अनुपमा देशपांडेः गायिकी कमाल, सादगी की मिसाल
-उत्तराखंड फिल्म संगीत से वर्षों पुराना जुड़ाव

जन्मदिन स्पेशल- अनुपमा देशपांडेः गायिकी कमाल, सादगी की मिसाल
-उत्तराखंड फिल्म संगीत से वर्षों पुराना जुड़ाव

अविकल उत्तराखंड/विपिन बनियाल

-अनुपमा देशपांडे को हिंदी फिल्मों में उनके किस गीत से आप याद करना चाहेंगे। सोणी चिनाब दे किनारे या फिर ओ यारा, तू प्यारों से है प्यारा। या फिर लगी आज सावन की फिर वो झड़ी है या फिर उनके गाए अन्य किसी गाने से।

बॉलीवुड की मशहूर गायिका अनुपमा देशपांडे की आवाज में एक अलग तरह की कशिश है। गाने चाहे जिस मूड के हों, अनुपमा देशपांडे की आवाज अपना प्रभाव अपने आप तय करती है। उत्तराखंड भी अनुपमा देशपांडे की आवाज का कायल है। इस आवाज के साथ उत्तराखंड का यह रिश्ता तब और भी मजबूत होता है, जब हम यह जानते हैं कि कई उत्तराखंडी फिल्मों के गानों में अनुपमा देशपांडे ने अपना स्वर दिया है।

आज यानी दो अक्टूबर को अनुपमा देशपांडे का जन्मदिन है और यह वो अवसर है, जब उन्हें ढेरों शुभकामनाएं मिल रही है। अनुपमा देशपांडे ने सिर्फ अपनी खनकती आवाज से ही लोगों का दिल नहीं जीता है, बल्कि अपनी सादगी से भी लोगों के दिलों में अलग जगह बनाई है। ऐसे एक नहीं, कई किस्से हैं, जब उत्तराखंडी फिल्म निर्माण से जुडे़ लोगों का उनसे संपर्क हुआ और वह उनके व्यक्तिव के मुरीद हो गए।

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अनुपमा देशपांडे ने आधा दर्जन से ज्यादा गढ़वाली फिल्मी गाने गाए हैं। उर्मि नेगी की वर्ष 1993 में आई फिल्म फंयोली में उन्होेंने सबसे ज्यादा पांच गाने गाए हैं। इस फिल्म की निर्मात्री और अभिनेत्री उर्मि नेगी ने निर्देशक चरण सिंह चौहान, संगीतकार पंडित किशोर को साथ लेकर इस फिल्म में गाने के लिए अनुपमा देशपांडे से खास तौर पर अप्रोच की थी। इस समय तक फिल्म फेयर अवार्ड भी अनुपमा देशपांडे को मिल चुका था। फिल्म के सारे गाने अनुपमा ने स्टूडियो में रिकार्ड करा दिए थे।

रिकार्डिंग का काम निबट चुका था और डबिंग चल रही थी। ऐसे में एक दिन एक सफर के दौरान उर्मि नेगी के जेहन में एक गीत की कुछ लाइनें कौंधी और उन्होंने उसे फिल्म के आखिर में रखने का निर्णय लिया। मगर स्टूडियो की उपलब्धता नहीं थी। उर्मि नेगी ने अनुपमा देशपांडे के सामने समस्या रखी, तो उन्होंने डबिंग रूम में ही आकर यह गााना रिकार्ड करा दिया। अनुपमा देशपांडे की इस सादगी को उर्मि नेगी आज भी याद करती हैं।


अनुपमा देशपांडे की आवाज का उपयोग नरेंद्र सिंह नेगी ने वर्ष 1986 में कौथिग फिल्म के एक गाने के लिए भी किया था। इस फिल्म में गीत-संगीत नरेंद्र सिंह नेगी का था। पहाड़ के प्रसिद्ध गायक संतोष खेतवाल के साथ अनुपमा देशपांडे की आवाज में यह गाना काफी पसंद किया गया था और यह गाना था कौथिगेरू ना। उर्मि नेगी की तरह ही गायक संतोष खेतवाल भी अनुपमा देशपांडे की गायिकी और उनके व्यवहार से प्रभावित हैं। वह अनुपमा देशपांडे के साथ गाने को अपना सौभाग्य मानते हैं।

अनुपमा ने एक और गढ़वाली फिल्म बटोई के लिए भी एक गाना गायक और संगीतकार कैलाश थलेड़ी के साथ रिकार्ड कराया था। यह एक युगल गीत था, जिसे अनुपमा देशपांडे और कैलाश थलेड़ी ने अपनी आवाज दी थी। थलेड़ी की अनुपमा देशपांडे की गायिकी और व्यवहार को लेकर उसी तरह की राय है, जैसी उर्मि नेगी और संतोष खेतवाल ने व्यक्त की है। अनुपमा देशपांडे पर केंद्रित वीडियो यू ट्यूब चैनल धुन पहाड़ की में उपलब्ध है, जिसमें इन सारी बातों को विस्तार से सामने रखा गया है। आप इसे वहां देख सकते हैं।

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