बागवानी के लिए दी गयी वन भूमि की लीज बढ़ाने के लिए वन एवं पर्यावरण मंत्रालयन की अनुमति जरूरी
ऊंची पहुंच के आवेदक की 1 महीने के अंदर पट्टे की लीज रिन्यू करते हुए 30 साल बढ़ायी।
2017 का है मामला। तत्कालीन टिहरी डीएम सोनिका व मातहतों ने ऊंची पहुंच के पट्टेधारक की वन भूमि की लीज की स्वीकृति का प्रस्ताव केंद्र को नहीं भेजा। इस प्रकरण में तत्कालीन जिला प्रशासन व अन्य विभागों की तेजी काबिलेगौर। पूर्व आईएएस सिंघा गढ़वाल के कमिश्नर रह चुके हैं।
वन भूमि पर पट्टेधारक की लीज 2001 में हो गयी थी समाप्त। वार्षिक लीज रेंट भी नही किया था जमा।
2017 जून में पट्टेधारक ने लीज के नवीनीकरण के लिए टिहरी डीएम सोनिका को लिखा पत्र। केंद्र के नियमों की अनदेखी एक महीने में 30 साल के लिए बढ़ा दी गयी लीज।
केंद्र सरकार की अनुमति के बिना नहीं हो रहा अन्य लीजधारकों के पट्टे का नवीनीकरण
अविकल उत्त्तराखण्ड
देहरादून।
उत्त्तराखण्ड की चंबा- टिहरी फल पट्टी के एक्सपायर हो चुके वन भूमि पट्टे की लीज के नवीनीकरण ( renewal) में अजब खेल का खुलासा हुआ है। लीज के नवीनीकरण में केंद्रीय वन एवम पर्यावरण मंत्रालय की पूर्वानुमति व नियमों को धत्ता बता टिहरी जिला प्रशासन ने तुरत फुरत आवेदक की लीज 30 साल के लिए बढ़ा दी। मामला ऊंची पहुंच रखने वाले पट्टेधारक से जुड़ा है। 1969 में उत्तर प्रदेश के जीएस सिंघा ने कुल 98 नाली 8 मुठ्ठी भूमि लीज पर लेकर बागवानी शुरू की थी। लीज 2001 में खत्म हो गयी थी। सूत्र बताते हैं पूर्व आईएएस सिंघा गढ़वाल के कमिश्नर भी रहे हैं।
इस वन भूमि पट्टे के नवीनीकरण में तत्कालीन डीएम सोनिका व उनके मातहतों ने इतनी तत्परता दिखाई कि डिफाल्टर पट्टेधारक का पट्टा 30 साल के लिए रिन्यू कर दिया। नवीनीकरण की कार्यवाही एक महीने से भी कम समय में पूरी कर दी गयी। जबकि अन्य लीजधारकों की केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के अनुमति पत्र के बिना लीज रिन्यू नही हो रही है।Chamba-tehri fruit belt
नियमों के मुताबिक इस मामले में टिहरी जिला प्रशासन ने केंद्र को लीज की स्वीकृति का बाबत कोई प्रस्ताव ही नहीं भेजा। और कालातीत हो चुके पट्टे की लीज 30 साल के लिए बढ़ा दी। जबकि अपर प्रमुख वन संरक्षक राजेन्द्र कुमार ने 2010 में तत्कालीन जिला प्रशासन को लिखे पत्र में साफ लिखा था कि चंबा-मसूरी फलपट्टी योजना के तहत दिए गए पट्टे कालातीत हो चुके हैं। भारत सरकार की हरी झंडी के बाद ही उक्त पट्टों को स्वीकृत किया जा सकता है। लेकिन डीएम टिहरी ने इस महत्वपूर्ण आदेश की भी अनदेखी कर दी।
यह मामला लगभग चार साल पुराना है। इस मामले में टिहरी जिला प्रशासन व पट्टेधारक ने भारत सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की सख्त निर्देशों की खुली अवहेलना की। केंद्र के निर्देशों में साफ लिखा है कि बागों के लीज के नवीनीकरण में वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की अनुमति लेनी होगी। इस संबंध में राज्य सरकार के भी साफ निर्देश हैं।
गजब बात तो यह रही कि टिहरी के उद्यान विभाग, राजस्व व जिला प्रशासन के विभिन्न कर्मचारियों ने डिफाल्टर पट्टेधारक के बाग की लीज को 30 साल तक बढ़ाने के लिए अपनी अपनी तरफ से बहुत ही तेजी दिखाई।
मामला कुछ इस प्रकार है। लखनऊ निवासी जीएस सिंघा ने 1969 में टिहरी के कंडीसौड़ फल पट्टी में बागवानी के लिए 98 नाली 10 मुठ्ठी वन भूमि लीज पर ली। इस पट्टे की लीज 2001 को खत्म हो गयी थी।
सालाना लीज रेंट भी जमा नहीं किया था
2003 में पट्टेधारक सिंघा की मृत्यु के बाद उक्त पट्टा उनकी पत्नी दया सिंघा व दो बेटों के नाम दाखिल खारिज हो गया। इसके बाद बिना सालाना लीज रेंट दिए पट्टेधारक बागवानी करते रहे। जबकि पट्टे का प्रीमियम 26 नवंबर 2011 तक ही जमा था। इस बीच, 2012 में पट्टे की लीज अवधि भी समाप्त हो गयी। लेकिन 5 साल बाद आवेदकों ने लीज के नवीनीकरण के लिए तत्कालीन डीएम सोनिका सिंह को प्रार्थना पत्र लिखा।
लीज खत्म, कई साल बाद याद आयी
12 जून 2017- लीज अवधि समाप्त होने के पांच साल बाद पट्टेधारकों को पट्टे के नवीनीकरण की याद आयी। लिहाजा, 12 जून 2017 को श्रीमती दया सिंह व उनके पुत्रों ने तत्कालीन टिहरी डीएम सोनिका को पत्र लिखकर लीज बढ़ाने की अपील की। हालांकि, 2012 तक लीज रेंट नही भरने पर पट्टेधारक डिफाल्टर हो गए थे। सालाना लीज रेंट भी 2002 से नहीं भरा गया था। लेकिन जिला प्रशासन इस गलती की ओर भी आंखे मूंदे रहा।Chamba-tehri fruit belt
तत्कालीन डीएम टिहरी सोनिका सिंह ने प्रार्थना पत्र पर सकारात्मक कदम उठाते हुए सम्बंधित विभागीय पक्षों उद्यान विभाग व राजस्व से रिपोर्ट मंगवा ली। इस प्रकरण से जुड़े जिला प्रशासन, वन विभाग के तमाम अधिकारी व कर्मचारी सक्रिय हो उठे।
जुलाई 2017 में 30 साल की लीज पर मुहर
जमीन की बाजार भाव पर गणना कर डिफाल्टर पट्टेधारक से 27 नवंबर 2002 से 27 नवंबर 2017 तक सालाना लीज रेंट व प्रीमियम ( 1 लाख 42 हजार 912 रुपए ) जमा करवा दिया गया। और जुलाई 17 में पट्टे के नवीनीकरण की फाइल पर मुहर भी लग गयी। 2042 तक पट्टे की लीज 30 साल तक बढ़ा दी गयी। यही नही, 2018 से वार्षिक लीज रेंट 8932 रुपए भी तय कर दिया गया।
वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की अनुमति जरूरी
इस मामले का सबसे अहम पहलु यह है कि अपर प्रमुख वन संरक्षक राजेन्द्र कुमार ने 22 दिसंबर 2010 के पत्र में टिहरी गढ़वाल में चंबा-मसूरी फलपट्टी योजना के तहत दी गयी लीजों के नवीनीकरण के सम्बंध में साफ-साफ लिखा है।
अपर प्रमुख वन सरंक्षक राजेन्द्र कुमार ने डीएम को लिखे पत्र में लिखा है- वन संरक्षण अधिनियम 1980 में निहित प्रावधानों और भारत सरकार पर्यावरण एवं मंत्रालय द्वारा जारी दिशा निर्देशों के अनुसार वन भूमि पर स्वीकृत लीजों के नवीनीकरण हेतु भारत सरकार पर्यावरण एवं वन मंत्रालय की पूर्व अनुमति प्राप्त की जानी अनिवार्य है। चंबा- मसूरी फल पट्टी योजना के अंतर्गत अविभाजित उत्तर प्रदेश में वर्ष 1925 से पूर्व वन भूमि पर अनेक पट्ठे निजी व्यक्तियों को बाग लगाने हेतु स्वीकृत किए गए थे। वन संरक्षण अधिनियम 1980 लागू होने के फल स्वरूप वर्ष 1980 से पूर्व वन भूमि पर स्वीकृत उक्त लीजों के नवीनीकरण हेतु प्रस्ताव भारत सरकार को भेजे जाने हैं। भारत सरकार से स्वीकृति प्राप्त किए जाने के उपरांत उक्त पदों को स्वीकृत किया जा सकता है।
तत्कालीन टिहरी डीएम को लिखे पत्र में कहा है कि वन भूमि और स्वीकृत उक्त लीजों के नवीनीकरण हेतु प्रस्ताव भारत सरकार को भेजे जाने हैं। भारत सरकार से स्वीकृति प्राप्त किये जाने के बाद ही उक्त पट्टों को स्वीकृत किया जा सकता है।
यह भी लिखा है कि चंबा-मसूरी फलपट्टी योजना के तहत दिए गए पट्टे कालातीत (एक्सपायर) हो चुके हैं। जिनका नवीनीकरण शासनादेश 9 सितम्बर 2005 में उल्लिखित व्यवस्था के अनुसार किया जाना है।Chamba-tehri fruit belt
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