य रखा गया है। इस योजना को लागू करने में उत्त्तराखण्ड ने सबसे पहले पहल की। रिटायर वरिष्ठ नौकरशाह डीके कोटिया इस योजना को लागू करवाने में अहम भूमिका निभा रहे है। लेकिन चुनावी साल में इस योजना के क्रियान्वयन में विसंगति भी देखने को मिल रही है।Aayushman bharat golden card
यह है सरकारी प्रेस विज्ञप्ति के मजमून
फर्जी आयुष्मान गोल्डन कार्ड जारी करने के मामले की जांच डीएम देहरादून को
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने राजकीय हास्पिटल डोईवाला में आयुष्मान भारत गोल्डन कार्ड बनाने के लिए आयोजित विशेष शिविर में कुछ लोगों को फर्जी कार्ड जारी किए जाने की शिकायत को गंभीरता से लेते हुए जिलाधिकारी देहरादून को प्रकरण की तत्काल जांच कराकर कार्यवाही किए जाने के निर्देश दिए हैं।

अठूरवाला के राजेश द्विवेदी ने यह शिकायती पत्र भेजा था। द्विवेदी ने शिकायती पत्र में उल्लेख किया कि 9 दिसंबर, 19 को राजकीय हास्पिटल डोईवाला में अटल आयुष्मान भारत कार्ड बनाने के लिए विशेष कैंप आयोजित किया गया था। इसमें प्रार्थी ने पत्नी और दो पुत्रों के साथ आयुष्मान भारत गोल्डन कार्ड बनवाने गए थे। वहां कैंप में मौजूद कम्प्यूटर पर बैठे व्यक्ति द्वारा आधार कार्ड के माध्यम से बायोमैट्रिक्स वेरिफिकेशन कर व प्रति कार्ड 70 रुपए भुगतान लेकर परिवार के सभी सदस्यों के कार्ड जारी किए गए थे। चारों कार्ड में आयुष्मान भारत कार्ड व उत्तराखंड सरकार का विज्ञापन भी संलग्न है। जब प्रार्थी ने इन कार्डों का सत्यापन पीएमजेएवाई.जीओवी.इन के जरिए करवाया तो चारों कार्ड फर्जी साबित हुए। इसकी शिकायत तुरंत उन्होंने आयुष्मान भारत कार्ड योजना प्रभारी पंकज नेगी से की तो उन्होंने भी अपने सर्वर पर चारों कार्ड की जांच की। चारों कार्ड फर्जी होने की पुष्टि हुई। प्रार्थी ने आशंका जताई की इस तरह की आपराधिक साजिश अन्य लोगों से भी हो सकती है। इसलिए इसकी जांच की जानी चाहिए।
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