NHAI ने माना कि आउटसाइड हो रहे थे एप्रोच वाल के पैनल्स
एप्रोच वाल के आउटसाइड हो रहे पैनल को soil nailing विधि से रोकने की जुगत
मियांवाला-हर्रावाला फ्लाईओवर-यातायात शुरू होते ही खिसकने लगे थे एप्रोच वाल के पैनल
अभी उदघाटन नही हुआ इस फ्लाईओवर का लेकिन महीने भर से यातायात चालू
अपकेंद्रीय बल (centrifugal force) से खिसक जाते है वर्टिकल पैनल्स
फ्लाईओवर की गुणवत्ता को लेकर आशंकाएं गहराने लगी
पैनल्स आउटसाइड (outside) हो रहे थे। लिहाजा अतिरिक्त सुरक्षा के उपाय किये जा रहे हैं। ठेकेदार के खर्चे से ही सॉइल नैलिंग का कार्य किया जा रहा है। पंकज मौर्य, परियोजना निदेशक, NHAI
फ्लाईओवर पूरी तरह सुरक्षित। एप्रोच वाल के पैनल रोकने के लिए सॉइल नैलिंग की गई है – एस के बिरला, चीफ इंजीनियर
अविकल उत्त्तराखण्ड
देहरादून। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के देहरादून -हरिद्वार मार्ग के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट के एक फ्लाईओवर के निर्माण में लापरवाही सामने आयी है। बिना उदघाटन के लगभग एक महीने पहले ही मियांवाला-हर्रावाला फ्लाईओवर में यातायात शुरू किया गया था। अति व्यस्त फ्लाईओवर में वाहनों के चलने के बाद एप्रोच वाल के एक दूसरे से कनेक्ट पैनल्स (ब्लॉक) अपनी जगह छोड़ने लगे। और आउटसाइड होने लगे। इनके बीच गैप भी देखा गया।
करोड़ों की लागत से देहरादून-हरिद्वार राष्ट्रीय राजमार्ग में बने नये नवेले मियांवाला-हर्रावाला फ्लाई ओवर की एप्रोच वाल के पैनल खिसकने का संज्ञान राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के अधिकारियों ने भी लिया। फ्लाईओवर के निर्माण की यह कमी NHAI के परियोजना निदेशक पंकज मौर्य ने भी मानी। उन्होंने कहा कि इस फ्लाईओवर के पैनल्स आउटसाइड (बाहर की ओर) हो रहे थे। लिहाजा ठेकेदार के खर्चे पर ही अतिरिक्त सुरक्षा के उपाय किये जा रहे है।
परियोजना निदेशक ने यह भी कहा कि जिसने गलती की उससे ही ठीक करवाया जाएगा। परियोजना निदेशक की इस बेबाकी से यह साफ हो गया है कि इस फ्लाइओवर के निर्माण में कहीं न कहीं गंभीर चूक हुई है।
इन दिनों फ्लाई ओवर की एप्रोच वाल व मुख्य सपोर्टिंग दीवार के पैनल (ब्लॉक) पर आर पार सरिए लगा कर सपोर्ट दिया जा रहा है। मशीन के जरिये फ्लाईओवर की दीवारों के पैनल को ड्रिल कर सरिए डाले गए है।
हालांकि,विभागीय सूत्रों का कहना है कि फ्लाईओवर को कोई खतरा नहीं है। पूरी तरह सुरक्षित है। बताया जा रहा है कि सॉइल नैलिंग कर पैनल को रोकने के लिए सरिए डाले गए हैं। लेकिन फ्लाईओवर को लेकर स्थानीय स्तर पर डर व आशंका का माहौल भी देखा जा रहा है। फ्लाईओवर के निर्माण की गुणवत्ता को लेकर आशंकाएं गहराने लगी है।
फ्लाईओवर में ग्राउट किये गए सरिए की फ़ोटो भी लोग सोशल मीडिया में वायरल कर रहे हैं।
हाल ही में इस फ्लाईओवर में यातायात शुरू हुआ है। उस वक्त की तस्वीरों में फ्लाईओवर की किसी दीवार में सरिए नही डाले गए थे। लेकिन बीते कुछ समय से मशीन से ड्रिल कर सरियों को फिट किया गया।
इधर, सूत्रों का कहना है कि फ्लाईओवर की एप्रोच वाल के पैनल खिसकने से गुणवत्ता पर सवाल उठने लगे हैं। अगर एक भी पैनल खिसका तो फ्लाईओवर को भारी नुकसान हो सकता है। सूत्रों के अनुसार सॉइल नैलिंग का काम तब किया जाता है जब पैनल अपकेंद्रीय बल के कारण हिलने लगे। और पैनल्स के बीच गैप आ जाय।
चीफ इंजीनियर एस के बिरला का कहना है कि
फ्लाईओवर को कोई खतरा नहीं है। पूरी तरह सुरक्षित है। दरअसल, फ्लाईओवर की एप्रोच वाल के पैनल अपकेंद्रीय बल centrifugal force के कारण खिसकने व गिरने लगते है। इसी centrifugal force को काउंटर करने के लिए सॉइल नैलिंग की जाती है। फ्लाइओवर में जहां पर कर्व curve या band, मोड़ आता है। वहां पर अपकेंद्रीय बल के कारण पैनल्स अपनी जगह से खिसक जाते हैं। फ्लाईओवर की एप्रोच वाल के अधिक ऊंचा होने के कारण भी ऐसा होता है।
हालांकि, इससे पूर्व देहरादून में बल्लुपुर, बल्लीवाला,आईएसबीटी, मोहकमपुर में फ्लाईओवर बने। लेकिन उनमें कुछ दिन के अंदर ही सॉइल नैलिंग की जरूरत नहीं पड़ी। मियांवाला-हर्रावाला फ्लाईओवर में यातायात शुरू होने के कुछ दिनों के अंदर ही पैनल्स आउटसाइड होने से सवाल उठने तो शुरू हो ही गए हैं।
गौरतलब है कि फ्लाईओवर के मुकम्मल निर्माण की हरी झंडी के बाद ही राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण मियांवाला-हर्रावाला फ्लाईओवर का विधिवत उदघाटन करेगा। फिलहाल तो ठेकेदार को गलती सुधार का मौका दिया गया है। सॉइल नैलिंग यानी सरिए की ठोक पीट के बाद ही निर्माण कार्य को ओके किया जाएगा।
पंकज मौर्य, परियोजना निदेशक, NHAI ने क्या कहा
पैनल्स आउटसाइड (outside) हो रहे थे। लिहाजा अतिरिक्त सुरक्षा के उपाय किये जा रहे हैं। ठेकेदार के खर्चे से ही सॉइल नैलिंग का कार्य किया जा रहा है। जिसने खराब किया वही ठीक करेगा। वैसे खतरे की कोई बात नही है। अभी इस फ्लाईओवर का उदघाटन नही हुआ है। कुछ काम पूरे किए जा रहे हैं। NHAI से डेट मिलने के बाद उदघाटन किया जाएगा। NHAI की ओर से देहरादून – हरिद्वार राष्ट्रीय राजमार्ग पर जारी निर्माण कार्य का प्रोजेक्ट 244 करोड़ का है।
एस के बिरला,चीफ इंजीनियर,(NH ) ने क्या कहा
पैनल को रोकने के लिए सॉइल नैलिंग की जाती है। और मियांवाला-हर्रावाला फ्लाईओवर में भी सॉइल नैलिंग कर रहे है। अंदर की मिट्टी का दबाव कम करने के लिए ऐसा किया जाता है। इसमें 3-3 मीटर के सरिए को ड्रिल कर पैनल में ग्राउट किया जाता है। इसके बाद दोनों तरफ से पेच कस दिए जाते हैं। इसके अलावा पैनल्स (फ्रीकास्ट ब्लॉक) के बीच में टेफ़लोन की टेप लगाया जाता है। यह डिज़ाइन (पहले से तय ) होता है। फ्लाईओवर की मजबूती के लिए ऐसा किया जाता रहा है। इसमें कोई आश्चर्य की बात नही है। फ्लाईओवर को किसी भी प्रकार का खतरा नहीं है।
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