अधिक खतरनाक भवनों को पहले ध्वस्त किया जाय- मुख्य सचिव

जोशीमठ के मकानों में दरार का खतरा बढ़ा. अभी तक कुल 723 मकानों में आई दरार. जोशीमठ भू-धंसाव की वजह से मोबाइल टावर सुरक्षित स्थान में शिफ्ट होंगे व नए टावर लगाने के निर्देश

अविकल उत्तराखण्ड

जोशीमठ/देहरादून। नगर के भवनों में दरारें बढ़ती जा रही है। मंगलवार तक दरारयुक्त भवनों की संख्या 723 तक पहुंच गई। 131 परिवारों को अस्थाई रूप से विस्थापित किया गया है।

जोशीमठ नगर क्षेत्रान्तर्गत अस्थाई रूप से 1425 क्षमता के 344 राहत शिविर के साथ ही जोशीमठ क्षेत्र से बाहर पीपलकोटी में 2205 क्षमता के 491 कक्षों/हॉलों को चिन्हित किया गया है।

53 प्रभावित परिवारों को रू 5000.00 प्रति परिवार की दर से घरेलू सामग्री हेतु धनराशि वितरित की गयी है तथा 10 तीक्ष्ण/पूर्ण क्षतिग्रस्त भवनों के प्रभावितों को प्रति भवन 1.30 लाख की दर से धनराशि वितरित की गई। इसके साथ ही प्रभावित परिवारों को उनकी आवश्यकतानुसार खाद्यान्न किट एवं कंबल वितरित किये गये हैं, कुल 70 खाद्यान्न किट, 70 कम्बल एवं 570 ली. दूध प्रभावितों को वितरित किया गया है तथा कुल 80 प्रभावित व्यक्तियों का स्वास्थ्य परीक्षण भी किया गया है।

खतरनाक भवनों का ध्वस्तीकरण व परिवारों की शिफ्टिंग सरकार की प्राथमिकता में -सीएस

देहरादून
मुख्य सचिव डॉ. एस.एस. संधु ने मंगलवार को सचिवालय में जोशीमठ भू-धंसाव के सम्बन्ध में बैठक ली। मुख्य सचिव ने जिलाधिकारी चमोली से क्षेत्र की अद्यतन स्थिति की जानकारी ली। उन्होंने जिलाधिकारी चमोली को स्थिति पर लगातार नजर बनाए रखने के निर्देश दिए। कहा कि प्रभावित क्षेत्र को पूर्ण रूप से खाली करवाया जाए।

मुख्य सचिव ने कहा कि भूस्खलन से किसी प्रकार का जानमाल का नुकसान न हो इसके लिए सबसे पहले परिवारों को शिफ्ट किया जाए और उस बिल्डिंग को प्राथमिकता के आधार पर ध्वस्त किए जाए जो अधिक खतरनाक साबित हो सकती है। जिन स्थानों पर प्रभावित परिवारों को रखा गया है, उन स्थानों पर उनके रहने खाने की उचित व्यवस्था हो। साथ ही यह भी ध्यान रखा जाए कि प्रभावित नागरिकों एवं शासन प्रशासन के मध्य किसी प्रकार का कम्युनिकेशन गैप न हो। उच्चाधिकारी भी लगातार प्रभावित परिवारों के संपर्क रहें, और परिस्थितियों पर नजर बनाए रखें।

मुख्य सचिव ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि भू-धंसाव के कारण मोबाइल नेटवर्क भी प्रभावित हो सकता है। मोबाइल टावर अन्यत्र सुरक्षित स्थान में शिफ्ट कर अथवा नए टावर लगा कर संचार व्यवस्था को मजबूत बनाया जाए। उन्होंने कहा कि स्थानीय लोगों को साथ लेकर एक असेसमेंट कमिटी बनाई जाए। प्रतिदिन पूरे क्षेत्र में टीम भेज कर निरीक्षण करवाया जाए कि पिछले 24 घंटे में क्षेत्र में किस प्रकार का और कितना परिवर्तन हुआ हुआ है, जो भवन अधिक प्रभावित हैं उन्हें प्राथमिकता पर ध्वस्त किया जाए।

मुख्य सचिव ने कहा कि जोशीमठ के स्थिर क्षेत्र के लिए ड्रेनेज और सीवेज प्लान पर भी काम शुरू किया जाए। भवनों को ध्वस्त करने में विशेषज्ञों का सहयोग लिया जाए ताकि ध्वस्तीकरण में कोई अन्य हानि न हो। साथ ही, कंट्रोल रूम को 24 घंटे एक्टिव मोड पर रखा जाए, और आमजन को किसी भी प्रकार की आपात स्थिति में संपर्क करने हेतु प्रचार प्रसार किया जाए।

इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जोशीमठ से सचिव आर. मीनाक्षी सुंदरम, सचिव नितेश कुमार झा, अरविंद सिंह ह्यांकी, डॉ. रंजीत सिन्हा एवं बृजेश कुमार संत सहित वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आयुक्त गढ़वाल सुशील कुमार एवं जिलाधिकारी चमोली हिमांशु खुराना सहित अन्य उच्चाधिकारी उपस्थित थे।

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