आय से अधिक संपत्ति के मामले में हाईकोर्ट के जज रविन्द्र मैठाणी ने बेल बांड खारिज किया
आय से अधिक संपत्ति का मामला
अविकल उत्त्तराखण्ड
नैनीताल। नैनीताल हाईकोर्ट ने शनिवार को भ्र्ष्टाचार के मामले में उत्त्तराखण्ड के पूर्व आयकर आयुक्त श्वेताभ सुमन को आय से अधिक संपत्ति के मामले में सजा बरकरार रखी।कोर्ट ने श्वेताभ सुमन सहित डॉ अरुण कुमार सिंह व विक्रम सिंह की बेल बांड खारिज करते हुए सभी को हिरासत में लेने के आदेश दिए हैं। जुर्माना अदा नहीं करने पर श्वेताभ सुमन की 5 साल की सजा बरकरार रखते हुए 2 महीने की सामान्य सजा के आदेश दिए।
हाईकोर्ट के जज रविन्द्र मैठाणी के आदेश के अनुसार इसके अलावा डॉ अरुण कुमार सिंह व राजेन्द् विक्रम सिंह को पूर्व की सजा बहाल करते हुए 4-4 महीने जेल की सामान्य सजा सुनायी ।
स्पेशल जज प्रिवेंशन ऑफ क रप्शन (सीबीआई) देहरादून ने 13 फरवरी 2019 को सात साल की सजा सुनाई थी। यही नहीं, तीन करोड़ सत्तर लाख चौदह रुपया का जुर्माना भी लगाया था।
क्या है श्वेताभ सुमन का मामला
एक गुमनाम शिकायती पत्र के आधार पर आयकर अधिकारी श्वेताभ सुमन पर दिल्ली में मुकदमा दर्ज हुआ था।
2015 में सीबीआई ने तत्कालीन सयुंक्त आयकर अधिकारी के 14 ठिकानों पर छापा मारा था। आयकर अधिकारी के पास आय से 337 प्रतिशत अधिक संपत्ति का पता चला। गाजियाबाद, झारखंड, बिहार व देहरादून में पायी गयी संपत्ति अपनी माता व जीजा के नाम कर रखी थी। उन्होंने अपनी मा गुलाबो देवी के नाम दिल्ली में एक होंडा सिटी कार भी फाइनेंस कराई थी। लेकिन दस्तावेज में गड़बड़ी करते हुए फोटो अपनी मां की और पेपर किसी अन्य संपत्ति के लगाए गए थे।
सीबीआई जांच में यह भी पता चला कि श्वेताभ सुमन ने गरीबों की मदद के लिए अरविंद सोसायटी का रजिस्ट्रेशन कराया था, जिसमें उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए लोगों से दान डलवाया। बाद में अपने रिश्तेदारों के खाते में ट्रांसफर कर लिया।
सीबीआई कोर्ट में अभियोजन पक्ष की तरफ से 255 और बचाव पक्ष की तरफ से आठ गवाह भी पेश किए गए थे। कोर्ट ने इनकी माता को एक साल, जीजा, दो दोस्तो को चार चार साल की सजा सुनाई थी। इस आदेश के खिलाफ इन्होंने हाइकोर्ट ने अपील की थी।
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