धोखाधड़ी व ‘हत्या’ में उत्त्तराखण्ड के आईपीएस समेत कई निशाने पर


गंभीर आरोप’: सुप्रीम कोर्ट ने करोड़ों रुपये के घोटाले में आईपीएस अधिकारी के खिलाफ जांच की मांग वाली याचिका वापस लेने के अनुरोध को अस्वीकार करते हुए नोटिस जारी किया

बीते साल अगस्त 2021 में व्हिसल ब्लोवर मोहन सिंह की हत्या को सड़क दुर्घटना का रूप दिया गया था

लाइव ला से साभार/अविकल उत्त्तराखण्ड

नई दिल्ली। बैंक के साथ मिलकर एक्सपोर्ट-इम्पोर्ट के कारोबार में करोड़ों रुपए की धोखाधड़ी करने और इस मामले की जांच के लिए केंद्रीय सतर्कता आयोग व सीबीआई का दरवाजा खटखटाने वाले मोहन सिंह की ‘हत्या’ (सड़क दुर्घटना में मौत) के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने याचिका वापस लेने के अनुरोध को अस्वीकार करते हुए आरोपियों को तगड़ा झटका दिया है।

इस याचिका में उत्त्तराखण्ड के प्रमोटी आईपीएस अमित श्रीवास्तव उनके साथियों जिनमें गीतिका क्वीरा, अपूर्व जोशी, यूनियन बैंक के ऑफ़िसर्स, एक चार्टर्ड एकाउंटेंट और दरोगा श्याम सिंह पर करोड़ों के गोलमाल और व्हिसल ब्लोवर की सड़क दुर्घटना में हत्या कराने का आरोप लगाया है।

सीजेआई एनवी रमाना, जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ ने “आपने इस तरह के गंभीर आरोप लगाए हैं” यह टिप्पणी तब की जब याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने के लिए याचिका वापस लेने की मांग की।

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मंगलवार को याचिकाकर्ता के मामले को वापस लेने के अनुरोध की अनुमति देने से इनकार करते हुए एक रिट याचिका में नोटिस जारी किया, जिसमें उत्तराखंड के एक आईपीएस अधिकारी द्वारा कथित रूप से किए गए कई करोड़ बैंक घोटाले और एक व्हिसल ब्लोअर की कथित हत्या की जांच की मांग की गई थी।

इस याचिका में प्रमोटी आईपीएस अमित श्रीवास्तव और उनके साथियों जिनमें गीतिका क्वीरा, अपूर्व जोशी और यूनियन बैंक के ऑफ़िसर्स, एक चार्टर्ड एकाउंटेंट और दरोगा श्याम सिंह पर करोड़ों के गोलमाल और व्हिसल ब्लोवर की सड़क दुर्घटना में हत्या कराने का आरोप लगाया है।

भारत के मुख्य न्यायाधीश ने नोटिस जारी करते हुए पूछा, “आपने उन लोगों को क्यों नहीं जोड़ा जिनके खिलाफ आपने एक पक्षकार के रूप में आरोप लगाए हैं?” एडवोकेट राज किशोर चौधरी के माध्यम से दायर वर्तमान याचिका में समाज के सभी वर्गों को प्रभावित करने वाले बड़े पैमाने पर निर्यात / आयात लाभ घोटाले से जुड़े करोड़ों रुपये के बैंकिंग धोखाधड़ी और व्हिसल ब्लोअर की हत्या से संबंधित अपराधों की जांच के लिए निर्देश देने की मांग की गई है, जिसके परिणामस्वरूप याचिकाकर्ता पहले ही क्रूर हो चुका है


याचिकाकर्ता के अनुसार, मोहन सिंह नामक व्यक्ति ने पिछले साल अगस्त में सीबीआई और केंद्रीय सतर्कता आयोग दोनों से शिकायत की थी और उत्तराखंड के एक पुलिस अधिकारी के बड़े पैमाने पर आर्थिक अपराधों, आय से अधिक संपत्ति और बेनामी कंपनियों की जांच की मांग की थी। हालांकि, सिंह की हत्या कर दी गई और इसे ‘दुर्घटना’ बताते हुए कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई। याचिकाकर्ता यूपी के निवासी निशांत रोहल ने तर्क दिया है कि यूनियन बैंक ऑफ इंडिया का एक बड़ा ऋण धोखाधड़ी अधिकारी और उसके सहयोगियों द्वारा आपराधिक साजिश, जालसाजी, धोखाधड़ी, आपराधिक विश्वासघात और आपराधिक कदाचार के माध्यम से किया गया।

याचिकाकर्ता ने धोखाधड़ी की जांच की मांग करते हुए केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) के पास एक जनहित प्रकटीकरण और मुखबिरों की सुरक्षा (PIDPI) शिकायत दर्ज कराई। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया है कि पीआईडीपीआई प्रस्ताव के तहत व्हिसल ब्लोअर की शिकायत दर्ज करने के बाद, अधिकारी ने बड़े पैमाने पर घोटाले के अन्य लाभार्थियों के साथ मिलीभगत कर उक्त बेनामी कंपनियों का दिवाला और दिवालियापन शुरू कर दिया है। इसलिए याचिकाकर्ता ने पुलिस अधिकारी और उसके सहयोगियों के खिलाफ सीवीसी से उनके और अन्य सभी व्हिसल ब्लोअर द्वारा दायर शिकायत पर की गई कार्रवाई रिपोर्ट पेश करने के निर्देश मांगे हैं।

मामले की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) के गठन के लिए निर्देश मांगे गए हैं। याचिकाकर्ता ने आगे केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) / दिल्ली पुलिस को निर्देश देने की मांग की है, जिसके पास वर्तमान बैंक धोखाधड़ी मामलों की जांच के लिए एक विशेष शाखा है। याचिका में सीवीसी और सीबीआई के साथ कथित रूप से गोपनीय शिकायत दर्ज कराने के बाद शांतिपुर राजमार्ग पर 21.08.2021 को मारे गए व्हिसल ब्लोअर मोहन सिंह की कथित हत्या में प्राथमिकी दर्ज करने की भी मांग की गई है। याचिकाकर्ता ने शिकायतकर्ताओं और गवाहों की पहचान की सुरक्षा के लिए निर्देश देने की भी मांग की है।

केस का शीर्षक: निशांत रोहल बनाम भारत संघ एंड अन्य, WP(Crl) 101/2022

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