राजनीति- अब उत्त्तराखण्ड के चुनाव में मुस्लिम विवि का ‘तड़का’

उत्त्तराखण्ड में मुस्लिम विवि पर भाजपा आक्रामक

जुमे की नमाज व अन्य धर्मों की सामूहिक प्रार्थना पर अल्पवकाश का छह साल पुराना आदेश भी हुआ वॉयरल

मुस्लिम विवि कांग्रेस के घोषणा पत्र का हिस्सा नही, भाजपा के धोखे में न आये जनता- हरीश रावत

70 विधानसभाओं में लगभग 20 सीटों पर मुस्लिम मत निर्णायक। देहरादून, हरिद्वार व यूएसनगर में मुस्लिम मतदाता पर कांग्रेस व बसपा की नजर

अविकल उत्त्तराखण्ड

देहरादून। बीते विधानसभा चुनाव में भाजपा जुमे की  नमाज पर छुट्टी सम्बन्धी हरीश रावत सरकार के एक आदेश को जोर शोर से उछालकर मतों का ध्रुवीकरण करने में पूरी तरह सफल रही थी। इन चुनावों में अन्य मुद्दों की तरह जुमे की नमाज भी एक बड़ा चुनावी मुद्दा बन कर उभरा था। 2017 के ही विधानसभा चुनावों में पीएम मोदी ने यूपी में शमशान घाट बनाम कब्रिस्तान की बात कह चुनाव को एकतरफा मोड़ दे दिया था।

कुछ कुछ ऐसी ही तस्वीर फिर से बनती दिख रही है। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के दून दौरे के दिन एक नया पॉलिटिकल ड्रामा शुरू हुआ। दरअसल, कांग्रेस के एक पदाधिकारी आकिल अहमद ने कहा कि कांग्रेस नेताओं के मुस्लिम यूनिवर्सिटी बनाने के आश्वासन के बाद ही उन्होंने सहसपुर विधानसभा से     चुनाव लड़ने का इरादा त्याग दिया। इस सीट पर कांग्रेस के अधिकृत प्रत्याशी आर्येन्द्र शर्मा चुनाव लड़ रहे है।

आकिल अहमद का वीडियो बयान वॉयरल हो गया।   बाद में आकिल ने अपने बयान का खंडन करते हुए कहा कि उन्होंने मुस्लिम विवि की मांग रखी थी लेकिन नेतृत्व ने मेरी मांग नहीं मानी। काँग्रेस पदाधिकारी  आकिल अहमद ने अपनी यह मांग हरीश रावत , मोहन प्रकाश व देवेंद्र यादव के सामने कब रखी, यह भी साफ नहीं हो पाया।

अलबत्ता दो फरवरी की दोपहर को जारी कांग्रेस के घोषणा पत्र में मुस्लिम विवि बनाने की कोई वादा नहीं किया गया है।। फिर भी यह मुद्दा मीडिया की सुर्खियां बना। और बीते काफी समय से प्रदेश में बढ़ती मुस्लिम आबादी के मुद्दे को उठाये बद्री केदार मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेन्द्र अजय ने भी ट्वीट कर मामले को हवा दे दी। शाम घिरते घिरते 2016 में हरीश रावत सरकार के समय जुमे की नमाज व अन्य धर्मों की सामूहिक प्रार्थना के लिए दिए गए अल्पवकाश (डेढ़ घण्टे) सम्बन्धी आदेश भी सोशल मीडिया में वायरल हो गया। सरकारी कर्मियों के लिए इस अल्पवकाश का फैसला किया गया था।

29 दिसंबर 2016 को सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से जारी इसी आदेश को आधार बनाकर 2017 में भाजपा ने जुमे की नमाज पर छुट्टी को प्रमुख चुनावी हथियार बना डाला था। उस वक्त हरीश रावत ने कहा था कि अगर भाजपा वो आदेश दिखा दे तो वे राजनीति से संन्यास ले लेंगे।

अब 6 साल बाद वही आदेश नये सिरे से सार्वजनिक हो गया। लिहाजा, मुस्लिम विवि पर कांग्रेस पर अटैक कर रही भाजपा हरीश रावत से कह रही है कि वे राजनीति से  संन्यास लीजिये।

इस राजनीतिक घटनाक्रम के बाद देवभूमि में मुस्लिम विवि व नमाज पर अल्पवकाश का मुद्दा एक बार फिर चुनावी हथकंडा बनता नजर आ रहा है। कांग्रेस प्रभारी देवेंद्र यादव का आरोप है कि भाजपा अपनी विफलता को छुपाने के लिए जिस मुस्लिम विवि की बात  उठा रही है वो उनके घोषणा पत्र का हिस्सा ही नहीं है।

पूर्व सीएम हरीश रावत का कहना है कि मुस्लिम विवि की किसी एक व्यक्ति के दिमाग की कोरी कल्पना होगी। पार्टी का कोई लेना देना नहीं है। कांग्रेस ने घोषणा पत्र में संस्कृत विवि की वकालत की है। लेकिन भाजपा  संस्कृत विवि पर कुछ नहीं कहेगी।

उधर, प्रदेश प्रवक्ता सुरेश जोशी ने कहा कि नमाज को लेकर अवकाश का शासनादेश सामने आने के बाद अब हरीश रावत को राजनीति से संन्यास ले लेना चाहिए | उन्होने  कहा कि कांग्रेस एक खास वर्ग को खुश करने के लिए नमाज पर अवकाश घोषित करते हैं और जब सत्ता से बाहर रहते हैं तो मुस्लिम यूनिवर्सिटी खोलने का वादा करते हैं |
 
उन्होने  कहा कि कॉंग्रेस बंद कमरों में मुस्लिम यूनिवर्सिटी खोलने और नमाज पर ऑफिस बंद करने के वादे करती है लेकिन विरोध होने पर सार्वजनिक मंचों पर मुकरने लगती है ।

70 विधानसभाओं में लगभग 20 सीटों पर मुस्लिम मत निर्णायक। देहरादून, हरिद्वार व यूएसनगर में मुस्लिम मतदाता पर कांग्रेस व बसपा की नजर

बहरहाल, महंगाई व भ्र्ष्टाचार समेत अन्य मुद्दों पर भाजपा को घेर रही कांग्रेस तुष्टिकरण के वार झेल रही है। अब भाजपा की हरचंद कोशिश मुस्लिम विवि के मुद्दे को जिंदा रख हिन्दू मतों के ध्रुवीकरण की रहेगी। यही नहीं, भाजपा 2017 के चुनाव में लगे नमाज पर छुट्टी के तड़के को 2022 में भी लगाने की तैयारी में भी शिद्दत से जुट गई है।

29 दिसंबर 2016 के आदेश

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