चमोली जिले की 1970 की बाढ़ में टूटे दुर्मी ताल को फिर से संवारने की पहल करने पर ग्रामीणों ने सीएम त्रिवेंद्र का किया स्वागत
दुर्मी-निजमुला घाटी में एक प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र खोलने समेत बदरीनाथ विधानसभा के विकास की एक दर्जन घोषणाएं कीं
अविकल उत्त्तराखण्ड
गोपेश्वर। उत्त्तराखण्ड की दुर्मी-निजमुला घाटी खबरों में है। घाटी में विशेष हलचल। मौसम बहुत सर्द लेकिन वीवीआईपी आगमन और प्रशासन की भाग दौड़ से हवाओं में गर्मी भी घुली। देश को आजादी मिलने व उत्त्तराखण्ड राज्य गठन के 73 साल बाद सीमांत चमोली जिले की दुर्गम दुर्मी घाटी में किसी मुख्यमंत्री के कदम पड़े।
बुधवार को सीएम त्रिवेन्द्र सिंह रावत दुर्मी घाटी में थे। मौका सीएम के सम्मान समारोह से जुड़ा था। दरअसल, राज्य स्थापना दिवस 9 नवंबर को सीएम ने जीर्ण शीर्ण दुर्मी ताल फिर से बनाने की घोषणा की थी। 1970 की बाढ़ में दुर्मी ताल टूट गया था। और स्थानीय जनता कई साल से इस ताल के पुनर्निर्माण की मांग कर रही थी। सीएम त्रिवेंद्र रावत ने ग्रामीणों की मांग पूरी की। इस एवज में ग्रामीणों ने सीएम को आमंत्रित किया था। और दुर्मी घाटी के स्थानीय लोगों ने सीएम रावत का सम्मान किया। काफी संख्या में महिलाएं भी सीएम के स्वागत के।लिए पहुंची थी।
चमोली जिले की दुर्मी घाटी में 14 ग्राम पंचायत शामिल हैं। घाटी की जनसंख्या लगभग 8000 है। विकास और बुनियादी सुविधाओं की दृष्टि से इस घाटी में अभी बहुत कुछ होना बाकी है।
सम्मान समारोह में मुख्यमंत्री ने दुर्मी-निजमुला घाटी में एक प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र खोलने समेत बदरीनाथ विधानसभा क्षेत्र के विकास के लिए बुनियादी सुविधाओं से संबंधित लगभग एक दर्जन घोषणाएं कीं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार पहाड़ की महिलाओं के सिर से घास का बोझ हटाने की योजना बना रही है, इस योजना को अमल में लाने के लिये आगामी बजट में धनराशि की घोषणा की जाएगी। इस योजना को अगले पांच वर्ष में पूरी तरह धरातल पर उतार दिया जाएगा।
इस मौके पर क्षेत्रीय विधायक महेन्द्र भट्ट, भाजपा के जिलाध्यक्ष रघुवीर बिष्ट, दर्जाधारी राज्यमंत्री रिपुदमन सिंह रावत, जिला सहकारी बैंक चमोली के अध्यक्ष गजेन्द्र सिंह रावत आदि मौजूद रहे।
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