आल इंडिया आर्गेनाईजेशन आफ कैमिस्ट एंड ड्रग्स्टि ने रतन टाटा व एन चंद्रशेखरन को लिखा पत्र
कहा, 1mg.com में निवेश करने के बारे में सोच रहे है जो एक अवैध आनलाइन फार्मेसी संचालित करता है
मुम्बई।
आल इंडिया आर्गेनाईजेशन आफ कैमिस्ट एंड ड्रग्स्टि के अध्यक्ष जेएस शिंदे और महासचिव राजीव सिंघल ने रतन टाटा और एन चंद्रशेखरन को पत्र लिखकर कहा कि भारत में अपनी रोजी रोटी के लिए काम करने वाले केमिस्ट और दवा वितरको सहित करीब 8 लाख 50 हजार दवाओ के पुनविक्रेताओ का संगठन है। वह 50 लाख परिवारों और 2.7 करोड़ से अधिक लोगों का प्रतिनिधित्व करते है। हमारे व्यवसाय द्वारा दिए जाने वाले रोजगार की स्थिति आपको बताई गई है।

भारत की आबादी के आंकड़े के अनुसार हम भारत की आबादी का करीब 2 प्रतिशत हिस्सा रखते है। उनके पत्र लिखने का मुख्य मकसद है कि क्योंकि हम मानते है कि आप 1mg.com में निवेश करने के बारे में सोच रहे है जो एक अवैध आनलाइन फार्मेसी संचालित करता है। देश के दवा विक्रेताओ के एक जिम्मेदार संगठन के रूप में हमारे देश में दवाओ के व्यापार के संबंध में आपके सामने कुछ बिंदुओं और तख्यो को रखकर हमारे सदस्यों का प्रतिनिधित्व करना चाहते है। भारत में दवाओ की बिक्री और वितरण दवा और प्रसाधन सामग्री अधिनियम 1940 और नियम 1945 के अंतर्गत किया जाता है।

उक्त अधिनियम दवाओं का आयात, निर्माण और वितरण को नियंत्रित करता है। जबकि नियमों में भंडारण, प्रदर्शन, बिक्री और प्रत्येक अनुसूचि के पर्चे। इस अधिनियम के तहत नियमों का मुख्य आधार पर्चे और दवा वितरण की प्रक्रिया पर है। हर बार दवा प्राप्त करने के लिए हर बार ओरिजनलपर्चा दिया जाना आवश्यक है। नियम यह भी निर्दिष्ट करते है कि बिक्री के दौरा न कुछ दवाओं के पर्चे को एंडोर्स किया जाना चाहिए। इसके अलावा, वितरण प्राधिकरण से लाइसेंस लेना होता है। जिसके लिए सक्षम प्राधिकारी द्वा रा लाइसेंस जारी किया गया है। इसलिए आनलाइन माध्यम से दवाओं और दवाओं की ब्रिकी अवैध है। कानूनी रूप से शासन दवाओं की होम डिलीवरी की अनुमति नहीं देता है, हालांकि हाल ही में कोविड- 19 महामारी की स्थिति के कारण और आपातकाल जैसी स्थिति में, सरकार ने अस्थायी प्रावधान की अनुमति दी दवाओं की होम डिलीवरी, लेकिन यह केवल पड़ोस के फार्मेसियो के लिए थी।