पर्वतीय क्षेत्र के मेडिकल कालेज की फैकल्टी को 50 फीसदी अतिरिक्त भत्ता मिलेगा । लेकिन पूर्व में स्वीकृत 20 फीसदी डिफिकल्ट हिल एरिया एलाउंस देय नहीं होगा
स्वास्थ्य संबंधी कार्डों की सही मॉनिटरिंग के लिए भी तैयार किया जाए प्लेटफॉर्म
टेलीमेडिसिन की सुविधा के लिए हेल्पलाइन नम्बर 104 का व्यापक प्रचार किया जाए
अविकल उत्तराखंड
देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अस्पतालों में मरीजों को रजिस्ट्रेशन के लिए लंबी लाइन में खड़ा न होना पड़े, इसके लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन एवं टोकन की व्यवस्था से जुड़ा सिस्टम बनाया जाय।
दूसरी ओर, पर्वतीय इलाके श्रीनगर, अल्मोड़ा व पिथौरागढ़ मेडिकल कालेज की फैकल्टी को 50 फीसदी अतिरिक्त भत्ता मिलेगा । लेकिन मेडिकल फैकल्टी को 50 फीसदी अतिरिक्त भत्ता मिलने पर पूर्व में स्वीकृत 20 फीसदी डिफिकल्ट हिल एरिया एलाउंस नहीं दिया जाएगा। जल्द ही इस सम्बंध में शासनादेश कर दिया जाएगा।
दिल्ली से लौटने के बाद सचिवालय में स्वास्थ्य व चिकित्सा शिक्षा विभाग की समीक्षा बैठक में सीएम ने कहा कि टेलीमेडिसिन की सुविधा के लिए हेल्पलाइन नम्बर 104 को जन जगारूकता के लिए व्यापक स्तर पर प्रचारित किया जाए।
स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए जारी होने वाले आयुष्मान कार्ड, गोल्डन कार्ड, श्रम विभाग द्वारा जारी होने वाले कार्ड तथा स्वास्थ्य संबंधी अन्य कार्डों की सही मॉनिटरिंग के लिए उन्हें एक प्लेटफॉर्म पर लाया जाए।
उन्होंने कहा कि ब्लॉक एवं तहसील स्तर तक स्थानीय लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए हर संभव प्रयास किये जाएं। ऐसी व्यवस्था की जाए कि नवजात शिशु के अस्पताल में जन्म होने पर उनके जन्म प्रमाण पत्र अस्पताल से ही निर्गत हों।
उन्होंने कहा कि वर्षाकाल के बाद वायरल, डेंगू एवं मलेरिया का प्रकोप अधिक रहता है, इससे निपटने के लिए अस्पतालों में सभी आवश्यक व्यवस्थाएं सुनिश्चित हों। नगर निगम एवं नगर पालिका क्षेत्रों में नियमित फॉगिंग की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। त्योहारों के सीजन के दृष्टिगत विशेष सतर्कता बरती जाए।
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए जो निर्माण कार्य चल रहे हैं, जिन निर्माण कार्यों में विलंब हो रहा है, सबंधित कार्यदाई एजेंसियों के खिलाफ सख्त रूख अपनाया जाए ।
स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि प्रदेश के सभी अस्पतालों में रोगी पंजीकरण शुल्क की समान व्यवस्था की जाए। बैठक में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने राज्य में स्वास्थ्य से संबंधित विभिन्न गतिविधियों की प्रजेन्टेशन के माध्यम से विस्तृत जानकारी दी।
बैठक में अपर मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी, सचिव स्वास्थ्य डॉ. आर. राजेश कुमार, अपर सचिव अरूणेन्द्र चौहान, श्रीमती अमनदीप कौर, प्रभारी महानिदेशक स्वास्थ्य डॉ. विनीता शाह, प्रधानचार्य दून मेडिकल कॉलेज डॉ. आशुतोश सयाना, निदेशक स्वास्थ्य डॉ. सरोज नैथानी एवं स्वास्थ्य विभाग के सम्बन्धित अधिकारी उपस्थित थे।
पर्वतीय क्षेत्र के मेडिकल कालेज की फैकल्टी को 50 फीसदी अतिरिक्त भत्ता मिलेगा
शीघ्र होगा शासनादेश, दूर होगी मेडिकल फैकल्टी की कमी
देहरादून।
उत्तराखंड के पर्वतीय जनपदों में स्थित राजकीय मेडिकल कॉलेज अब फैकल्टी की समस्या से नहीं जूझेंगे। राज्य सरकार ने मेडिकल कॉलेजों में नियमित एवं संविदा पर तैनात मेडिकल फैकल्टी को उनके वेतनमान के सापेक्ष 50 फीसदी अतिरिक्त भत्ता देने का निर्णय लिया है। इसका शासनादेश शीघ्र जारी कर दिया जायेगा। राज्य सरकार के इस फैसले से पर्वतीय क्षेत्रों में राजकीय मेडिकल कॉलेजों को आवश्यकतानुसार फैकल्टी मिल सकेगी।
राज्य के पर्वतीय जनपदों में स्थित मेडिकल कॉलेज शुरू से ही प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर की भारी कमी से जूझ रहे हैं। यहां विभिन्न विभागों में खाली पड़े पदों को भरने के लिए हर बार साक्षात्कार तो किया जाता है, लेकिन सेलेक्शन के बावजूद अधिकतर विशेषज्ञ चिकित्सक इन कॉलेज में योगदान नहीं देते हैं।
श्रीनगर, अल्मोड़ा तथा पिथौरागढ़ के राजकीय मेडिकल कॉलेज हेतु मेडिकल फैकल्टी को वेतनमान के सापेक्ष 50 फीसदी अतिरिक्त भत्ता दिये जाने का प्रस्ताव कैबिनेट में रखा। राज्य कैबिनेट ने डॉ0 रावत के प्रस्ताव पर अपनी सहमति देते हुये इसे सराहनीय पहल बताया। कैबिनेट की स्वीकृति के बाद विभागीय मंत्री डॉ0 रावत ने इस प्रस्ताव को स्वीकृत करते हुये विभागीय अधिकारियों को शीघ्र शासनादेश जारी करने के निर्देश दे दिये हैं।
मेडिकल फैकल्टी को मिलने वाला 50 फीसदी अतिरिक्त भत्ता मेडिकल टीचर्स डिफिसेंसी कॉम्पेन्सेटरी स्कीम के अंतर्गत दिया जायेगा। जिसके लिये संबंधित विभाग में एक कॉर्पस फंड बनाया जायेगा, जिसका संचालन संबंधित कॉलेज के प्राचार्य द्वारा किया जायेगा। मेडिकल फैकल्टी को 50 फीसदी अतिरिक्त भत्ता मिलने पर पूर्व में स्वीकृत 20 फीसदी डिफिकल्ट हिल एरिया एलाउंस देय नहीं होगा। विभाग को उम्मीद है कि इस नई पहल से पहाड़ के मेडिकल कॉलेजों में लम्बे समय से चली आ रही फैकल्टी की कमी दूर हो सकेगी।
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