उत्तराखण्ड ओपन विवि के पूर्व कुलपति प्रो विनय पाठक कमीशनबाजी में फंसे

सोमवार को एसटीएफ ने प्रो विनय पाठक के मामले से जुड़ी AU में कर्मियों से पूछताछ की। 15 महीने के कार्यकाल के रिकार्ड तलब किया है। कई करीबियों के फंसने की उम्मीद.

लखनऊ के इंदिरानगर थाने में दर्ज हुआ मुकदमा.पीड़ित से लिये 1 करोड़ 41 लाख का कमीशन.

उत्तराखण्ड में भी मनमानी कर गए गए थे पूर्व कुलपति विनय पाठक

2009 नवंबर से 2012 नवंबर तक उत्तराखण्ड मुक्त विवि के कुलपति रहे प्रो. विनय पाठक यहां भी विवादों में घिरे थे। विवि की नियुक्तियों में चहेते बाहरी अभ्यर्थियों को वरीयता देने के विरोध में क्षेत्रीय दल उक्रांद ने हल्द्वानी स्थित विवि के कुलपति के फैसलों के विरोध किया था।

अपने कार्यकाल में तत्कालीन कुलपति ने पीएचडी रेगुलेशन 2009 के बिना कुछ लोगों को विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर बनाया गया था। 25 सफल अभ्यर्थियों में उत्तराखण्ड से मात्र तीन ही स्थानीय थे। चहेते अभ्यर्थियों को नौकरी दी गयी थी।

तत्कालीन कुलपति प्रो विनय पाठक ने कुछ अभ्यर्थियों के पास प्रोफेसर की योग्यता ना होने पर भी उन्हें प्रोफेसर बनाया गया था।अपने पी एस से लेकर डिप्टी रजिस्टार तक यूपी से लाए गए थे।

पूर्व कुलपति विनय पाठक की कई वरिष्ठ भाजपा नेताओं से गहरे सम्बन्ध भी थे। इन्हीं सम्बन्धों की बदौलत प्रो.विनय पाठक 40 की उम्र के आस पास ही कुलपति बन गए थे। उत्तराखण्ड आने वाले इन बड़े नेताओं के दौरे के समय वे देहरादून में उनसे मेल मुलाकात करते थे.


योग्यता रखने के बावजूद भी उत्तराखंड के युवाओं को नियुक्ति से बाहर रखा गया और अधिकतम नियुक्तियां उत्तरप्रदेश व अन्य राज्यों से की गयीं थी। कुलपति पाठक मात्र 40 साल की उम्र में हल्द्वानी स्थित ओपन विवि के कुलपति बने थे। 2005 में स्थापित ओपन विवि 2009 से 2012 तक खूब चर्चा में रहा। इसके बाद प्रो पाठक कोटा विवि के कुलपति होकर गए। uttarakhand open university

लखनऊ के इंदिरानगर थाने में दर्ज हुआ मुकदमा.पीड़ित से लिये 1 करोड़ 41 लाख का कमीशन. STF ने की 2 घण्टे पूछताछ

अविकल उत्तराखण्ड

लखनऊ/कानपुर/देहरादून।  उत्तराखंड मुक्त विवि के पूर्व कुलपति व छत्रपति शाहू महाराज विवि, कानपुर के मौजूदा कुलपति प्रो विनय पाठक व सहयोगी अजय मिश्रा के खिलाफ इंदिरानगर, लखनऊ में विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज हुआ है। पाठक पर बिलों के भुगतान के बदले 1.41 करोड़ वसूलने (15 प्रतिशत कमीशन)  व जान से मारने की धमकी का आरोप लगा है।

IPC की धारा 342, 346,504 ,506 व भ्र्ष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है.(देखें प्राथमिकी)। अजय मिश्रा को गिरफ्तार कर लिया है।

मौजूदा समय में कानपुर विवि के कुलपति प्रो विनय पाठक व एक्सएलआईसीटी कंपनी के मालिक अजय मिश्रा के खिलाफ जॉच शुरू हो गयी है।

अंबेडकर विवि की कार्यदायी एजेंसी डिजिटेक्स टेक्नोलॉजी इंडिया प्राइवेट लिमिटेड  के निदेशक डेविड मारियो डेनिस ने 29 अक्टूबर को इंदिरानगर थाने  में रिपोर्ट दर्ज करायी गयी है।

रिपोर्ट में निदेशक डेनिस ने कहा है कि पीड़ित की कंपनी ने 2014-15 से डॉ. भीमराव अम्बेडकर विवि, आगरा का प्री एवं पोस्ट परीक्षा से संबंधित कार्य किया था। इसके बाद वर्ष 2019-20 तक आगरा विवि के परीक्षा कार्य से संबंधित कार्य किया।

यही नहीं, वर्ष 2020-21 में यूपीएलसी के माध्यम से डॉ. भीमराव अम्बेडकर विवि, आगरा का प्री एवं पोस्ट परीक्षा का कार्य किया।

रिपोर्ट में  डेविड ने कहा कि  2020- 21 व 2021-22 में किए गए कार्यों से संबंधित बिलों का भुगतान डॉ. भीमराव अंबेडकर  विश्वविद्यालय में बकाया था।

बिलों के भुगतान के लिए वे  पूर्व कुलपति विनय पाठक से फरवरी महीने में  कानपुर विश्वविद्यालय स्थित उनके आवास पर पहुंचे।

रिपोर्ट में कहा गया है  पूर्व कुलपति प्रो विनय पाठक ने 15 प्रतिशत कमीशन का भुगतान करने पर बिल पास करने की बात कही। साथ ही धमकी दी कि कमीशन नहीं दोगे तो अन्य विवि से भी पीड़ित की कंपनी का अनुबंध समाप्त करवा देंगे।

निदेशक डेनिस ने कहा कि  विनय पाठक ने लखनऊ के खुर्रमनगर निवासी एक्सएलआईसीटी कंपनी के मालिक अजय मिश्रा से मुलाकात कर कमीशन का भुगतान करने को कहा।

पीड़ित ने करोड़ों के बिलों के भुगतान के लिए 1 करोड़ 41 लाख रुपये का कमीशन दिया।

यही नहीं, कानपुर विवि के कुलपति प्रो विनय पाठक ने  डॉ. भीमराव अम्बेडकर विवि, आगरा में 2022-23 का अनुबंध करने के लिए उनसे कमीशन मांगा। मना करने पर उन्हें जानमाल की धमकी दी। और अब यह काम अजय मिश्रा की कंपनी को दिलवा दिया। vc of kanpur university

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