… तो बीएएमएस/ बीयूएमएस अभ्यर्थियों की इन्टर्नशिप में हो रही लापरवाही !

भारतीय चिकित्सा परिषद, उत्तराखण्ड के अध्यक्ष डॉ जे एन नौटियाल ने कहा कि प्रायोगिक ज्ञान के अभाव में आयुर्वेदिक स्नातकों की गुणवत्ता पर पड़ रहा फर्क

अविकल उत्तराखण्ड

देहरादून। बीएएमएस/ बीयूएमएस उत्तीर्ण अभ्यर्थियों की इन्टर्नशिप में लापरवाही बरतने पर भारतीय चिकित्सा परिषद,उत्तराखण्ड ने चिंता जताई है। भारतीय चिकित्सा परिषद, उत्तराखण्ड के अध्यक्ष डॉ जे एन नौटियाल ने कहा है कि प्रायोगिक ज्ञान के अभाव में इन आयुर्वेदिक स्नातकों की गुणवत्ता उत्कृष्ट नहीं हो पाती है तथा भविष्य में ये चिकित्सक समाज के लिए उतने उपयोगी सिद्ध नहीं होते हैं जितना उनसे अपेक्षा की जाती है।

इस बाबत मुख्य चिकित्साधिकारी, समस्त जिला आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी,समस्त मुख्य चिकित्सा अधीक्षक, जिला चिकित्सालय, समस्त प्रधानाचार्य, आयुर्वेदिक मेडिकल कालेज समस्त अधीक्षक, आयुर्वेदिक मेडिकल कालेज को भेजे पत्र में कहा है कि बी०ए०एम०एस०/ बी०यू०एम०एस० स्नातक इन्टर्नशिप प्रशिक्षुओं की उपस्थिति, ओ०पी०डी०, रोटेटिंग शेड्यूल, रात्रि ड्यूटी, केस हिस्ट्री आदि प्रशिक्षण प्राथमिकता के आधार पर प्रदान किया जाना जरूरी है। इस बाबत डॉ नौटियाल ने सुझाव भी दिये हैं। देखें मूल पत्र-

विषय-

बी० ए०एम०एस०/ बी०यू०एम०एस० उत्तीर्ण अभ्यर्थियों की इन्टर्नशिप में पूर्ण उपस्थिति के सम्बन्ध में।

महोदय,

विदित है कि समस्त बी०ए०एम०एस०/ बी०यू०एम०एस० उत्तीर्ण अभ्यर्थियों को एक वर्ष की रोटेटिंग इन्टर्नशिप प्रारम्भ करने से पूर्व भारतीय चिकित्सा परिषद, उत्तराखण्ड से अस्थायी पंजीकरण प्राप्त करना होता है। जिसके पश्चात अभ्यर्थियों द्वारा 06 माह आयुर्वेदिक तथा 06 माह एलोपैथिक चिकित्सालयों में इन्टर्नशिप पूर्ण की जाती है। उक्त इन्टर्नशिप प्रशिक्षण इन स्नातकों के प्रायोगिक ज्ञान हेतु अति महत्वपूर्ण है।

परन्तु प्रायः देखेने में आया है कि उक्त इन्टर्नशिप प्रशिक्षण को अभ्यर्थी गम्भीरता से नहीं लेते हैं तथा सम्बन्धित चिकित्सालय भी इन प्रशिक्षुओं की उपस्थिति एवं प्रशिक्षण को एक औपरिचारिकता मानकर अधिक ध्यान नहीं देते हैं। जिससे प्रायोगिक ज्ञान के अभाव में इन आयुर्वेदिक स्नातकों की गुणवत्ता उत्कृष्ट नहीं हो पाती है तथा भविष्य में ये चिकित्सक समाज के लिए उतने उपयोगी सिद्ध नहीं होते हैं जितना उनसे अपेक्षा की जाती है।

भारतीय चिकित्सा पद्धति राष्ट्रीय आयोग, आयुष मंत्रालय, भारत सरकार (NCISM) द्वारा इन स्नातकों की गुणवत्ता को उत्कृष्ट बनाने हेतु 2021 बैच (प्रवेश) के स्नातकों हेतु National Exit Test (NEXT) अनिवार्य किया गया है तथा राज्यों को भी इन स्नातकों की गुणवत्ता बनाये रखने के लिए राज्य के बोर्ड द्वारा आवश्यक तथा उचित कार्यवाही किये जाने हेतु निर्देशित किया गया है।

उक्त बी०ए०एम०एस०/ बी०यू०एम०एस० स्नातक इन्टर्नशिप प्रशिक्षुओं की उपस्थिति, ओ०पी०डी०, रोटेटिंग शेड्यूल, रात्रि ड्यूटी, केस हिस्ट्री आदि प्रशिक्षण प्रदान करना प्राथमिकता के आधार पर कराये जाने हेतु निम्नानुसार कार्यवाही की जानी अनिवार्य है-

  1. प्रत्येक चिकित्सालय में अनिवार्य रूप से एक वरिष्ठ चिकित्सक को अधिकृत किया जाय ।
  2. प्रत्येक प्रशिक्षु की बायोमैट्रिक उपस्थिति की व्यवस्था की जाय ।
  3. इन्टर्नशिप की समयावधि में अवकाश देय न होने के कारण अनुपस्थित दिनों की प्रशिक्षण अवधि बढा दी जाय।

इन्टर्नशिप प्रशिक्षण पूर्ण होने पर विधिवत प्रमाणित उपस्थिति प्रधानाचार्य को प्रेषित की जाय

5. प्रशिक्षुओं का मानदेय (सरकारी कालेजों में) उपस्थिति सत्यापित होने पर ही आहरित किया जाय ।

इसके अतिरिक्त यह भी निर्णय लिया गया है कि बी०ए०एम०एस०/ बी०यू०एम०एस० इन्टर्नशिप प्रशिक्षुओं की उपस्थिति को भारतीय चिकित्सा परिषद, उत्तराखण्ड द्वारा नियुक्त समिति द्वारा समय-समय पर औचक निरीक्षण द्वारा जांच की जायेगी। यदि किसी भी प्रशिक्षु की उपस्थिति या अन्य प्रकरण सन्तोष जनक नहीं पाये जाते हैं तो प्रशिक्षु के स्थायी पंजीकरण पर विचार किया जा सकता है।

अतः कृपया बी०ए०एम०एस०/ बी०यू०एम०एस० इन्टर्नशिप प्रशिक्षुओं को नियमानुसार विधिवत प्रशिक्षण प्रदान करने तथा स्नातकों की गुणवत्ता बनाये रखे जाने हेतु उपरोक्तानुसार कार्यवाही करने का कष्ट करें। सहयोग अपेक्षित है।

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