• उत्तराखंड अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य ने लगाया झूठे प्रमाण पत्र को सही ठहराने का गंभीर आरोप
• आयोग के सचिव ने डीएम हरिद्वार से 15 दिन में जांच रिपोर्ट मांगी
देहरादून। पहले से ही विभागीय जांच का सामना कर रहे डिप्टी बीईओ बृजपाल सिंह राठौड़ के खिलाफ अब एक और जांच शुरू हो गई है। उत्तराखंड अल्पसंख्यक आयोग के सचिव ने हरिद्वार के जिलाधिकारी को पत्र भेजकर आयोग के एक सदस्य द्वारा राठौड़ पर लगाए गए गंभीर आरोप की जांचकर 15 दिन में रिपोर्ट मांगी है।
दरअसल, उत्तराखंड अल्पसंख्यक आयोग में आयोग के एक सदस्य असगर अली ने शिकायत की थी कि नारसन क्षेत्र के एक मदरसा के प्रबंधक और प्रधानाचार्य ने एक लड़की के माता-पिता के साथ सांठगांठ करके लड़की को बालिग दिखाने के आशय से एक फर्जी प्रमाण पत्र जारी कर उनके भतीजे को झूठे मुकदमे में फंसाया।
उन्होंने शिक्षा विभाग से उक्त फर्जी प्रमाण पत्र की जांच का अनुरोध किया, लेकिन जांच अधिकारी नारसन ब्लाक के डिप्टी बीईओ बृजपाल सिंह राठौड़ ने मदसा प्रबंधक और लड़की के माता-पिता से सांठगांठ कर उक्त फर्जी प्रमाण पत्र को अपनी जांच में सही ठहराया।
असगर अली ने अपनी शिकायत में कहा कि बाद में जब जिलाधिकारी के निर्देश पर मुख्य शिक्षा अधिकारी ने प्रमाण पत्र की जांच की तो वह फर्जी निकला। शिकायतकर्ता का आरोप है कि डिप्टी बीईओ ने चार महीने तक जांच रिपोर्ट दबाकर रखी और बाद में फर्जी प्रमाण पत्र को सही बताया, जिस कारण उसका भतीजा पोक्सो एक्ट में आज तक जेल में बंद है और उसका भविष्य खराब हो गया है।
उत्तराखंड अल्पसंख्यक आयोग ने शिकायत को गंभीरता से लिया। आयोग के सचिव जेएस रावत ने जिलाधिकारी को पत्र भेजकर अपर जिलाधिकारी की अध्यक्षता में चार समिति का गठन, जिसमें एक शिक्षा विभाग का वरिष्ठ अधिकारी, एक अल्पसंख्यक समुदाय का अधिकारी और एक पुलिस विभाग का वरिष्ठ अधिकारी हो, कर शिकायत की जांच करवाकर 15 दिन में जांच रिपोर्ट आयोग को भेजने के निर्देश दिए हैं।
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