भाजपा सीएम धामी व आप कर्नल कोठियाल के नाम पर लड़ेगी चुनाव
कांग्रेस चेहरे में न उलझ सामूहिक नेतृत्व के बल पर उतरेगी 2022 के विधानसभा चुनाव में
2012 में खंडूडी को चेहरा घोषित कर अंदरूनी कलह का झटका खा चुकी है भाजपा
अविकल थपलियाल
देहरादून। चुनावों में चेहरा घोषित करने के अपने नफा नुकसान हैं। लेकिन इस वक्त उत्त्तराखण्ड के विधानसभा चुनावों में चेहरे को लेकर राजनीति पूरी तरह सरगर्म है। भाजपा-कांग्रेस व आप के बीच चेहरे को लेकर मुकाबला जोरों पर चल रहा है।
इस बीच, भाजपा के चुनाव प्रभारी प्रह्लाद जोशी मौजूदा सीएम पुष्कर धामी के चेहरे की वकालत कर दिल्ली लौट गए। दो दिनी देहरादून प्रवास पर प्रह्लाद जोशी ने कहा दिया कि चुनाव जीतने के बाद धामी ही सीएम बनेंगे।
राज्य गठन के बाद सम्भवतः यह पहला मौका है जब भाजपा ने छह महीने पहले सीएम चेहरे का ऐलान कर दिया। 2002 ,2007 व 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने चेहरे को लेकर पत्ते नही खोले थे। 2012 के विधानसभा चुनाव में खंडूडी है जरूरी का नारा देकर माहौल बनाने की कोशिश अवश्य की थी। लेकिन उस चुनाव में भाजपा के ही सूबेदारों ने खंडूडी को कोटद्वार विधानसभा चुनाव में हरवाने में अहम भूमिका निभाई थी। और इसी हार से भाजपा 2012 में रिपीट नही हो पायी थी। कोटद्वार में हुई खंडूडी की हार के सदमे से भाजपा केंद्रीय नेतृत्व लंबे समय तक सन्नाटे में रहा था। प्रदेश व देश की राजनीतिक गलियारों में जनरल बीसी खंडूडी की इस हार के “अंदरूनी फैक्टर” पर आज भी चर्चा गर्म रहती है।
इधर, पांच साल में दो सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत व तीरथ रावत को हटाने के बाद भाजपा ने युवा पुष्कर धामी को नेतृत्व सौंप 2022 चुनाव का चेहरा भी घोषित कर दिया है।
भाजपा के इस ऐलान के बाद पार्टी के अंदर कई मठाधीशों के किले में भविष्य की राजनीति की गुणा भाग शुरू हो गयी है। इन मठाधीशों में कुछ भाजपा मूल के हैं तो कुछ कांग्रेसी गोत्र के नेता। इनमें कई नेता लंबे समय से सीएम की दौड़ में भी गंभीरता से शामिल रहे है।
चूंकि, नये सीएम राजनीति के लिहाज से काफी युवा हैं। और उनके पास लंबी राजनीतिक पारी खेलने के लिए कम से कम 25 साल तो हैं ही। ऐसे में कई अनुभवी व सीएम बनने का सपना पाले नेताओं की धड़कनें भी बढ़ गयी है। ये बड़े नेता आने वाले कल में अपने राजनीतिक भविष्य के मद्देनजर कुछ अलग कदम भी उठा सकते हैं। लिहाजा, धामी को अगला सीएम घोषित करने पर भाजपा को अंदरूनी दांवपेंच, कलह व भितरघात को काबू में करने के लिए विशेष रणनीति भी अख्तियार करनी होगी। सीएम पुष्कर धामी को भी चुनावी चेहरे के सामने आने वाली अपनों की चुनौतियों से पार पाने के लिए विशेष जतन करने होंगे। अगर सीएम धामी फ्लॉप हुए तो यह उनके राजनीतिक भविष्य पर गंभीर खतरा माना जायेगा।
चुनाव प्रभारी प्रह्लाद जोशी के देहरादून आकर सीएम धामी को चेहरा घोषित करने से होने वाले लाभ व हानि की गणित भाजपा को फिर से गद्दी पर बैठाने व सत्ता से बाहर करने में निर्णायक भूमिका निभाएगी।
इधर, पहली बार उत्त्तराखण्ड में चुनाव लड़ने जा रही केजरीवाल की आम आदमी पार्टी कर्नल अजय कोठियाल को सीएम चेहरा घोषित कर चुकी है। जबकि मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस में पूर्व सीएम हरीश रावत के बार बार चेहरे की वकालत करने के बाद भी पार्टी हाईकमान सामूहिक नेतृत्व के फार्मूले पर डटी है। मौजूदा राजनीतिक हालात इशारा कर रहे हैं कि उत्त्तराखण्ड में चुनावी जंग चेहरा बनाम सामूहिक नेतृत्व के इर्द गिर्द ही लड़ी जाएगी।
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