अविकल उत्तराखंड
लखनऊ। उतराखण्ड महापरिषद के रंगमंडल द्वारा गांधी व लाल बहादुर शास्त्रीय की जयंती के अवसर पर मोहन सिंह बिष्ट सभागार में नाटक ‘‘मीठी ईद’’ नाटक का मंचीय प्रदर्शन किया गया।
नाटक में मुख्य अतिथि ऋषि पाण्डे -सिडबी, विशिष्ट अतिथि कमल जोशी, एआरटीओ, संयोजक दीवान सिंह अधिकारी, अध्यक्ष उत्तराखण्ड महापरिषद हरीश चन्द्र पंत एवं महासचिव भरत सिंह बिष्ट द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्जवलित कर नाटक का शुभारम्भ किया गया। अध्यक्ष हरीश चन्द्र पंत एवं भरत सिंह बिष्ट व पदाधिकारियों ने मुख्य अतिथि को पुष्प गुच्छ एवं अंगवस्त्र भेंट कर मंचासीन किया।
उतराखंड महापरिषद का रंगमंडल द्वारा भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय, नई दिल्ली के सहयोग से बी एल गौड़ की मूल कहानी पर आधारित तथा श्रीमती रोजी मिश्रा के शानदार निर्देशन में इस नाटक में इंसानियत को ही सबसे बड़ा दर्जा दिया गया है।

नाटक पांच पात्रों के ही इर्द गिर्द घूमते दिखता है। आज भले ही हर इंसान अपने लिए ही जी रहा है और अपने शानो शौकत को पूरा करने में अपना जीवन समाप्त कर दे रहा है।
मगर इस नाटक में एक सरकारी इंजीनियर जो अपने परिवार से दूर होकर जम्मू में ड्यूटी ज्वाइन करता है और बेहद ईमानदारी, मेहनत और लगन से काम करता है। इस बीच उसकी पत्नी शारदा से उसकी प्रेम कहानी भी बेहद दिलचस्प है।
नौकरी के दौरान उसे अपने साथ कम कर रहे भरत से बेहद लगाव हो जाता है और भरत को भी इंजीनियर विजय के कार्यों और ईमानदारी को देखकर अपनापन लगने लगता है। इंजीनियर विजय की साइट में एक मजदूर अब्दुल भी काम करता है जिसे देखकर विजय को उस पर दया आती है और उसकी घर की दयनीय स्थिति से वह दुखी हो जाता है और हर संभव मदद करता है। इस बीच साइट में एक दिन इंजीनियर विजय के पैर में मोच आ जाती है जिसके कारण उसे काफी तकलीफ होती है और इस दौरान भरत उसकी काफी मदद करता है और अब्दुल भी दिन रात इंजीनियर विजय की सेवा करता है। दोनों के इतने लगाव से विजय काफी प्रभावित होता है। इसका परिणाम यह होता है कि दोनों, इंजीनियर विजय को अपने परिवार से कम नहीं लगते। एक समय ऐसा आता है जब इंजीनियर विजय का तबादला जम्मू से दिल्ली हो जाता है।
इसे देख भरत, अब्दुल और उसकी पत्नी फातिमा इंजीनियर विजय के जाने से बेहद दुखी हो जाते है। इसी बीच ईद आने वाली होती है और अब्दुल और फातिमा इंजीनियर विजय को मीठी ईद की सिवई देते है। इस बीच, विजय अपने घर दिल्ली चला जाता है और अपनी पत्नी शारदा को पूरी कहानी बताता है तब उसकी पत्नी अब्दुल और फातिमा के बारे में पूछती है तब विजय रुंधे गले से कहता है कि अब्दुल …. एक एंजिल था, एक फरिश्ता, जो आसमान से सीधा जम्मू में सीमेंट की चादर वाले मेरे मकान में उतरा था।

इस नाटक में इंजीनियर के किरदार में प्रखर द्विवेदी, शारदा के रूप में सुश्री भावना गुप्ता, अब्दुल के किरदार में आकाश राज, फातिमा के रूप में सुश्री भूमिका गुप्ता और भरत (सहयोगी इंजिनियर) के किरदार में महेन्द्र गैलाकोटी ने शानदार अभिनय किया।
संगीत संचालन राहुल शर्मा, प्रकाष संचालन देवाषीष मिश्रा तथा मेकअप शहीर का था।
इस अवसर पर उत्तराखण्ड महापरिषद के पदाधिकारियों में मंगल सिंह रावत, महेश चन्द्र रौतेला, भुवन पाठक, भुवन पटवाल, सुरेश पाण्डेय, मोहन पन्त, रमेश अधिकारी, पूरन जोशी प्रकाश वीर श्रीवास्तव, महेश पाण्डेय, के एस चुफाल, जगत सिंह राणा, पूरन सिंह जीना, कैलाश सिंह, पान सिंह, विजय बिष्ट, लाल सिंह, महेश पाण्डेय, पुष्पा वैष्णव, पूनम कनवाल, हरितिमा पन्त, पुष्पा गैलाकोटी, हेमा विष्ट, करूणा पाण्डेय, शिखा सिंह आदि लोग शामिल रहे।

