उत्तरकाशी जिले उफनती नदी को कैसे पार कर पहुंचे सरबड़ियार गांव
…जब जान हथेली पर रख कर उत्तरकाशी जिले के सर बड़ियारगढ़ इलाके में पहुंची कोविड टीकाकरण टीम
मुश्किल नहीं है कुछ भी अगर ठान लीजिये
अविकल उत्त्तराखण्ड
सरबड़ियार, उत्तरकाशी। नीचे उफनती पहाड़ी नदी। आने जाने का कोई रास्ता नहीं। पीठ पर लदा 10 किलो का पिट्ठू। नदी कैसे पार करें। कोई पुलिया-पुल नहीं। सभी डींगें हांकने वाली सरकारों के गाल पर करारा तमाचा। नदी तो पार करनी ही है। कोरोना से मुकाबला जो करना है। उत्तरकाशी जिले के दुर्गम सरबड़ियार इलाके में टीकाकरण करने की चुनौती भी है। इन पहाड़ी महिलाओं व युवाओं के हौसले बेहद बुलंद। लेकिन मौसम व प्रकृति ने राह में बेहद कठिन चुनौती पेश कर दी है।
जरा पैर फिसला और गर्जन कर रही वेगमयी पहाड़ी नदी अपने आगोश में लेने को तैयार। दूर दूर तक बचाने वाला कोई नही।
देखें वीडियो, कैसे कोविड टीकाकरण टीम ने तना त टहनी पकड़ गर्जन तर्जन कर रही नदी को पार किया
एक बेहद चौकाऊं व रोंगटे खड़ी कर देने वाला यह वीडियो होश उड़ा देने के लिए काफी है। यह वीडियो उन अलंबरदारों के लिए भी एक सबक है जो कागजों में विकास की कहानी गला फाड़ फाड़ कर सुनाते है। उत्त्तराखण्ड के चप्पे चप्पे में बिखरी सरकारी मशीनरी की ये काहिली की कहानी की परत दर परत भी खोल रही है इन कोरोना योद्धाओं की निडरता व नेकनीयती की दास्तान।
नदी के ऊपर गिरे पेड़ का तना ही बरसाती नदी को पार करने का एकमात्र लेकिन जानलेवा साधन। एक तरफ साक्षात मौत और दूसरी तरफ ड्यूटी निभाने का कर्तव्य। फैसला इस छह सदस्यीय टीम को अपने स्तर पर ही करना था। यह खौफनाक मंजर बड़े से बड़े हौसले वालों के बढ़ते कदमों पर जंजीर डालने के लिए काफी था। नदी के पार कठिन पहाड़ी रास्तों को पार कर इंतजार में बैठे ग्रामीणों के कोविड टीकाकरण अभियान को कुछ दिन के लिए रोका जा सकता था।
नदी का बहाव कम होने का इंतजार किया जा सकता है। अधिकारियों को इस विषम परिस्थिति से वाकिफ कराया जा सकता था। नदी पार करने के लिए अस्थायी पुलिया आदि के निर्माण तक रुका जा सकता था। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। पहाड़ की इन मजबूत इरादों वाली जाबांज चार महिलाओं व दो युवाओं ने तो कुछ अलग ही करने की ठान ली थी।
कुदरत की चुनौती को सर माथे पर लिया और मौत की परवाह न करते हुए लकड़ी के तने पर पैर रख धीरे धीरे नदी को पार कर लिया। पहाड़ी से 25 मीटर नीचे बह रही नदी अपने पूरे शबाब पर थी। लगभग 30 मीटर के इस जोखिम से भरपूर सफर को मजबूत हौसलों के साथ पूरा किया।
इसके बाद हाथ में लाठी पकड़ पथरीले, उबड़ खाबड़ पहाड़ी रास्ते को गिरते पड़ते पार किया। ग्रामीणों को कोरोना का टीका लगाया। रजिस्टर में दर्ज किया और फिर उसी कठिन डगर से वापस भी लौटे।
मजबूत इरादों वाली श्रीमती – गीता नौटियाल आशा फैसिलिटेटर (टीमलीडर), बसन्ती असवाल ANM, पूनम, CHD बडियार, संगीता जोशी, ANM कोविड, सीटू, ग्राम प्रहरी सरगांव व अनुज वार्ड बॉय को सलाम। इस बहादुर टीम ने तेज बहाव नदी को मात देने के अलावा डींगें मारने वालों को भी दी करारी चोट।
यूँ तो कोरोनाकाल में सरकारों ने कई असली व फर्जी योद्धाओं का खूब सम्मान भी किया। इनकी आये दिन अखबारों में फोटो भी छप रही है। लेकिन उत्तरकाशी जिले के दूरस्थ सरबड़ियार इलाके में जान हथेली पर रख कोविड टीकाकरण करने वाली इस बहादुर टीम का कौन सम्मान करेगा जिनके हौसलों और दिलेरी के आगे ऊपर वाला भी नतमस्तक हो गया….
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