उत्तराखंडी फिल्मी गीतों में भी घोली है प्रसिद्ध गायक सुरेश वाडेकर ने मिठास

जन्मदिन आज- पहाड़ से जुड़कर और प्राकृतिक हो जाती है सुरेश वाडेकर की आवाज


विपिन बनियाल/अविकल उत्तराखंड


-सुरेश वाडेकर, बॉलीवुड के एक ऐसे गायक, जिनकी आवाज वर्षों से जानी-पहचानी और भरोसेमंद हैं। धीर-गंभीर और शास्त्रीय आवाज में सुरेश वाडेकर ने जब गाया, जो गाया, वह दिलों को छू गया। सुरेश वाडेकर की आवाज जब-जब पहाड़ से जुड़ी, तो और प्राकृतिक हो गई। हर बार ऐसा लगा, जैसे पर्वतों में वसंत ने दस्तक दे दी हो। बॉलीवुड के नामचीन गायक सुरेश वाडेकर का सात अगस्त को जन्मदिन है। यह वह मौका है, जबकि हम उन्हें दिल से शुभकामनाएं दें, उनकी लंबी आयु की कामना करे। साथ ही, उत्तराखंडी फिल्मों में उनके गाए एक से बढ़कर एक शानदार गीतों की चर्चा भी करें। क्योंकि ये गीत उत्तराखंड के लिए सुरेश वाडेकर की तरफ से बेशकीमती तोहफों की तरह हैं, जिन्हें हम हमेशा संजोकर रखना चाहेंगे।


बहुत से लोग मानते हैं कि सुरेश वाडेकर ने गढ़वाली में सिर्फ दो गाने गाए हैं और वो भी कौैथिग फिल्म में। मगर यह सच्चाई नहीं है। कौथिग के अलावा फयोंली और जन्मू का साथ जैसी गढ़वाली फिल्मों में भी सुरेश वाडेकर ने बेहतरीन गाने गाकर संगीत के रंगों को और खूबसूरत बनाया है।


सुरेश वाडेकर की आवाज को सबसे पहले गढ़वाली गानों के साथ जोड़ने का श्रेय नरेंद्र सिंह नेगी को जाता है। वर्ष 1985 में राज कपूर की फिल्म राम तेरी गंगा मैली में सुरेश वाडेकर ने ही सारे गाने गाए थे। पहाड़ी टच लिए इन गानों को सुरेश वाडेकर ने जिस बेहतर अंदाज में गाया था, उसने तमाम लोगों के साथ नरेंद्र्र सिंह नेगी को भी प्रभावित किया था।

इसीलिए वर्ष 1986 में रिलीज हुई कौथिग फिल्म में नरेंद्र सिंह नेगी को जब संगीतकार बतौर काम करने का अवसर मिला, तो उन्होंने मंुबई में सुरेश वाडेकर से मुलाकात कर उन्हें गाना गाने के लिए रजामंद कर दिया। कौथिग में उन्होंने सुषामा श्रेष्ठ के साथ गढ़वाली में गाने गाए। अपणी तौ शरम्याली आंख्यूं और ताछुमा ताछुमा। यह दोनों ही गीत खूब लोकप्रिय हुए।

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अस्सी के दशक में ही कौथिग के बाद सुरेश वाडेेकर से गढ़वाली गाने गंवाने का दूसरा प्रयास किया, संगीतकार और गायक कैलाश थलेड़ी ने। जन्मू कू साथ शीर्षक वाली गढ़वाली फिल्म के लिए सुरेश वाडेकर ने दो गाने रिकार्ड कराए।

ये दोनों गाने भी सुरेश वाडेकर की आवाज में निखरकर सामने आए, जिसमें से एक में उनकी सहगायिका सुषमा श्रेष्ठ ही रही। उर्मि नेगी की फयोंली फिल्म में अनुपमा देशपांडे के साथ सुरेश वाडेकर की आवाज में एक और गढ़वाली गाना उत्तराखंडी फिल्म संगीत में किसी धरोहर की तरह दर्ज है। सुरेश वाडेकर की आवाज में उत्तराखंडी फिल्म संगीत के इन गानों से बातों को आप यदि और विस्तार से जानना चाहते हैं, तो यू ट्यूब चैनल धुन पहाड़ की जरूर देखें।

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