मेरी प्यारी बोई- मन की टीस जो रंगीन पर्दे पर उतर गई

मन की एक टीस से उठ गया भावनाओं का तूफान


मानवीय संवेदनाओं की सटीक अभिव्यक्ति है मुकेश धस्माना की मेरी प्यारी बोई


विपिन बनियाल/अविकल उत्त्तराखण्ड


-उत्तराखंडी सिनेमा के प्रमुख कलाकार, निर्माता-निर्देशक मुकेश धस्माना मंुबई में रहते हैं। रचना संसार में आज भी मशगूूल हैं। 2004 में वह एक गढ़वाली फिल्म लेकर आए। नाम था-मेरी प्यारी बोई। अनिल जोशी फिल्म के निर्माता थे और धस्माना ने अपने मरहूम दोस्त सुरेंद्र भंडारी के साथ इस फिल्म का निर्देशन किया था।

यह फिल्म धस्माना का ब्रेन चाइल्ड थी। उन्होंने ही इस फिल्म की कहानी को लिखा था। जीत सिंह नेगी ने गीत लिखे थे और संगीत संतोष खेतवाल ने दिया था। फिल्म में प्रदीप डुकलान और रचिता कुकरेती की जोड़ी थी, लेकिन बोई का जो किरदार सबसे प्रमुख था, उसे निवेदिता बौठियाल ने बखूबी निभाया था। इस फिल्म के सपनेे को मुकेश धस्माना ने 15 साल से ज्यादा समय तक जिया। जब फिल्म बनाने का अवसर आया, तो फिर अपना सब कुछ झोंक दिया।

देखें वीडियो


दरअसल, इस फिल्म के निर्माण के पीछे मुकेश धस्माना के मन की एक टीस सबसे प्रमुख कारण रही है। जग्वाल के बाद गढ़वाली की कबि सुख कबि दुख फिल्म रिलीज हुई थी। इस फिल्म में मुकेश धस्माना हीरोे थे, लेकिन पहाड़ की इस फिल्म से पहाड़ ही गायब था। दर्शकों ने इसे स्वीकार नहीं किया और फिल्म को आलोचना झेलनी पड़ी। धस्माना बताते हैं-मुझे तब बहुत दुख हुआ था।

मुकेश धस्माना,अभिनेता-निर्देशक

मन में टीस थी कि इतनी मेहनत के बावजूद दर्शकों के दिलों में यह फिल्म जगह नहीं बना पाई। मैं बनाऊंगा पहाड़ की फिल्म। धस्माना कहते हैं कि मेरी प्यारी बोई के जरिये पहाड़ की नारी की पीड़ा, मॉ बेटे के रिश्तें और तमाम सारी बातों को पर्दे पर उकेर कर उन्हें बहुत सुकून मिला है। धस्माना के साथ मेरी प्यारी बोई से संबंधित तमाम बातें धुन पहाड़ की यू ट्यूब चैनल के वीडियो में की गई हैं। आप इस वीडियो को देख सकते हैं।

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