साइबर क्राइम- राजस्थान से साइबर ठग गिरोह के दो अपराधी गिरफ्तार

एसटीएफ और कुमाऊं साइबर पुलिस स्टेशन की बड़ी कार्रवाई


गिरफ्तार अभियुक्तों के पास से मोबाइल फोन और बड़ी संख्या में आधार कार्ड बरामद

देहरादून। एसटीएफ और कुमाऊं साइबर पुलिस स्टेशन ने OLX पर सामान बेचने के नाम पर लोगों से धोखाधड़ी करने वाले एक संगठित गिरोह के सरगना सहित दो शातिर अपराधियों को राजस्थान के दुर्गम क्षेत्र मेवात से गिरफ्तार किया है। पुलिस ने उनके कब्जे से एक मोबाइल फोन और कई आधार कार्ड बरामद किए हैं।


एसटीएफ एसएसपी अजय सिंह ने बताया कि ऋषिकेश निवासी सोहन सिंह ने साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन को प्रार्थना पत्र देकर बताया कि उन्होंने OLX पर एक कार का विज्ञापन देखकर उसे खरीदने के लिए उस पर लिखे मोबाइल नम्बर पर सम्पर्क किया। मोबाइल फोन रिसीव करने वाले ने स्वयं को भारतीय सेना में बताते हुये शिकायतकर्ता को झांसे मे लेकर कार बेचने के नाम पर 1,43,147 रुपए ठग लिए। साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन देहरादून ने आईपीसी की धारा 420, 120बी व 66(डी) आईटी एक्ट में मुकदमा दर्ज कर मामले की विवेचना साइबर थाना कुमाऊं के निरीक्षक ललित मोहन जोशी को सौंपी। थाना साइबर क्राइम कुमाऊं परिक्षेत्र ने मामले की विवेचना के लिए पुलिस टीम का गठन किया।


पुलिस टीम ने अभियुक्तों द्वारा प्रयुक्त मोबाइल और शिकायतकर्ता से जिन बैक खातों में धनराशि प्राप्त की, की जांच की तो वे राजस्थान के मेवात क्षेत्र के निकले। अभियुक्तो की गिरफ्तारी के लिए पुलिस टीम राजस्थान गई, जहां घटना के मास्टरमाइंड राहुल पुत्र युनुस खां निवासी ग्राम लालपुर, भरतपुर और और सलमान पुत्र रूजदार उर्फ रोजेदार निवासी ग्राम लुहेसर, भरतपुर, राजस्थान को गिरफ्तार किया। अभियुक्त शातिर किस्म के साइबर अपराधी हैं। जिनके द्वारा विभिन्न राज्यो के कई व्यक्तियो को इसी प्रकार ठगी का शिकार बनाया गया है ।

अपराध का तरीका


गिरफ्तार अभियुक्तों ने पूछताछ में बताया कि वह OLX पर आर्मी वालों द्वारा अपने वाहन बेचने के लिए डाले गये असली विज्ञापन को सर्च कर उनसे ग्राहक बनकर बातकर व्हाट्सएप चैट सें उनके असली आईडी, कैण्टीन स्मार्ट कार्ड, वाहन की फोटो, रजिस्टेशन व इंश्योरेंश आदि जरूरी सभी कागजातों को डाउनलोड करके अपने भिन्न-भिन्न मोबाइलों में सेव कर इन असली डाक्यूमेण्ट्स के आधार पर ओएलएक्स में अपनी फर्जी आईडी बनाकर विज्ञापन डालकर उसमें अपना मोबाईल नंबर लिख देते हैं। इसके बाद जरूरतमंद लोग हमसे ओएलएक्स पर तथा विज्ञापन पर अंकित हमारे मोबाईल नंबर पर सम्पर्क करते हैं तो हम उन्हें सस्ते में वाहन बेचने के नाम पर अपने झांसे में लेकर ऐसे लोगों से धोखाधड़ी कर वाहन की डिलीवरी देने, पार्सल चार्ज आदि अलग अलग बहानों से धनराशि पेटीएम खातों में में प्राप्त कर अपने या परिचितो के बैंक खातों में ट्रांसफर कर एटीएम विड्राल कर आपस में बराबर बांटकर आर्थिक लाभ कमाकर अपने शौक पूरा कर लेते है । अभियुक्तगणों द्वारा विकास पटेल के नाम के आधार कार्ड, आर्मी कैण्टीन स्मार्ट कार्ड, ड्राईविंग लाईसेंस, जैसलमेर टू देहरादून के इण्डियन आर्मी पार्सल स्लिप के नाम से विभिन्न प्रकार के वाहन दिखाकर ओएलएक्स फ्राड कर छोटे छोटे अमाउण्ट में अलग-अलग किश्तों में धनराशि प्राप्त की जाती है ।

Bermuda Triangle :

बरमुडा ट्राइएंगल, ये नाम तो आपने सुना होगा। यहां से गुजरने वाले किसी जहाज का आजतक नहीं पता चल पाया। रहस्य अनसुलझा ही है। ठीक ऐसे ही साइबर क्राइम की दुनिया में भी भारत में एक बरमुडा ट्राइएंगल है। जिसे हम साइबर ट्राइएंगल (Cyber Triangle) कह सकते हैं। ये तीन अलग-अलग राज्यों के बॉर्डर से घिरा एरिया है। जो एक दूसरे के काफी आसपास हैं और इनके बीच के सुनसान स्थान या जंगल या पहाड़ी में रहकर साइबर क्रिमिनल देशभर में ठगी कर रहे हैं। इसी साइबर ट्राइएंगल से वर्तमान में देश के 70 प्रतिशत से ज्यादा साइबर क्राइम की घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा है।

पुलिस के लिए कैसे चुनौती बन रहा है ब्लैक स्पॉट साइबर ट्राइएंगल


साइबर क्राइम को लेकर झारखंड के जामताड़ा के बारे में आज हर कोई जानता है। लेकिन मिनी जामताड़ा बन चुका है ये साइबर ट्राइएंगल एरिया। इस बारे में साइबर एक्सपर्ट रक्षित टंडन बताते हैं कि साइबर ट्राइएंगल एक तरह से ब्लैक स्पॉट बॉर्डर एरिया (Black Spot Border Area) बन चुका है। ये एरिया तीन अलग-अलग राज्यों के तीन इलाकों से घिरा है। हरियाणा का नूंह (मेवात), यूपी का मथुरा और राजस्थान का भरतपुर। इन तीनों इलाकों के बीच के एरिया में जो मोबाइल टावर की रेंज है वही ब्लैक स्पॉट एरिया है।

मतलब ये कि अगर तीनों के बीच वाली जगह से कोई फोन करता है तो ये पता कर पाना मुश्किल है कि अपराधी किस राज्य में रहकर घटना को अंजाम दे रहा है। इन तीनों एरिया के बीच में पहाड़ियां और जंगल भी हैं। ऐसे में साइबर क्रिमिनल की असली लोकेशन का पता लगाकर पकड़ना पुलिस के लिए भी आसान नहीं है। लिहाजा, ये एरिया ठीक वैसे ही रहस्य बनकर खो जाता है जैसे बरमूडा ट्राइएंगल का रहस्य नहीं पता चलता है। जिसकी वजह से ये एरिया साइबर क्रिमिनल के लिए जामताड़ा से भी ज्यादा सुरक्षित बन चुका है और मददगार भी।

जानें, क्या है इन साइबर क्रिमिनल का बैकग्राउंड


ये तीनों एरिया नूंह (मेवात), भरतपुर और मथुरा का देवसेरस काफी पहले से क्रिमिनल बैकग्राउंड का रहा है। यहां के गैंग पहले साइबर क्रिमिनल नहीं थे। पहले ये सोने की ईंट का झांसा देकर लोगों से लूटपाट करते थे। फोन कर किसी से कहते थे कि वे खेती करते हैं और खुदाई के दौरान सोने की ईंट मिली है। इसे वो बहुत कम रेट में देना चाहते हैं। इस लालच में जब कोई इनके गांव तक आ जाता था तब ये उसे अगवा कर परिवार वालों से फिरौती तक मांग लेते थे। उस समय भी इन क्रिमिनल का पूरा गांव साथ देता था। और आज जब ये साइबर क्राइम कर रहे हैं तो भी पूरा गांव साथ देता है। इसलिए इन्हें पकड़ना पुलिस के लिए चुनौती बनता जा रहा है।

दिन और रात दोनों टाइम में अलग-अलग साइबर क्रिमिनल कर रहे हैं फ्रॉड
OLX पर फ्रॉड


कुछ गैंग दिन में साइबर क्राइम को अंजाम देते हैं। ये दिनभर फेसबुक पर नकली प्रोफाइल बनाकर पैसे मांगते हैं या फिर OLX पर सामान बेचने या खरीदने के नाम पर खुद को आर्मी का बताकर फ्रॉड करते हैं। इनके अलावा True Caller से किसी का भी नंबर निकालकर उसका कोई पुराना दोस्त होने का बहाना बनाकर पैसे मांगने या उसके खाते में जमा कराने के नाम पर QR कोड भेजकर ठगी करते हैं।

फेसबुक हैकिंग


दरअसल, ये फेसबुक हैकिंग नहीं होती बल्कि हमारी ही गलतियों का फायदा उठाकर ये क्रिमिनल नकली फेसबुक आईडी बना लेते हैं। और फिर फेसबुक फ्रेंड्स को मैसेज कर इमरजेंसी के बहाने पैसे मांगते हैं। इसके अलावा ये किसी बड़े अधिकारी के फेसबुक का क्लोन बनाकर उनके प्रभाव में आने वाले लोगों को जोड़ते हैं और कुछ महीने बाद ट्रैप में लेकर ठगी करते हैं।

फेसबुक न्यूड वीडियो कॉल


ये आजकल खूब हो रहा है। इसमें दो तरह के लोग टारगेट होते हैं। एक एलिट क्लास और दूसरे मध्यम वर्ग। एलिट क्लास के लोगों के लिए साइबर क्रिमिनल स्मार्ट सेक्स वर्कर के सहारे लाइव वीडियो चैट करते हुए वीडियो तैयार कर लेते हैं और फिर ब्लैकमेल कर लाखों रुपये मांगते हैं।

दूसरा मध्यमवर्गीय लोगों के फेसबुक या इंस्टाग्राम पर उनकी डिटेल देखते हैं। अगर कोई Women में इंटरेस्ट दिखाता है और रात में ऑनलाइन रहते हुए फेसबुक पर अश्लील ग्रुप (जैसे देसी भाभी…) का मेंबर होता है तो वहां से टारगेट करते हैं और पहले दोस्ती और फिर पहले से रिकॉर्डेड या डाउनलोड किए हुए न्यूड वीडियो के जरिए फंसाकर ब्लैकमेल करते हैं।

पैसे वसूलने के लिए फेसबुक फ्रेंड्स को न्यूड वीडियो भेजने या फिर यू-ट्यूब पर डाले जाने की बात कहकर ब्लैकमेल करते हैं। यहां तक की अपने मोबाइल नंबर को True Caller की सेटिंग्स में क्राइम ब्रांच या फिर You Tube Crime के नाम से सेव करके ब्लैकमेल करने के लिए कॉल करते हैं। क्राइम ब्रांच के नाम पर ऑलाइन रेप का मामला बताकर पैसे मांगते हैं या फिर You Tube Crime के नाम पर कॉल करके कहते हैं कि आपकी न्यूड वीडियो यू ट्यूब पर वायरल हो रही है। अगर इसे यू ट्यूब से हटवाना है तो इतने रुपये फीस देनी पड़ेगी।

इसके अलावा वॉट्सऐप पर किसी लड़की की फोटो को कॉपी कर उसे न्यूड बनाकर भी ब्लैकमेल कर पैसे वसूलते हैं। इन सभी क्राइम को अंजाम देने के लिए ये लोग असम, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, झारखंड, तमिलनाडु या दूसरे राज्यों के फर्जी सिमकार्ड ले आते हैं और इस्तेमाल करते हैं ताकी पुलिस उन तक पहुंच ना सके। इसी तरह यूपी, बिहार और दूसरे राज्यों के बैंक खाते भी किराये पर ले लेते हैं और उसमें आए पैसों को कमीशन के तौर पर देते हैं।

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