…जब राहुल के आमने-सामने बैठे हरीश व प्रीतम, पलटे गए पुराने पन्ने

काँग्रेस में होगा बदलाव या यथास्थिति कायम रहेगी

अविकल उत्त्तराखण्ड

नई दिल्ली। बेशक उत्त्तराखण्ड कांग्रेस में दिग्गज नेताओं का 2016 से टोटा देखा जा रहा हो लेकिन मूंछ की लड़ाई में अभी भी कहीं कोई कमी नहीं। बहरहाल, रिंग में जमे पूर्व सीएम हरीश रावत व प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह के बीच वन टू वन फाइट जारी है। जमकर तालें ठोकी जा रही है।

हाल ही में दिल्ली में एक टेबल पर बैठे राहुल गांधी, हरीश रावत व प्रीतम सिंह ने उत्त्तराखण्ड कांग्रेस के पुनर्गठन को लेकर माथापच्ची की। कोई हल तो नही निकला। लेकिन दिलों में जमा दर्द खूब बाहर निकला। राहुल ने दोनों की सुनी।

हरीश रावत ने उन पर हो रहे प्रहार के लिए पार्टी के ही पूर्व विधायक रंजीत रावत का नाम लिया। लेकिन राहुल की टेबल पर प्रीतम सिंह ने तत्काल यह भी साफ कर दिया कि  पूर्व विधायक रंजीत रावत तो हरदा के 35 साल से सबसे खास थे। उनके नंबर वन कमांडर थे। पूर्व विधायक आज हरीश रावत के साथ नहीं है। तो यह उनकी ही कमी होगी।

हाईप्रोफाइल सिटिंग में फिर एक और नाम सामने आया जो लगातार हरीश रावत पर सोशल मीडिया पर प्रहार कर थे हैं। हरीश रावत के इस आरोप को प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने यह कहकर खारिज किया कि वो व्यक्ति  कांग्रेस पार्टी में ही नहीं है।

बैठक में हरीश-प्रीतम के बीचबढ रही तल्खी धीरे धीरे फिजां में घुलने लगी थी।
राहुल गांधी दोनों नेताओं के बीच फूट चिंगारी को लेकर चिंतित व चौकन्ने भी नजर आए। हरीश के दर्द के बाद बात निकली तो प्रीतम सिंह ने भी अपने तीर निकाले। कहा कि, वे स्वंय भी हरीश रावत के साथ रहे। उनके ही कहने पर नारायण दत्त तिवारी से लेकर अन्य नेताओं का विरोध किया।

आखिरी जंग- DO OR DIE

राहुल गांधी के सामने यह भी साफ किया गया कि आज हरीश रावत उनका ही विरोध कर रहे है। यही नही,यह भी बात निकली कि हरीश रावत की नारायण दत्त तिवारी, इंदिरा ह्रदयेश, सतपाल महाराज, विजय बहुगुणा, हरक सिंह रावत आदि से लगातार ठनी रही।

इस खास बैठक में बहुत से मुद्दे उठे। सल्ट उपचुनाव में पार्टी की हार के जिक्र के अलावा प्रीतम सिंह के लगातार पांच बार विधायक चुने जाने (2017 की मोदी लहर में भी) को योग्यता के पैमाने पर कसा गया।

यही नहीं, पूरी तैयारी से गये प्रीतम सिंह ने अपने पिता स्वर्गीय गुलाब सिंह जी के स्वर्गीय जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी व राजीव गांधी से पुराने सम्बन्धों के तथ्य भी रखे। माहौल भावुक भी हुआ। दोनों नेताओं ने अपनी अपनी पसंद के फार्मूले रखे।  राहुल ने दोनों की खूब सुनी लेकिन फैसला सुरक्षित रखा। सूत्रों का कहना है कि भाजपा के बदलाव के बाद कांग्रेस नेतृत्व भी सभी फार्मूलों पर मंथन के बाद फैसला लेगा।

भाजपा में बदलाव, कांग्रेस के फार्मूले तैयार

उत्त्तराखण्ड भाजपा में जुलाई माह में हुए सीएम फेरबदल के बाद नैनीताल-ऊधम सिंह नगर लोकसभा सीट से सांसद अजय भट्ट को केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह मिलने के बाद राजनीतिक समीकरण एकाएक बदल गए। इससे पूर्व, जून में नेता प्रतिपक्ष डॉ इंदिरा ह्रदयेश के निधन के बाद कांग्रेस को भी नये नेता प्रतिपक्ष का चुनाव करना है।

कभी हमसे तुमको जो करार था तुम्हें याद हो के न ब याद हो

बीते लंबे समय से प्रदेश कांग्रेस के बीच जारी कश्मकश में फैसला लटका हुआ है। यह भी संभावना बन रही है कि ज्यादा फेरबदल न करते हुए यथास्थिति बरकरार रखी जाय।

फार्मूला no 1


इस फार्मूले के तहत प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह व उप प्रतिपक्ष नेता करण माहरा अपनी सीट पर कायम रहें। पूर्व सीएम हरीश रावत को चुनाव अभियान की कमान सौंप दी जाय। और ब्राह्मण कोटे से मनीष खंडूडी को AICC में कोई महत्वपूर्ण जिंम्मेदारी दे दी जाय। यह प्रस्ताव सोनिया गांधी के पास भिजवाया गया है।

फार्मूला no 2

पार्टी के अंदर उभरे सुझाव के मुताबिक कांग्रेस अध्यक्ष की बागडोर ब्राह्मण नेता गणेश गोदियाल, किशोर उपाध्याय, नवप्रभात, हेमेश खर्कवाल या मनोज तिवारी में से किसी को सौंप दी जाय। और प्रीतम सिंह प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी छोड़ इंदिरा ह्रदयेश के निधन के बाद रिक्त नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी पर आसीन हो जाय। और हरीश रावत को चुनाव अभियान समिति की बागडोर दे दी जाय।

फार्मूला no 3

प्रीतम गुट की कोशिश है कि भाजपा के नये सीएम पुष्कर सिंह धामी की ताजपोशी के बाद खटीमा के भुवन कापड़ी को प्रदेश अध्यक्ष बना दिया जाय। 2017 के विधानसभा चुनाव में कापड़ी व धामी के बीच चुनावी जंग हो चुकी है। यह प्रस्ताव भी सोनिया गांधी के विचारार्थ है।

फार्मूला no 4

अध्यक्ष के साथ दो कार्यकारी अध्यक्ष बना दिये जायँ। एक गढ़वाल व दूसरा कुमायूँ से। लेकिन कार्यकारी अध्यक्ष बनाने का फार्मूला दिल्ली व पंजाब में सफल नहीं रहा था।

फिलवक्त, कांग्रेस में दोनों गुट अपने अपने स्टैंड पर कायम है। लंबे समय से गुटों के समर्थक नेता भी दिल्ली में राहुल गांधी से अपने मन की कह चुके हैं। कुछ नेताओं ने हरीश को भी अध्यक्ष बनाने की मांग की।

इधर, कुछ दिन पहले राहुल गांधी के साथ आमने सामने बैठे हरीश रावत व प्रीतम सिंह भी अपने अपने दिल की कह चुके हैं। दिल्ली मंथन के बाद कांग्रेसी पिटारे से निकलने वाले नेताओं के नाम का ऐलान होना बाकी है। भाजपा में हुए बदलाव के बाद कांग्रेस के इस अपरिहार्य संभावित बदलाव या यथास्थिति पर सभी की नजरें टिकी है।

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