प्रज्ञा आर्ट्स इन वीर गाथाओं को नाटक,कहानी व वार्ता के जरिये आम जन तक पहुंचाएंगे
…उन्हेँ जानना होगा कि वो किनके वंशज है.. वो लोग जिन्होंने माटी के प्यार की खातिर अनेकों कुर्बानियों दी। उन्हें पता होना चाहिए कि उनका इतिहास कितना वीरता व कुर्बानियों से भरा हुआ है, वो किस मिटटी मैं पैदा हुए है ..उनके अंदर किन वीरों का लहू दौड़ रहा है उन्हें अपने पूर्वजों पर अभिमान होना चाहिए। अपने पूर्वजों का जिक्र सुनकर उनकी आंखों में भी चमक दिखनी चाहिए..
अविकल उत्त्तराखण्ड
प्रज्ञा आर्ट्स थिएटर ग्रुप उत्त्तराखण्ड के वीर योद्धाओं की शौर्य गाथाओं को नयी पीढ़ी से रूबरू कराएगी। अपने कैलेंडर के जरिये उत्तराखंड के योद्धाओं की वीर गाथाओं को नाटक, कहानी व वार्ताओं के जरिये लोगों तक पहुँचाने की कार्ययोजना तैयार की गई है।
शौर्य, स्वाभिमान, देशभक्ति और संतोष ” इन्हीं गुणों से सराबोर है उत्तराखंड का अतीत, वर्तमान और यहाँ की गौरव गाथाएँ। और यही बात उत्तराखंड की नई पीढ़ी तक पहुँचाना इस प्रज्ञा आर्ट्स की परियोजना का मुख्य उद्देश्य है।
प्रज्ञा आर्ट्स की अवधारणा व परियोजना निदेशक लक्ष्मी रावत का कहना है कि आज की हमारी नई पीढ़ी के पास बहुत सारी शिकायतें तो हैं लेकिन उन शिकायतों को दूर करने के लिए जज़्बा नहीं है। इसलिए उन्हेँ जानना होगा कि वो किनके वंशज है। वो लोग जिन्होंने माटी के प्यार की खातिर अनेकों कुर्बानियों दी। उन्हें पता होना चाहिए कि उनका इतिहास कितना वीरता व कुर्बानियों से भरा हुआ है, वो किस मिटटी मैं पैदा हुए है, उनके अंदर किन वीरों का लहू दौड़ रहा है उन्हें अपने पूर्वजों पर अभिमान होना चाहिए। अपने पूर्वजों का जिक्र सुनकर उनकी आंखों में भी चमक दिखनी चाहिए।
जीतू बगड्वाल एवं तीलू रौतेली इसी परियोजना के तहत किये गए नाटक है। तीलू रौतेली नाटक को भारतेन्दु नाट्य महोत्सव, साहित्य कला अकादमी, दिल्ली सरकार ने 2018 के बेहतरीन नाटकों की श्रृंखला में जोड़ा वहीँ उत्तराखंड दिवस पर तीलू रौतेली की दो प्रस्तुतियां करवाई गई। उत्तराखंड के सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इन नाटकों का अपने फ़ोन से सीधा प्रसारण किया गया जिसे करीब 15 हजार से ज्यादा लोगों ने देखा।
लक्ष्मी रावत ने बताया कि
बस यहीं से शुरआत हुई कि शौर्य गाथा परियोजना में नाटक के अलावा कुछ और भी किया जाए और कैलेंडर बनाने का विचार बना। चूँकि प्रज्ञा आर्ट्स एक थिएटर ग्रुप है। हम अपनी बात व सोच अपने नाटकों के जरिए ही दिखाते हैं इसलिए इस कैलेंडर में भी हमने अपने वीर-भड़ों को एक मंचीय परिवेश में दिखाया है ।
कैलेंडर में हमने सभी वीरों की कहानी दी है। फिर लगा अगर सबकुछ लिख देंगे तो सब पढ़ कर भूल जायेंगे। सिर्फ उतना लिखते हैं जो मन में अधिक जानने की, अधिक पढ़ने की जिज्ञासा पैदा करे । और जब खुद से कोई पढ़ना और जानना चाहेगा तो खोजेगा, पूछेगा और ढूंढेगा। यही हमारा उद्देश्य है इस कैलेंडर को बनाने का । अंतिम पेज में उत्तराखंड के त्यौहारों और मेलों के बारे में भी थोड़ी जानकारी देनी की एक कोशिश की गई है।
उन्होंने बताया कि युवा प्रणेश असवाल ने कुछ समय पहले ही फोटोग्राफी का कोर्स पूरा किया है। कैलेंडर के लिए फोटो प्रणेश ने ही क्लिक की हैं। प्रज्ञा ने श्रृंगार और वेशभूषा का जिम्मा लिया जिसमें प्रज्ञा आर्ट्स से सोनाली मिश्रा और रीना रतूड़ी ने साथ दिया। वहीँ अमन शर्मा, राजू राजे सिंह, विक्रांत, राम और किरण ने अन्य जिंम्मेदारी संभाली। कैलेंडर को डिज़ाइन करने में मंगल सिंह मौर्य और मल्टीप्लेक्स की टीम द्वारा रात दिन की मेहनत और नतीजा कैलेंडर के रूप में आपके सामने है।
इस सफ़र में साथ देने के लिए पलायन एक चिंतन के संयोजक रतन सिंह असवाल, गोपाल रतूड़ी- मल्टीप्लेक्स (इंडिया), संदीप शर्मा, वरिष्ठ अधिवक्ता उच्च न्यायालय एवं दलबीर सिंह रावत संरक्षक प्रज्ञा आर्ट्स ने समय समय पर हमारी संकल्पना को मूर्त रूप देने में सहयोग किया।
प्रज्ञा आर्ट्स के बारे में
प्रज्ञा आर्ट्स एक पंजीकृत थिएटर ग्रुप है, जो कला और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए समर्पित है। प्रज्ञा आर्ट्स एक संस्था है जहाँ विभिन्न पृष्ठभूमि वाले लोग, जो रंगमंच को एक प्रयोग के रूप में, एक प्रक्रिया के रूप में आगे बढ़ाने के लिए प्रज्ञा आर्ट्स नाम की एक छतरी के नीचे सतत प्रयासरत है ।
प्रज्ञा आर्ट्स हमेशा से उत्तराखंड से जुड़े मुद्दों पर नाटक करता रहा है। वहाँ की मिट्टी, कहानियाँ व समस्याओं पर प्रज्ञा आर्ट्स के कई नाटकों को उत्तराखंड ही नहीं बल्कि दूसरी भाषाओं के लोगों के दिलों पर भी अपनी छाप छोड़ी।
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