रिकॉर्ड समय में पुल तैयार, नीति घाटी के 13 गांवों से संपर्क जोड़ा
हाईवे पर पुल क्षतिग्रस्त होने के बाद बीआरओ ने 25 दिनों में वैकल्पिक पुल किया तैयार
अविकल उत्त्तराखण्ड/सुरेंद्र रावत
गोपेश्वर। सात फरवरी की तपोवन-रैंणी आपदा में टूटे पुल की जगह नया पुल बना नीति घाटी से संपर्क फिर से बहाल हो गया है। 20 मार्च तक पुल को तैयार किया जाना था। लेकिन दिन रात कड़ी मेहनत कर बीआरओ ने 15 दिन पहले ही वैली ब्रिज तैयार कर दिया।
मलारी हाईवे पर क्षतिग्रस्त रैणी पुल के विकल्प के तौर पर बीआरओ ने शुक्रवार को नया वैली ब्रिज तैयार कर दिया। इस पुल पर आवाजाही शुरू हो गयी है।
बीआरओ के चीफ इंजीनियर एएस राठौर और अधिकारियों ने वाहनों की आवाजाही करवाकर पुल का शुभारंभ किया। पुल का संचालन शुरु होने से अब नीति घाटी के 13 गांवों की आवाजाही सुचारु हो गई है।
बीती 7 फरवरी को ऋषिगंगा नदी में आई जल प्रलय के दौरान रैंणी में जोशीमठ-मलारी हाईवे पर बना मोटर पुल क्षतिग्रस्त हो गया था। जिससे नीति घाटी के 13 गांवों का देश-दुनिया से सड़क सम्पर्क टूट गया था। कड़ी मेहनत के बाद बीआरओ ने 25 दिनों में वैली ब्रिज बनाकर तैयार कर दिया है।
बीआरओ की ओर से यहां 200 फीट स्पान के पुल का निर्माण किया गया है। पुल के दोनों कोनों पर स्थिर भूमि की अनउपलब्धता के चलते पुल का निर्माण तीन मंजिला फेब्रिकेशन वर्क के साथ किया गया है।
पुल का निर्माण रिकार्ड वक्त में पूर्ण किया गया है। मलबा हटाने के बाद 8 दिनों में पुल को जोड़ने का कार्य पूरा किया गया है। पुल से वाहनों की आवाजाही सुचारु कर दी गई है। अब जल्द ही यहां स्थाई पुल निर्माण कार्य भी शुरु किया जाएगा।
एएस राठौर, चीफ इंजीनियर, बीआरओ।
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