रंगमंच से फिल्मी दुनिया में नहीं आना चाहते थे बलदेव राणा
अविकल उत्तराखंड/विपिन बनियाल
-उत्तराखंडी सिनेमा में बलदेव राणा किसी परिचय के मोहताज नहीं है। उनकी प्रतिभा के सभी कायल हैं। ज्यादातर फिल्मों में खलनायिकी करने के बावजूद उन्हें किसी भी नायक के मुकाबले दर्शकोें का कहीं ज्यादा प्यार नसीब हुआ है। बेटी-ब्वारी, बंटवारू, कौथिग, मेरी गंगा होली त मैमू आली जैसी कई फिल्मों में बलदेव राणा के किरदार नेगेटिव शेड्स लिए हुए थे, लेकिन उनकी अदाकारी का जलवा लोगों के सिर चढ़कर बोला।
चक्रचाल, भुली ओ भुली जैसी फिल्मों में वह नायक थे और अदाकारी के बेहतरीन रंगों के साथ उन्होंने दर्शकों के दिलों में राज किया। इन स्थितियों के बीच, कौथिग के सरतू लाला के किरदार ने उन्हें सबसे पहले लोगों के बीच में एक खास पहचान दी। कह सकते हैं कि सरतू लाल के किरदार को प्रभावी ढंग से निभाने के बाद ही फिल्मी दुनिया में बलदेव राणा की गाड़ी चल पड़ी।
देखें बलदेव राणा की कहानी
बलदेव राणा को लोगों के सामने जाने-माने निर्देशक चरण सिंह चौहान लेकर आए। उन्होंने राणा को एक नाटक करते हुए देखा था। वह उनकी अदाकारी से प्रभावित हुए थे और फिर उन्होंने ही राणा को फिल्मी दुनिया का रास्ता दिखला दिया। हालांकि यह दिलचस्प बात है कि रंगमंच से फिल्मी दुनिया में बलदेव राणा आना नहीं चाहते थेेे। बलदेव राणा के फिल्मी सफर की विस्तृत जानकारी के लिए देखिए यू ट्यूब चैनल धुन पहाड़ की।
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