… आखिरकार ‘वो’ ‘खेल’ कर ही गया

हरक के पॉलिटिकल डेथ से राजनीतिक जीवनदान के सफर के ‘दोस्त’ का सफरनामा

दून से दिल्ली के सफर में हुए Tea Break में हुआ खेल

अविकल उत्त्तराखण्ड

देहरादून। हरक सिंह रावत की भाजपा से बर्खास्तगी के पीछे एक बड़े ‘खेल’ की कहानी सामने आ रही है। इस मामले में हरक सिंह के करीबी माने जाने वाले विधायक की भूमिका विशेष तौर पर काफी संदिग्ध मानी जा रही है। हरक सिंह से जुड़े अंदरूनी सूत्र भी कह रहे हैं कि सारे समय साथ रहने वाले विधायक ने पार्टी नेताओं को यह फीड दे दिया कि हरक सिंह की 16 जनवरी की रात सोनिया गांधी से मुलाकात होने वाली है।

दोस्त ‘दोस्त’ न रहा

भाजपा केंद्रीय नेतृत्व ने मिले इस फीड के बाद 16 जनवरी की रात को ही हरक सिंह को कैबिनेट व पार्टी से बर्खास्त कर दिया। उस समय हरक सिंह दिल्ली के ग्रीन पार्क स्थित फ्लैट में थे। और हरक सिंह को बर्खास्तगी की जानकारी सोशल मीडिया के ही जरिये मिली। हरक सिंह के लिए भाजपा का यह कदम किसी बड़े झटके से कम नहीं था।

इस राजनीति से भरे उथल पुथल भरे एपिसोड की कहानी 16 जनवरी की दोपहर देहरादून से शुरू होती है। इस दिन दोपहर में विधायक का हरक सिंह की बहु अनुकृति गुसाईं के मोबाइल पर भाजपा विधायक का फोन आता है। हरक सिंह को दिल्ली चलने के लिए कहा जाता है। दिल्ली में अमित शाह, नड्डा व प्रह्लाद जोशी से चुनाव के बाबत सलाह मशविरा करने की बात कही जाती है।

बातचीत के बाद उक्त विधायक व हरक की हरिद्वार बाईपास में अनुकृति गुसाईं के येलो हिल्स रेस्टोरेंट में मुलाकात होती है। और फिर दो कारों में सवार होकर दिल्ली के लिये कूच कर जाते हैं। वैसे तो हरक सिंह की कांग्रेस नेताओं से बातचीत चल ही रही थी। लेकिन 16 जनवरी के दिल्ली कूच के एजेंडे में सिर्फ भाजपा के केंद्रीय नेताओं से ही मुलाकात होनी थी । सोनिया से मिलने का कोई कार्यक्रम नहीं था। हरक सिंह ने भी भाजपा से निष्कासन के बाद कहा था कि वे सिर्फ भाजपा केंद्रीय नेताओं से मिलने दिल्ली गए थे।

देहरादून से दिल्ली के सफर के दौरान हरक सिंह, अनुकृति गुसाईं व विधायक एक ही कार में सवार थे। रास्ते में तीन जगह चाय के लिए कार रोकी गई।  अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि इसी टी ब्रेक के दौरान विधायक ने पार्टी के एक नेता के कान में डाल दिया कि हरक सिंह आज रात सोनिया से मुलाकात करेंगे। इस ‘फीड’ के बाद केंद्रीय व प्रदेश स्तरीय भाजपा  नेतृत्व के कान खड़े हो गए।

रात्रि लगभग 10 बजे दिल्ली पहुंचने पर हरक सिंह ग्रीन पार्क के फ्लैट में पहुंच गए। लेकिन विधायक फ्लैट में जाने की बजाय सीधे एक भाजपा नेता के घर पहुंच गए। यहां फिर कहा गया कि हरक सिंह की आज रात सोनिया से मुलाकात होनी है।

यशपाल आर्य के भाजपा छोड़ने से जख्म खाया भाजपा रातों रात नेतृत्व हरक पर तुरत फुरत कार्रवाई करने के मूड में आ गया। ताकि कोई यह नही कहे कि यशपाल आर्य की तरह हरक के भाजपा छोड़ने की खबर पार्टी को समय रहते नहीँ मिल पायी। पार्टी के कुछ अन्य नेता भो हरक एपिसोड में कूद पड़े। दिल्ली को भी अच्छी तरह ‘समझा’ दिया गया कि कांटे को निकालने का यही सबसे सटीक समय है।

और यहीं से हरक सिंह की भाजपा में उल्टी गिनती शुरू हो गयी। इस खबर के बाद केंद्रीय नेतृत्व ने सीएम धामी और  प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक को कार्रवाई के निर्देश दिए। और रात 11 बजते बजते ग्रीन पार्क के अपने फ्लैट में सुस्ता रहे हरक सिंह को सोशल मीडिया से अपनी बर्खास्तगी की चौंकाने वाली खबर मिली। 16 जनवरी रात की इस खबर से हरक सिंह की नींद 21 जनवरी की दोपहर तक उड़ी ही रही।

भाजपा की राजनीति में एक बड़ा ‘खेल’ के बाद हरक सिंह राजनीति की खुली सड़क पर आ चुके थे। भाजपा से किक पड़ चुकी थी और कांग्रेस बाहें नहीं फैला रही थी। दोनों बड़े दलों से बाहर होने की वजह से हरक की राजनीति में मरघट जैसा सन्नाटा पसर गया। हरीश समर्थक आग उगल रहे थे।

दूसरी ओर, हरक के अंदरूनी सूत्र इस बात से हैरान थे कि उक्त विधायक ने बर्खास्तगी की खबर सुनने के बाद न तो फोन किया और न ही मिलने आये। और यह बयान दे दिया कि वे भाजपा में ही रहेंगे।

हर समय साथ रहने का दावा करने वाले विधायक के फोन नहीँ करने पर हरक के पारिवारिक सूत्रों को यह पुष्ट हो गया कि भाजपा से विश्वासघात कर झूठी खबर किसने फैलायी।

हरक सिंह ने बाद में कहा भी कि अमित शाह से उन्होंने आखिरी सांस तक दोस्ती निभाने का वादा किया था लेकिन उन्होंने ही दोस्ती तोड़ दी। यह भी कहा कि बीते कुछ समय से कांग्रेस के लोग उनसे जरूर बात कर रहे थे लेकिन वे उन्हें कोई ठोस जवाब नहीं दे रहे थे।

हरक सिंह के करीबियों का कहना है यशपाल आर्य व संजीव आर्य की दिल्ली में हो रही वापसी से ठीक पूर्व उक्त विधायक राहुल गांधी के आवास से चुपके से निकल गए थे । और सड़क पर इंतजार में खड़े भाजपा नेता की कार में बैठकर भाजपा कार्यालय पहुंच गए थे। इसके बाद ही भाजपा को आर्य की काँग्रेस में वापसी की खबर मिली।

फिलहाल, 2016 में उत्त्तराखण्ड में हरीश रावत सरकार के बागी हरक सिंह को फिर अपना कर कांग्रेस ने बहुत बड़े दिल का परिचय दिया। अपनों के ‘खेल’ से पोलिटिकल डेथ के मुहाने पर धकेल दिए गए हरक सिंह को मिले ‘राजनीतिक जीवनदान ‘ की इस सुपरहिट फिल्म के कई किरदारों की भूमिका पर बरसों बरस बहस चलती रहेगी….

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कांग्रेस छोड़ना मेरे राजनीतिक जीवन की बड़ी भूल- हरक सिंह

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