पौड़ी गढ़वाल में खोजी मशरूम की नई प्रजाति,डॉ कमल ने नाम दिया पौड़ीगढ़वालालेंसिस

फिलवक्त एरिट्रिया पूर्वी अफ्रीका में एसोसिएट प्रोफेसर हैं। वे सारी खोज के लिए वह तब समय देते हैं जब अपने घर पौड़ी छुट्टियों में आते हैं। गढ़वाल के अनेक जंगल उन्होंने छाने हैं। पौड़ी में आवास श्रीनगर रोड पिक्चर हॉल के नीचे है।

-डा.कमल सेमवाल ने उत्तराखंड में खोजी मशरूम की नई प्रजाति
-पौड़ी में खोजी प्रजाति को दिया नाम पौड़ीगढ़वालालेंसिस
-अब तक उत्तराखंड में खोज चुके 8 नई प्रजाति
-स्प्रिंगर पब्लिकेशन के -अंतरराष्ट्रीय शोध पत्र में प्रकाशित हुई नई खोज
-फारेस्ट इकोसिस्टम में रहता है मशरूम का अहम योगदान

अविकल उत्त्तराखण्ड

देहरादून।
मायकोलॉजिस्ट(मशरुम विज्ञानी)डा.कमल सेमवाल ने पौड़ी जिले में मशरूम की नई जंगली प्रजाति का पता लगाया है। इसे उन्होंने पौड़ीगढ़वालेंसिस नाम दिया है। उनकी ताजा तरीन खोज प्रतिष्ठित स्प्रिंगर पब्लिकेशन के फंगल डाइवर्सिटी जर्नल में प्रकाशित हुई है।

इस नवीन प्रजाति का नामकरण पौड़ीगढ़वालेंसिस करने का उनका उद्देश्य पौड़ी के प्रति प्रेम व सम्मान प्रदर्शित करना है जहां से उन्होंने शिक्षा ग्रहण की है। वह चाहते हैं कि विश्व पटल पर पौड़ी को वैज्ञानिक क्षेत्र में भी पहचान मिले। गढ़वाल विवि से डाक्टरेट कमल सेमवाल इस समय पूर्वी अफ्रीका के एरिट्रिया में एसोसिएट प्रोफेसर हैं।
डा.सेमवाल के अनुसार, मशरूम प्रजातियों का फॉरेस्ट इकोसिस्टम में बहुत बड़ा योगदान है।

डॉ कमल सेमवाल

ये मशरुम पेड़ों की जड़ों के साथ गहरा सहसम्बंध बना लेती हैं। मशरुम पेड़ों को मिट्टी से विभिन्न प्रकार के तत्व सोखने में मदद करते हैं, इसके बदले पेड़ मशरूम को आश्रय एवं भोजन प्रदान करता है। उत्तराखंड के जंगल में बांज, बुरांश, चीड़, देवदार ओर भी कई प्रकार के पेड़ों के साथ ये प्रजातियां इसी तरह सहसंबंध बनाकर वन पारिस्थितिकी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। मशरुम प्रजातियां मृत पादप अवशेषों को उपयोगी ह्यूमस में बदल देती हैं, जिसे पेड़ अवशोषित कर लेते हैं। ये कह सकते हैं कि मशरूम की बदौलत ही जंगलों को जरूरी खाद मिलती रहती है।

-अब तक खोजी आठ नई प्रजाति
डा.कमल सेमवाल ने इसके साथ ही कई ओर ऐसी प्रजातियां भी खोजी हैं। जिन्हें पहली बार भारत में खोजा गया। विश्व के प्रतिष्ठित जर्नलों में विभिन्न विषयों में उनके तीस से ज्यादा रिसर्च पेपर प्रकाशित हो चुके हैं। जिसमें मुख्य है इंग्लैंड के रॉयल बॉटनिकल गॉर्डन से प्रकाशित होने वाले क्यू बुलेटिन, फंगल डाइवर्सिटी, परसोनिया, माइकोस्फीयर, माइकोटेक्सौन हैं।

-मशरूम प्रजातियों को देते हैं स्थानीय नाम
डा.कमल का मानना है कि उत्तराखंड के जंगलों में मेडिसिनल मशरूम पर ओर भी शोध की जरूरत है, जो मानव कल्याण के काम आ सकती है। मशरूम की ऐसी प्रजातियां भी है जिनका इस्तेमाल विदेशों में दवाईयां बनाने में होता है। खुद के द्वारा खोजी गई मशरूम प्रजातियों को स्थानीय नाम देने का मकसद विश्व जगत को उत्तराखंड की छोटी-छोटी जगहों के बारे में परिचित कराना है।

-इन प्रजातियों की खोजकर दिया नाम-
-ऑस्ट्रोवोलिट्स अपेन्डिकुलेटस(दून में लाडपुर के जंगल में खोजा)
-कोरटिनेरीयस पौड़ीगढ़वालेंसिस (मुंडनेश्वर, फेडखाल से खोजा)
-अमानीटा स्यूडोरूफोब्रुनिसेन्स (खिर्सु रोड पर चौबट्टाखाल से खोजा)
-कोरटीनेरीयस बालटियाटोइंडिकस(खिर्सु रोड पर गोड़खियाखाल में खोजा)
-कोरटीनेरीयस उल्खागढ़ियेनसिस(पौड़ी के निकट उलखागढ़ी से खोजी)
-कोरटीनेरियस लीलेसीनोएरीमिलेटस (थलीसैंण, भरसार में खोजा)
-कोरटिनेरीयस इंडोरसियस
-कोरटीनेरीयस इंडोपुरपुरेसिएस


: कमल सेमवाल, एमएससी बॉटनी, पीएचडी गढ़वाल विवि पौड़ी कैम्पस, 10 डीएवी इंटर कॉलेज पौड़ी, 12 मेसमोर इंटर कॉलेज, पौड़ी, ग्रेजुएशन, पोस्ट ग्रेजुएट पौड़ी कैपस।

Total Hits/users- 30,52,000

TOTAL PAGEVIEWS- 79,15,245

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *