“ऋणंम कृत्वा, घृतंम पिवेत ” की सूक्ति को सार्थक करने वाला बजट -यशपाल आर्य, नेता विपक्ष
अविकल उत्तराखंड
देहरादून। उत्तराखंड की विधानसभा में 65 हजार करोड़ से अधिक धनराशि के बजट पर विपक्ष ने तीखा प्रहार किया है जबकि सीएम धामी ने कहा कि उन बजट सर्वस्पर्शी, सर्वग्राही तथा आम जनता को आत्मनिर्भर बनाने वाला
है। उधर, नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि सरकार कर्ज लेकर घी पी रही है। साथ ही पूर्व सीएम हरीश रावत, करन माहरा व प्रीतम सिंह ने भी धामी सरकार के बजट को दिशाहीन करार दिया।
मंगलवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि यह बजट नही हमारा संकल्प है। सबके साथ संवाद के माध्यम से इसे जन-जन का बजट बनाने का प्रयास किया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विजन के अनुरूप 21वीं सदी के तीसरे दशक को उत्तराखण्ड का दशक बनाने में यह बजट शानदार प्रयास है। उन्होंने कहा कि यह बजट हर प्रकार से हमारे दृष्टिपत्र के संकल्प को पूरा करने वाला बजट है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि डबल इंजन की सरकार का ही असर है कि जहां 2012 से 2017 के बीच हमें प्रतिवर्ष वार्षिक अनुदान ₹ 5615 करोड़ प्राप्त होता था वही 2017 से 2022 के डबल इंजन युग में औसत वार्षिक अनुदान राशि बढ़कर ₹ 11168 करोड़ हो गयी, जो कि डबल इंजन के दौर में डबल राशि है।
मुख्यमंत्री पलायन रोकथाम योजना (25 करोड) तथा सीमांत क्षेत्र विकास कार्यक्रम व ग्रामीण कौशल योजना के तहत कुल मिलाकर ₹195 करोड़ की इस बजट में व्यवस्था की गई हैं।
पुलिस एवं राजस्व पुलिस व्यवस्था को सुदृढ़ करने हेतु इस बजट में विशेष ध्यान दिया गया है तथा कुल मिलाकर ₹ 35 करोड़ के बजट का प्रावधान इस मद में किया गया है।
गौवंश संरक्षण के लिये गौ सदनों की स्थापना हेतु बजट प्रावधानों में 06 गुना वृद्धि करते हुए 15 करोड़ की व्यवस्था की गयी है। वर्ष में 3 गैस सिलेंडर की भराई मुफ्त कराने के हमारे संकल्प को पूरा करने के लिए इसमें ₹55 करोड़ से अधिक का प्रावधान किया है।
मुफ्त पाठ्य पुस्तक योजना में कक्षा 9 से 12 तक के सभी विद्यार्थियों को इस वर्ष से मुफ्त पाठ्य पुस्तकें उपलब्ध करायी जायेंगी। अभी तक यह सुविधा केवल अनुसूचित जाति के विद्यार्थियों को प्राप्त हो रही थी।
पार्किंग व ट्रैफिक जाम से मुक्ति हेतु बजट पूर्व संवाद में इस समस्या पर हुई चर्चा के क्रम में बजटीय प्रावधान किया गया है। साथ ही कूड़ा प्रबंधन के अंतर्गत हिमालयी राज्य होने के नाते हम पर्यावरण सुरक्षा के प्रति अति संवेदनशील हैं और इस क्रम में कूड़ा कचरा प्रबंधन व निस्तारण हेतु उचित बजटीय प्रावधान किए गए हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि देश विदेश में साइबर सिक्योरिटी विशेषज्ञों की भारी मांग है और इसको देखते हुए हमने मुक्त विश्विद्यालय में इस विषय हेतु ₹5 करोड़ का बजटीय प्रावधान किया है।
उत्तराखण्ड दुर्गम हिमालयी राज्य होने के नाते रोपवे परियोजनाएं हमारे लिए अति महत्वपूर्ण हैं। अभी 7 रोपवे परियोजनाओं की प्रक्रिया चल रही है। इसके अतिरिक्त 35 नई परियोजनाओं को हम पर्वतमाला परियोजना में लेकर आ रहे हैं।
सरकारी सेवाएं नागरिकों के द्वार योजना के तहत सरकारी सेवाओं की नागरिकों तक डोर स्टेप डिलीवरी सुनिश्चित करने हेतु हमारी सरकार एक यह योजना शुरू करेंगी।
प्रदेश में कृषि क्षेत्र के समग्र विकास के लिये नर्सरी, उत्पादन हेतु सहायता प्रदान करने तथा उपज को मण्डी तक पहुंचाने हेतु हमारी सरकार एक समग्र कृषि विकास योजना पर कार्य कर रही है और इस हेतु लगभग ₹160 करोड़ का बजटीय प्रावधान किया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि औद्योगिक व सूचना प्रौद्योगिकी विकास औद्योगिक नीति, एम०एस०एम०ई० को सहायता इज ऑफ डूइंग बिजनेस, गति शक्ति कार्यक्रम तथा ग्रोथ सेण्टर आदि के क्षेत्र में ₹163.00 करोड़ का बजटीय प्रावधान किया गया है।
लोक कल्याण योजना के तहत वृद्धजन, निराश्रित, विधवा, दिव्यांग तथा आर्थिक रूप से कमजोर किसान व परित्यक्त महिलाओं को पेंशन, व ऐसी ही अनेक लोक कल्याणकारी योजनाओं हेतु हेतु ₹2500.00 करोड़ का बजटीय प्रावधान किया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मानसखण्ड मन्दिर माला मिशन के अन्तर्गत कुमाऊं क्षेत्र के 38 प्रमुख मन्दिरों व पर्यटन स्थलों को इस योजना के तहत विकसित किया जायेगा।
हमारी सरकार ने इस बजट के माध्यम से नगरीय निकायों के बजट में लगभग ₹243 करोड़ की वृद्धि की है तथा त्रिस्तरीय पंचायतों के बजट में लगभग ₹190 करोड़ की वृद्धि की गयी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सीमान्त क्षेत्रों में शिक्षा व्यवस्था का सुदृढ़ीकरण एवं युवाओं के पलायान को रोकने हेतु शोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय के चंपावत परिसर की स्थापना हेतु वित्तीय वर्ष 2022-23 में ₹ 05 करोड़ की धनराशि का प्रावधान किया गया है।
“ऋणंम कृत्वा, घृतंम पिवेत ” की सूक्ति को सार्थक करने वाला बजट -यशपाल आर्य, नेता विपक्ष
आज जब सभी राष्ट्र और राज्य अपने पर बढते कर्जे से परेशान हैं तब उत्तराखंड की सरकार दिन प्रतिदिन राज्य को कर्जे में डुबा रही है। पिछले पांच सालों में सरकार ने लगभग 70 हजार करोड़ रुपया कर्जे के रूप में लिया है । इस कार्यकाल में भी सरकार ने राज्य को और कर्जे में डूबने वाला बजट पेश किया है।
बजट दिशाहीन है और राज्य के जनसामान्य की उम्मीदों को कहीं से भी पूरा नहीं करता। रिवर्स पलायन हेतु सुनियोजित योजना इसमें नहीं है। महंगाई, बेरोजगारी दूर करने को भी कोई रोडमैप नहीं है। निराशाजनक बजट है, बेरोजगारों-नौजवानों को रोजगार न देने वाला बजट है, यह किसान-विरोधी बजट है, यह महिला-विरोधी और पक्षपातपूर्ण बजट है, पिछड़े – दलितों और अल्पसंख्यकों का विरोधी बजट है।
सरकार का बजट पूरी तरह झूठ की नींव खड़ा है और इसमें कदम-कदम पर जनता को गुमराह किया गया है एवं भ्रमित करने की पूरी कोशिश की गई है। प्रदेश में महंगाई को लेकर हाहाकार मचा है और सरकार से अपेक्षा थी कि ऐसा बजट आएगा कि जिंदगी को थोड़ा आसान बना देगा, लेकिन यह ऐसा बजट आया है कि जनता खुद को ठगा हुआ महसूस कर रही है।
सरकार चाहती तो पेट्रोल और डीजल पर टैक्स कम करके राज्य की जनता को मदद कर सकती थी पर ऐसा नही किया।
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