पीड़िता की शिकायत पर हाईप्रोफाइल शख्स को छू नहीं पाई दून पुलिस.
तो भाजपा काल में ही लोकसेवा आयोग में भी नौकरी के नाम पर की गई ‘डिमांड’
तीन साल पहले महिला अभ्यर्थी ने लोक सेवा आयोग के सदस्य पर नौकरी देने के नाम पर यौन उत्पीड़न की कोशिश व पैसे मांगने का लगाया था आरोप
सीएम के सख्त निर्देश के बाद अब डीजीपी ने दिए जांच के आदेश
लोक सेवा आयोग के सदस्य चुपचाप इस्तीफा दे निकल लिए थे
अविकल उत्तराखंड
देहरादून। उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग पेपर लीक मामले की लपटें उत्तराखंड लोक सेवा आयोग की दहलीज तक भी पहुंच गई है। एक महिला अभ्यर्थी ने लोक सेवा आयोग के सदस्य पर नौकरी देने के नाम पर यौन उत्पीड़न व पैसे मांगने का आरोप लगाया है। लेकिन हाई प्रोफाइल अधिकारी से जुड़े तीन साल पुराने इस मामले में पीड़ित महिला की शिकायत को रद्दी की टोकरी में डालने पर भी दून पुलिस कठघरे में खड़ी दिखाई दे रही है।
साल 2018 के प्रवक्ता भर्ती के इस मामले में पीड़ित महिला व आयोग के तत्कालीन सदस्य (पूर्व जज) के बीच बातचीत ( 2019) का ऑडियो भी वॉयरल हो रहा है। भाजपा के शासन में तीन साल पहले भी महिला ने शिकायत की थी लेकिन पुलिस ने मामला दबा के रखा। पीड़िता ने एक महिला पुलिस अधिकारी पर भी मानसिक प्रताड़ना का आरोप भी लगाया है।
इस मामले से यह भी सम्भावना पुष्ट होने लगी है कि लोक सेवा आयोग की भर्तियों में भी काफी घोटाला हुआ है।
इधर, सीएम पुष्कर सिंह धामी ने गंभीर मामले का संज्ञान लेते हुए आवश्यक कार्रवाई के निर्देश दिए। नतीजतन, डीजीपी अशोक कुमार ने महिला के शिकायती पत्र व अन्य सबूतों के आधार पर मामले की जांच एसएसपी दलीप कुंवर को सौंप दी है । यह आदेश होते ही आयोग व सत्ता के गलियारों में हलचल मच गई है। महिला की शिकायत पर राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष कुसुम कंडवाल ने भी कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।
पीड़ित महिला का यह कहना है
23 जून 2019- पीड़ित महिला को आयोग के सदस्य के पीए ने दस्तावेज ठीक करने के बहाने रिस्पना पुल पर बुलाया। महिला जब रिस्पना पुल पहुंची तो पीए फिर कागजात ठीक करने के बहाने आनन्दा आपार्टमेंट ले गया। वहॉं जयदेव सिंह ने इंटरव्यू में पास करने के बदले पैसे व शारीरिक समझौते के लिए दबाव बनाया। महिला ने विरोध किया। नतीजतन लिखित परीक्षा में टॉप 5 मेरिट में होने के बावजूद सेलेक्शन नहीं हुआ।
जुलाई 2019- पीड़ित महिला ने आयोग के सदस्य से नौकरी नहीं मिलने पर फोन पर बात की। और इस बात को रिकॉर्ड भी किया। यही ऑडियो इन दिनों वॉयरल हो रहा है।
12 मार्च 2020- पीड़ित महिला ने पुलिस महानिरीक्षक को शिकायत भेजी। लेकिन आयोग के सदस्य के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई।
13 मार्च 2020- पीड़ित महिला पुलिस उपाधीक्षक पल्लवी त्यागी से मिली लेकिन कोई एक्शन नहीं हुआ
19 मार्च 2020- राज्य महिला आयोग को शिकायत भेजी
20 जुलाई 2020- पीड़ित महिला फिर CO पल्लवी त्यागी से मिली लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई
28 जुलाई 2020- पीड़ित महिला ने दून के एसएसपी को शिकायत भेजी । पुलिस ने महिला के कई बार बयान लिए लेकिन दोषी के खिलाफ कार्रवाई नहीं की।
इसी बीच, पुलिस में शिकायत होने पर अंदरखाने मचे बवाल के बाद आयोग के सदस्य (पूर्व जज) ने चुपचाप इस्तीफा दे दिया। लेकिन पीड़ित महिला न्याय पाने के लिए अपने स्टैंड पर डटी रही।
इस मामले का एक गंभीर पहलू यह है कि दून निवासी पीड़ित महिला ने मार्च 2020 में शिकायत की। उस समय डीजीपी अनिल रतूड़ी थे। नवंबर 2020 में अशोक कुमार डीजीपी बने। इनके एभी तक जारी लम्बे कार्यकाल में भी पीड़ित महिला को न्याय नहीं मिला।
लोक सेवा आयोग के सदस्य से जुड़ा मामला कुछ यूं है
गौरतलब है कि 2018-19 में उत्तराखंड में प्रवक्ता पदों के लिए भर्ती प्रक्रिया शुरू हुई थी। शिकायतकर्ता महिला का कहना है कि 2018 में लिखित परीक्षा पास की थी। इंटरव्यू पैनल में मौजूद आयोग के एक सदस्य ने बाद में उन्हें शैक्षिक दस्तावेज के साथ एक स्थान पर बुलवाया। और शारीरिक सम्बंध बनाने का दबाव बनाते हुए छेड़छाड़ की यही नहीं नौकरी के बदले पैसे की भी डिमांड की। 2018 में उत्तराखंड अधीनस्थ शिक्षा (प्रवक्ता संवर्ग समूह ग) की इस परीक्षा में पीड़ित महिला का चयन नही हो पाया था।
ऑडियो में क्या बातें हैं
जुलाई 2019 में पीड़ित महिला आयोग के सदस्य व उनके पीए से मोबाइल पर बात की और रिकॉर्ड किया। दोनों के साथ काफी लंबी बात हुई। प्रवक्ता पद पर चयन नहीं होने पर लोक सेवा आयोग के सदस्य ने कहा कि बाद में दूसरी परीक्षा में चयन हो जाएगा। पोस्ट निकलने वाली हैं। उसमे चयन करवा दूंगा। साथ ही आयोग के सदस्य ने अपने पीए से सम्पर्क में रहने का भी सुझाव दिया। जबकि ऑडियो में पीड़ित महिला कह रही है कि उसके पढ़ाये बच्चे सलेक्ट हो गए लेकिन उसका नहीं हुआ।
पीड़ित महिला ने पूर्व में भी इस मामले की शिकायत की थी लेकिन पुलिस आठ बार उसके बयान दर्ज कर चुकी है लेकिन कोई हल नहीं निकला। अब सीएम के एक्शन के बाद तीन साल बाद पुलिस तेजी दिखा रही है।
इधर, डीजीपी अशोक कुमार का कहना है कि भाकपा माले के सचिव इंद्रेश मैखुरी ने इस मामले की हाई लेवल जांच के लिए मुख्यमंत्री व महिला आयोग को शिकायत की है। दून पुलिस की जांच में सत्यता पायी जाती है तो मामले में मुकदमा दर्ज किया जाएगा।
यह है डीजीपी के जांच का आदेश
लोक सेवा आयोग,उत्तराखंड द्वारा पूर्व में आयोजित उत्तराखंड विशेष अधीनस्थ शिक्षा “प्रवक्ता संवर्ग समूह ग “से सामान्य तथा महिला शाखा परीक्षा 2018 से संबंधित महिला के ऑडियो के संबंध में महिला द्वारा एक शिकायती पत्र वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक जनपद देहरादून को दिया गया है l
इसी क्रम में पुलिस महानिदेशक को भी व्हाट्सएप के माध्यम से शिकायत प्राप्त हुई है l उपरोक्त प्रकरण में पुलिस महानिदेशक उत्तराखंड अशोक कुमार द्वारा जांच करने हेतु वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक जनपद देहरादून को निर्देशित किया गया है।
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