तो क्या एक साल में दो डिग्री मामले में घिरे डॉ अडाना वीआरएस लेकर साफ बच जाएंगे !

वीआरएस की गली से निकल कड़ी कार्रवाई से बचने का तलाशा रास्ता ?

आयुर्वेद विभाग के चर्चित चिकित्सक डॉ राजेश अडाना की स्वैच्छिक सेवानिवृति की फ़ाइल मूवमेंट में

शासन ने एक साल में दो डिग्री व अन्य वित्तीय गड़बड़ी की जांच की .

अविकल थपलियाल

देहरादून। कई अन्य विभागीय मामले व  एक साल में दो दो डिग्री लेकर सुर्खियों में आये और जांच में फंसे उत्तराखण्ड आयुर्वेद विवि के पूर्व कुलसचिव डॉ राजेश अडाना ने कहीं बर्खास्तगी के डर से स्वैच्छिक सेवानिवृति (वीआरएस ) का रास्ता तो अख्तियार नहीं किया। यह सवाल एक बार फिर कौंध रहा है।

इधर, आयुष अपर सचिव विजय जोगदण्ड डिग्री मसले पर अपनी जांच रिपोर्ट शासन को सौंप चुके हैं। जांच रिपोर्ट के आधार पर डॉ अड़ाना के खिलाफ बर्खास्तगी जैसे कड़े कदम उठाए जाने की संभावना बनती दिख रही थी।

लिहाजा, पूर्व के विभागीय मामलों में घिरे  डॉ राजेश अडाना  ने दिसंबर 2023 में ही वीआरएस के लिए आवेदन कर दिया।  फरवरी 2024 में शासन ने वीआरएस को स्वीकृत करते हुए फ़ाइल सम्बंधित विभाग को भेज दी थी। डिग्री मसले के परवान चढ़ने से पहले ही अन्य मामलों में घिर चुके डॉ राजेश ने वीआरएस की चिट्ठी मूव कर दी थी।

गौरतलब है कि 10 फरवरी को  गढ़वाल विवि के कुलसचिव ने हरिद्वार के ऋषिकुल आयुर्वेदिक कालेज के प्राचार्य को पत्र लिख डॉ राजेश कुमार की बीएएमएस व पीजी डिप्लोमा इन योगा की डिग्री निरस्त करने को कहा।

इसके अलावा राज्य कोषागार से दो-दो स्थानों से एक साथ एक संविदा डॉक्टर पद का वेतन व एक एम०डी० छात्र के रूप में छात्र वेतन प्राप्त कर राजकोष का गबन करने का भी मामला सामने आया है।

कुलसचिव ने पत्र में लिखा है कि राजेश कुमार ने नियमों के विपरीत एक ही साल 1999 में यह दोनों डिग्री बतौर संस्थागत छात्र हासिल की है। यह दोनों डिग्री कानपुर विवि व गढ़वाल विवि से हासिल की है।

यही नहीं, 2005 में नौकरी में कार्यरत रहते हुये ऋषिकुल राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज हरिद्वार (एच०एन०बी० गढ़वाल केन्द्रीय विश्वविद्यालय श्रीनगर ) से एमडी आयुर्वेद (अनुक्रमांक 642195 नामांकन संख्या 03623065 वर्ष 2005) में नियमित संस्थागत (Regular Student) के रूप मे पंजीकरण कराकर उपाधि प्राप्त करना पूर्णतः अविधिक था। इस दौरान इनके द्वारा राज्य कोषागार से दो-दो स्थानों से एक साथ एक संविदा डॉक्टर पद का वेतन व एक एम०डी० छात्र के रूप में छात्र वेतन प्राप्त कर राजकोष का गबन किया है।

दो विश्वविद्यालयों से संस्थागत नियमित Regular Student के रूप में पंजीकरण कराकर उपाधि प्राप्त करना पूर्णतः अविधिक था। इसलिये बी.ए.एम.एस. (सी.एस.एम. कानपुर विश्वविद्यालय से बी.ए.एम.एस. अंतिम वर्ष-1999 में अनुक्रमांक-4210 नियमित संस्थागत Regular Student हैं) व एक वर्षीय पी.जी. डिप्लोमा इन योग (गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय, हरिद्वार से अनुक्रमांक-2274 नामांकन संख्या-980596 नियमित संस्थागत् छात्र के तौर पर किया।

आरोपों पर कार्यवाही से बचने के लिये डॉ० राजेश अडाना ने अपने मूल पद आयुर्वेदिक चिकित्साधिकारी से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने का आवेदन दिया है जिसे निदेशक आयुर्वेद ने स्वीकृति के लिये अपर सचिव आयुष उत्तराखंड शासन को भेजा है। शासन ने भी वीआरएस से जुड़े दस्तावेजों पर कार्यवाही की है (देखें पत्र)

जांच अधिकारी व अपर सचिव आयुष विजय जोगदंड ने एक साल में दो डिग्री मामले की जांच रिपोर्ट शासन को सौंप दी है। जांच में पाई गई गड़बड़ियों को देखते हुए डॉ अड़ाना के खिलाफ कड़े कदम उठाए जाने की संभावना है। 

देखना यह है कि शासन डॉ अडाना को बर्खास्त कर उनसे वसूली  की कार्रवाई को अमलीजामा पहनाता है या वीआरएस के सुरक्षित गलियारे से बाहर निकलने देता है।

डॉ अडाना की डिग्री के बाबत तथ्य

राजेश कुमार पुत्र श्री नगीना सिंह द्वारा एक ही शैक्षिक सत्र वर्ष 1999 में दो विश्वविद्यालयों से संस्थागत नियमित Regular Student के रूप में पंजीकरण कराकर उपाधि प्राप्त करना पूर्णतः अविधिक था। इसलिये बी.ए.एम.एस. (सी.एस.एम. कानपुर विश्वविद्यालय से बी.ए.एम.एस. अंतिम वर्ष-1999 में अनुक्रमांक-4210 नियमित संस्थागत Regular Student हैं) व एक वर्षीय पी.जी. डिप्लोमा इन योग (गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय, हरिद्वार से अनुक्रमांक-2274 नामांकन संख्या-980596 नियमित संस्थागत् Regular Student हैं) दोनों ही उपाधि अवैध व निरस्त करने योग्य है तथा विधिमान्य नहीं है। बी.ए.एम.एस. के आधार पर प्राप्त की गई आयुर्वेदिक चिकित्साधिकारी पद की नियुक्ति आदेश प्रथम नियुक्ति तिथि / जारी आदेश की तिथि से निरस्त करने योग्य है (शैक्षणिक प्रमाण-पत्रों की प्रतिलिपियाँ संलग्न है)।

–  इनके द्वारा वर्ष 1998 में एक वर्षीय पी.जी. डिप्लोमा इन योग में प्रवेश हेतु गुरूकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय, हरिद्वार में स्नातक की कौन सी उपाधि प्रस्तुत की गई क्योंकि उपलब्ध अभिलेखानुसार बी.ए.एम.एस. की उपाधि वर्ष 2000 की है। बिना स्नातक उतीर्ण किये परास्नातक पाठ्यक्रम में प्रवेश नहीं लिया जा सकता है, अतः यह उपाधि भी विधिमान्य नहीं है।

– इनके द्वारा अपनी अनिवार्य इंटर्नशीप वर्ष-2002 में पत्रांक-1056/ गुरूकुल / 2002-2003 दिनांक-06.08.2002 पूर्ण करना दर्शाया गया है परन्तु बी.ए.एम.एस. की उपाधि वर्ष-2000 के दीक्षांत समारोह में प्रदान किया जाना प्रस्तुत है। बिना अनिवार्य इंटर्नशीप पूर्ण किये हुये उपाधि प्रदान नहीं किया जा सकता है, यह नियमतः असम्भव है व विधिमान्य नहीं है।

–  इनके द्वारा भारतीय चिकित्सा परिषद्, उत्तरांचल में उक्त अभिलेखों को प्रस्तुत कर निबंधन संख्या-यू.ए.000287 निबंधन तिथि-12.09.2005 जन्मतिथि-07.03.1967 प्राप्त किया गया, जो बिना किसी सत्यापन के दिया जाना अविधिक था तथा निरस्त किये जाने योग्य है। इससे पूर्व इनके द्वारा वर्ष 2000 में भारतीय चिकित्सा परिषद्, उत्तर प्रदेश में उक्त फर्जी अभिलेखों को प्रस्तुत कर निबंधन संख्या-47761 प्राप्त किया गया था, इसे भी निरस्त करने की आवश्यकता है, तद्नुसार विधिमान्य नहीं है।

–  इनके द्वारा ऋषिकुल राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज, हरिद्वार (एच.एन.बी. गढ़वाल केन्द्रीय विश्वविद्यालय, श्रीनगर) से उक्त बी.ए.एम.एस. के आधार पर एम.डी. आयुर्वेद पाठ्यक्रम किया गया है। एम.डी. आयुर्वेद की उपाधि भी निरस्त करने योग्य है और विधिमान्य नहीं है।

– डॉ० राजेश कुमार अदाना द्वारा गलत जानकारी प्रस्तुत कर व सही तथ्यों को तत्समय छुपाकर एवं प्राधिकारियों को गुमराह कर आयुर्वेदिक चिकित्साधिकारी की नियुक्ति प्राप्त की गई थी जबकि इनके द्वारा राजकीय सेवा में योगदान प्रस्तुत करते समय शपथ-पत्र प्रस्तुत किया गया था कि किसी भी स्तर व अवसर पर सही तथ्य प्रकाश में आने पर नियुक्ति स्वतः निरस्त समझी जायेगी, राजकीय सेवा में प्रथम नियुक्ति को अवैध व विधि शून्य मानते हुये कार्यवाही की जाये।

– वर्ष 1999 में दो-दो विश्वविद्यालयों से नियमित विद्यार्थी के रूप में पंजीकरण व नामांकन कर दो-दो परीक्षा देकर उपाधि प्राप्त करना व सरकारी सेवा में झूठा शपथपत्र प्रस्तुत कर नौकरी प्राप्त करना।

– नियुक्ति प्राधिकारी के आदेशों की अवहेलना कर अवैध रूप से आयुर्वेद विश्वविद्यालय में कार्य करना व अवैध वेतन निकासी करना।

वीआरएस के लिए डॉ अड़ाना का शासन को लिखा पत्र

सेवा में,
सचिव आयुष एवम् आयुष शिक्षा देहरादून उत्तराखण्ड उचित माध्यम द्वारा
विषय : स्वैच्छिक सेवा निवृति हेतु प्रस्तुत आवेदन पत्र स्वीकृत किये जाने के सम्बन्ध में ।
महोदय,
उपरोक्त विषयक अधोहस्ताक्षरी अपनी घरेलू परिस्थितियों एवम् निजी कारणों से अपने धारित पद (चिकित्सा अधिकारी) पद पर कार्य करने में असमर्थ है । तथा मेरी जन्म तिथि- 07/03/1967 है ।
अतः आपसे निवेदन है कि आज दिनांक 29/12/2023 से दिनांक 31/03/2024 के अन्तराल में अधोहस्ताक्षरी द्वारा प्रस्तुत स्वैच्छिक सेवानिवृति हेतु आवेदन पत्र तक को स्वीकार करने का कष्ट करे |
उत्तराखण्ड, देहरादून।
अपर सचिव आयुष एवं आयुष शिक्षा उत्तराखण्ड शासन।
पत्रांक 12606-08/3ए-800/2023-24
दिनांक- 22 फरवरी, 2024
महोदय,
विषय- डा० राजेश कुमार, चिकित्साधिकारी, रा०आ० चि० जसपुरखाल / पौडी गढवाल के स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के सम्बन्ध में।
उपरोक्त विषयक निवेदन है कि जिला आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकरी, पौडी गढवाल के पत्र सख्या 3681-82 / व्य०प० / अधि०-03/2023-2024. दिनांक 05 जनवरी, 2024 एवं पत्र संख्या 3933/ व्य०प० / अधि-03/2023-24, दिनांक 29 जनवरी, 2024 का सन्दर्भ ग्रहण करने का कष्ट करें। जिसके द्वारा डा० राजेश कुमार, चिकित्साधिकारी, रा०आ०चि० जसपुरखाल / पौडी गढवाल का प्रार्थना पत्र दिनांक 29.12.2023 निदेशालय को प्रेषित किया गया है। जिसमें उनके द्वारा अपने घरेलू परिस्थितियों एवं निजी कारणों से चिकित्साधिकारी के पद पर कार्य करने में असमर्थता के मध्य नजर चिकित्साधिकारी के पद से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति चाही गयी है।
उल्लेखनीय है कि डा० राजेश कुमार की नियुक्ति शासनादेश संख्या-1715/XXXX/ 2012/119/2012, देहरादून दिनांक 26 जुलाई, 2013 संख्या-1835/XXXX/2013/119/2012, देहरादून दिनांक 20 अगस्त, 2013 के द्वारा रा०आ०चि० जसपुरखाल / पौडी गढवाल में चिकित्साधिकारी के पद पर हुई है। डा० राजेश कुमार द्वारा दिनांक 29.08.2013 को चिकित्सालय में कार्यभार ग्रहण किया गया है। डा० राजेश कुमार, चिकित्साधिकारी द्वारा उत्तराखण्ड शासन, कार्मिक अनुभाग-2 के
शासनादेश संख्या-1844/ कार्मिक-2/2002, दिनांक 09 अप्रैल, 2023 में निहित प्राविधानों के अनुसार
स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति हेतु आवेदन किया गया है। जिला आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी, पौडी गढवाल की
आख्यानुसार-
डा० राजेश कुमार, चिकित्साधिकारी द्वारा लिखित रूप में स्वैच्छिक सेवानिवृति हेतु नियमानुसार आवेदन किया गया है।
डा० राजेश कुमार, चिकित्साधिकारी द्वारा बिना शर्त स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति का अनुरोध किया गया हैं।
3 4. डा० राजेश कुमार, चिकित्साधिकारी निलम्वित नही हैं।
. डा० राजेश कुमार, चिकित्साधिकारी के प्रति किसी प्रकार की विभागीय देनेदारी नही है।
डा० राजेश कुमार चिकित्साधिकारी को उत्तराखण्ड शासन आयुष एव आयुष शिक्षा अनुभाग के पत्र संख्या 392/XL-1/2023-175/2010, टी0सी0-5 दिनांक 13.04.2023 द्वारा आरोप पत्र दिया गया है। प्रकरण पर अन्तिम निर्णय शासन स्तर से लिया जाना शेष है।
अतः जिला आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी, पौडी गढवाल के पत्र दिनांक 29 जनवरी, 2023 द्वारा प्रेषित डा० राजेश कुमार, चिकित्साधिकारी, राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय, जसपुर खाल/पौडी गढवाल का स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति हेतु प्रस्तुत प्रार्थना पत्र मूल रूप में संलग्न कर प्रेषित किया जा रहा है। कृपया उक्त के सम्बन्ध में यथोचित कार्यवाही करने का कष्ट करें। संलग्नक – उक्तवत ।
संख्या एवं दिनांक तदैव।
प्रतिलिपि-निम्नलिखित को सूचनार्थ एवं आवश्यक कार्यवाही हेतु प्रेषित। 1. जिला, आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी , पौडी गढवाल।
डा० राजेश कुमार, चिकित्साधिकारी, रा०आ०चि० जसपुरखाल / पौडी गढवाल।
भवदीय
my
(डा० एम०पी० सिंह) संयुक्त निदेशक
चिकित्साधिकारी /कर्मचारियों द्वारा त्यागपत्र /स्वैच्छिक सेवानिवृति दिए जाने पर वांछित सुचना का प्रारुप
अधिकारी का नाम —- डा. राजेश कुमार
वर्तमान धारित पद-चिकित्सा अधिकारी
सेवा में नियुक्ति की तिथि — (नियुक्ति आदेश की प्रति संलग्न की जाये)- 20/08/2013
वर्तमान पद पर कार्य करने की अवधि 10 वर्ष 4 माह
नियुक्ति स्थाई / अस्थाई । तदर्थ —स्थाई
योगदान तिथि – 29/08/2013
नियुक्ति तिथि से त्यागपत्र /स्वैच्छिक सेवानिवृति देने की तिथि तक विभिन्न तैनातियो का विवरण व उनकी अवधि-
(क)–29/08/2013 से 30/09/2013 राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय जसपुरखाल पौड़ी गढ़वाल
(ख)-01 /10 2013 से 06/08/2019 तक उत्तराखण्ड आयुर्वेद
विश्वविद्यालय हर्रावाला देहरादून
(ग)-07 /08 /2019 से 24/05/2021 तक राजकीय आयुर्वेदिक
चिकित्सालय जसपुरखाल / रानाकोट/कोविड केयर सेंटर पौड़ी गढ़वाल
(घ) -25/05/2021 से 21/01 /2023 तक उत्तराखंड आयुर्वेद विश्विद्यालय हर्रावाला देहरादून
(ड.)-22 /01 /2023 से अद्यतन तक राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय जसपुरखाल पौड़ी गढ़वाल
अभ्यर्थी अनुबंधित है अथवा नही (यदि हाँ तो विवरण) नही
जिला आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी पौडी गढ़वाल
त्यागपत्र /स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति देने वाले अधिकारी के विरुद्ध किसी प्रकार की जाँच व अनुशासनात्मक कार्यवाही तो नही चल रही है, यदि हाँ तो उसका विवरण-1. उत्तराखण्ड शासन आयुष एवम् आयुष शिक्षा अनुभाग द्वारा पत्र संख्या -392 /XL-1 /2023 -175 /2010T.C.-5 दिनांक 13 अप्रैल 2023 के द्वारा आरोप पत्र दिया गया था ।
शासन के पत्र सं. 1946 / XL-1 /2023-175 /2010 T.C -5 दिनांक 07 नवम्बर 2023 के क्रम में जाँच अधिकारी द्वारा प्रस्तुत जाँच आख्या पर अधोहस्ताक्षरी द्वारा पत्र दिनांक 6/12/2023 के माध्यम से शासन को पक्ष प्रस्तुत किया जा चुका है।
अधिकारी यदि बिना किसी अवकाश के अनुपस्थित रहे हो तो उस स्थिति में अनुपस्थित होने की तिथि एवम अवधि अनाधिकृत अनुपस्थिति हेतु उनके विरुद्ध अब तक की गई कार्यवाही का विवरण नही
अनुपस्थित होने की तिथि में त्यागपत्र की तिथि तक क्या कोई अवकाश प्रार्थनापत्र प्राप्त हुए है, यदि हाँ तो क्या अथवा उन्हें कोई अवकाश स्वीकृत अथवा अस्वीकृत किया गया है अथवा विचाराधीन है, पर्ण विवरण दे नही
अधिकारी का कोई भी शासकीय धन अथवा सम्पति बकाया होने / न होने का विवरण — नही
अन्य विवरण जैसे देश अथवा विदेश में सेवायोजन प्राइवेट प्रैक्टिस यदि कोई हो – नही
त्यागपत्र/स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति जो 31 मार्च 2024 तिथि तक स्वीकृत किया जाना है | उसकी संस्तुति सेवानिवृत्ति हेतु दिया जाना प्रार्थनापत्र जो नियुक्ति प्राधिकारी के नाम संबोधित है को दो मूल प्रतियों में संलग्न

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