भारत की पारम्परिक चिकित्सा पद्धति ने विश्व में देश का परचम लहराया -राज्यपाल

आयुर्वेद विवि के पहले दीक्षांत समारोह में राज्यपाल ने कहा, उत्तराखंड आयुर्वेद की भूमि.

दीक्षांत समारोह में 1,698 छात्र-छात्राओं को उपाधियां व 112 छात्र-छात्राओं को गोल्ड मेडल प्रदान किए

अविकल उत्तराखण्ड

देहरादून

                         राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने शुक्रवार को उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के पहले दीक्षांत समारोह में बतौर मुख्य अतिथि प्रतिभाग किया। इस दौरान उन्होंने 1,698 छात्र-छात्राओं को उपाधियां प्रदान करने के साथ ही विभिन्न विषयों में सर्वोच्च अंक प्राप्त करने वाले 112 छात्र-छात्राओं को गोल्ड मेडल प्रदान किए। उन्होंने विश्वविद्यालय की वार्षिक प्रगति विवरणिका ‘ब्रह्यकमल’ का भी विमोचन किया।

                        दीक्षांत समारोह में उपाधि धारकोें को उनके भविष्य के लिए बधाई एवं शुभकामनाएं देते हुए राज्यपाल ने कहा कि दीक्षांत समारोह छात्र-छात्राओं के लिए महत्वपूर्ण दिन होता है। उन्होंने कहा कि अपनी शैक्षणिक गतिविधियों से जो भी ज्ञान प्राप्त किया है, उसे अपने व्यवहार में लाने का प्रयास करें।

                       राज्यपाल ने कहा कि उत्तराखण्ड आयुर्वेद की भूमि है, यहीं से ही आयुर्वेद का उद्गम हुआ है। यहाँ हिमालय के विशाल और उन्नत शिखरों में अत्यन्त दुर्लभ जड़ी-बूटियां विद्यमान हैं। यह हम सब की जिम्मेदारी है कि हम आयुर्वेद के क्षेत्र में नेतृत्व करते हुए पूरे विश्व में आयुर्वेद को पहुंचाने का कार्य करें।

उन्होंने कहा कि आयुर्वेद आज समय की मांग है, आयुर्वेद के सहयोग से हम आर्थिकी में बड़ा बदलाव ला सकते हैं। राज्यपाल ने कहा कि हमें उत्तराखण्ड को वैलनेस और उन्नत आध्यात्मिक जीवनशैली के क्षेत्र में एक आयुर्वेद डेस्टिनेशन बनाना होगा।

                       राज्यपाल ने छात्र-छात्राओं से कहा कि आप ऐसे समय में डिग्री प्राप्त कर रहे हैं जब देश परिवर्तन में मुहाने पर है। हम हर दिशा में प्रगति कर रहे हैं। आजादी के अमृत महोत्सव के बाद इस अमृत काल में हमें विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करना है।

इसकी आप सभी पर बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि आज पूरे विश्व में आयुर्वेद चिकित्सा की मांग में प्रतिदिन बढ़ोत्तरी हो रही है। आज पारम्परिक चिकित्सा के माध्यम से न केवल हमने विकासशील देशों में बल्कि विश्व के कई विकसित देशों में भी भारत का परचम लहराया है। कोविड-19 महामारी के दौरान हम सभी ने आयुर्वेद की महत्ता को अनुभव किया है।



                       राज्यपाल ने कहा कि हमें आयुर्वेद के क्षेत्र में निरंतर अनुसंधान करने की जरूरत है साथ ही इसमें गुणवत्ता और वैल्यू एडिशन भी किया जाना जरूरी है। आयुर्वेद को मॉर्डन टेक्नोलॉजी से मिलाते हुए इसका प्रचार-प्रसार करना हमारी जिम्मेदारी है। उन्होंने आयुर्वेद शिक्षा के उन्नयन एवं प्रचार प्रसार के लिए विश्वविद्यालय की सराहना की।

                      दीक्षांत समारोह में पूर्व मुख्यमंत्री एवं सांसद डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक, पंतजलि विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य बालकृष्ण, सचिव आयुष डॉ. पंकज कुमार पाण्डे ने भी अपना संबोधन दिया। उन्होंने सभी उत्तीर्ण छात्र-छात्राओं को भविष्य के लिए शुभकामनाएं दी। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सुनील कुमार जोशी ने विश्वविद्यालय की उपलब्धियों की विस्तृत जानकारी सभी के सम्मुख रखी। इस अवसर पर कुलसचिव डॉ. राजेश कुमार अधाना, विभिन्न विश्वविद्यालय के कुलपतिगण, विश्वविद्यालय के कार्य परिषद एवं छात्र परिषद के सदस्य और छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।

Total Hits/users- 30,52,000

TOTAL PAGEVIEWS- 79,15,245

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *