दयानन्द अनन्त की कहानी -कनॉट सर्कस के कौवे का सफल एकल नाट्य मंचन
अविकल उत्तराखंड
देहरादून। दून पुस्तकालय एवम् शोध केंद्र की ओर से साहित्यकार दयानंद अनंत की स्मृति में उनके व्यक्तित्व व रचना संसार पर आयोजित साहित्यिक विमर्श और उनकी कहानी कनाट सर्कस के कौवे पर एकल नाट्य मंचन का आयोजन दून में किया गया।
इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि वक्ता के तौर पर दयानंद अनंत के घनिष्ट मित्र साहित्यकार और समयांतर के संपादक पंकज बिष्ट उपस्थित रहे। उन्होंने अनंत जी के लेखन, उनकी रचनाओं, पत्रकारिता का सम्यक विश्लेषण करते हुए उन्हें हिन्दी का अप्रतिम कथाकार बताया।
अनंत जी के व्यक्तित्व से जुड़े कई महत्वपूर्ण प्रसंगों को भी उन्होंने उपस्थित श्रोताओं के समक्ष रखा। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता हिन्दी के वरिष्ठ साहित्यकार सुभाष पंत ने की । युगवाणी के संपादक संजय कोठियाल ने दयानंद अनंत की पत्रकारिता से जुड़े अपने संस्मरण साझा किये। कथाकार विजय गौड़ द्वारा अनंत जी कहानी कनाट सर्कस के कौवे पर अपनी भाव पूर्ण एकल नाट्य प्रस्तुति दी। कनॉट सर्कस के कौए एक ऐसी कहानी है जिसमें झूठे आकर्षणों में फसी मध्यवर्ग की चाह कैसे व्यापक जन समाज की स्थितियों को न सिर्फ दरकिनार करती है।
बल्कि उस पर करने के लिए भी किस तरह से तत्पर रहता है उसे यह कहानी बहुत अच्छे तरीके से सामने रख देती है। वर्गीय विषमता की खाई और मध्य वित्त समाज के आग्रह / दुराग्रह उनकी कहानियों में खुद-ब-खुद जगह पा जाते हैं। प्रारम्भ में दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र की ओर से अतिथियों का स्वागत किया गया। संस्थान की ओर से इस तरह के साहित्यिक कार्यक्रमों को समय-समय पर बढ़ावा देने की बात कही गई।
कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ साहित्यकार राजेश सकलानी ने किया। कार्यक्रम के अन्त में प्रोग्राम एसोसिएट, चन्द्रशेखर तिवारी ने धन्यवाद ज्ञापन दिया। कार्यक्रम में देहरादून के अनेक साहित्यकार, बुद्धिजीवी, पत्रकार, साहित्य प्रेमी तथा पुस्तकालय के सदस्य उपस्थित रहे।
उल्लेखनीय है कि उत्तराखंड के प्रसिद्ध लेखक एवं साहित्यकार दयानंद अनंत का जन्म 14 जनवरी 1929 को नैनीताल में हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा नैनीताल और उच्च शिक्षा लखनऊ से हुई । उनके पिता का नाम पूर्णानंद ढौंडियाल व माता का नाम सावित्री देवी था। मूलतः वे पौड़ी जनपद के चौखुटा गांव के निवासी थे। दयानंद अनंत ने कई लघु कथाएं, कहानियां, उपन्यास लिखने के अलावा कुछ टेलीविजन नाटकों की पटकथा भी लिखी। वे एक कुशल संपादक और सामाजिक चिंतक भी थे।
उन्होंने कई कहानियों का हिंदी अनुवाद भी किया अनंत ने रुसी दूतावास में जनसंपर्क अधिकारी के रूप में भी अपनी सेवाएं दी। 1980 की अवधि में उन्होंने दिल्ली से पर्वतीय टाइम्स नाम का एक अखबार भी निकाला जो काफी चर्चित रहा। एक दशक तक वे इसके संपादन कार्य से जुड़े रहे। दयानंद अनंत राम प्रसाद घिल्डियाल पहाड़ी फाउंडेशन, उत्तराखंड संस्कृति साहित्य एवं कला परिषद्, पहाड़ रजत सम्मान, उमेश डोभाल स्मृति सम्मान नंदा देवी महोत्सव सम्मान तथा मोहन उप्रेती सम्मान से भी सम्मानित हुए हैं।
नैनीताल से लगाव के कारण उन्होंने भवाली में मकान बनवाया था जिसमें वे अन्त समय तक रहे। 13 अक्टूबर 2016 को 88 साल की आयु में उनका निधन हुआ। उनकी कहानी संग्रह चूहेदानी, गुइया गले न गले व कनाट सर्कस के कौवे तथा उपन्यास कामरेड, कौकर नाग पर कुहासा निशांत और फातिमा मुख्य साहित्यिक कृतियां है।
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