मंत्री यशपाल आर्य की वापसी से बाकी बागियों के लिए खुले कांग्रेस के दरवाजे
अविकल उत्त्तराखण्ड
नई दिल्ली/ देहरादून। पांच साल पहले उत्त्तराखण्ड कांग्रेस में हुई महाटूट के समय से ही यह कयास लगाए जाने लगे थे कि तरह कांग्रेस गोत्र के नेता व भाजपाइयों का रंग एक नहीं हो पायेगा और हुआ भी यही।
भाजपा सरकार के कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य व उनके सुपुत्र विधायक संजीव आर्य की घर वापसी ने पांच साल से उठ रहे कयासों पर मुहर लगा दी।
आर्य की घर वापसी ऐसे समय में भी खास मानी जा रही है जब टीवी चैनल के सर्वे उत्त्तराखण्ड में फिर से भाजपा को पूर्ण बहुमत मिलता दिखा रहे है। बीते कुछ महीनों में एक चैनल के दो सर्वे में भाजपा को दूसरी बार भी सत्ता सौंपी गई।
देखें वीडियो-पूर्व सीएम हरीश रावत के घर पर यशपाल आर्य व संजीव आर्य का हुआ स्वागत
यूँ तो 2017 की प्रचंड मोदी लहर के बाद भाजपा ने 70 की विधानसभा में 57 का आंकड़ा छुआ था। इस लहर में स्वंय तत्कालीन सीएम हरीश रावत दो जगह से चुनाव हार गए थे।
इसके बाद बनी भाजपा की सरकार में कांग्रेसी गोत्र के नेताओं को कैबिनेट में पर्याप्त स्थान दिया गया। लेकिन त्रिवेंद्र काल में ये सभी मंत्री एक सीमा से आगे नहीं बढ़ पाए। कांग्रेस के तमाम दिग्गजों को भाजपा के दिग्गज पचा नही पाए। संगठन से लेकर सरकार तक दोनों गुटों में एक लंबी रेखा हमेशा दिखती रही। मार्च 2021 में त्रिवेंद्र के हटने से पहले तक मंत्री सतपाल महाराज, हरक सिंह रावत, विधायक उमेश शर्मा काऊ, कुंवर प्रणव चैंपियन समेत अन्य नेताओं की भाजपा से खुली जंग के नजारे कई बार देखे गए।
नाराजगी तो यशपाल आर्य भी बहुत थे लेकिन चुप रहे और सम्भवतः कई मामलों में अपमान का घूंट पीकर रह गए। सितम्बर के आखिरी सप्ताह में उनकी इस घुटन का अंदाजा उस समय लगा जब सीएम धामी एक सुबह परिवहन मंत्री के आवास पर अचानक पहुंच गए। लगा कि सब कुछ मैनेज हो गया। लेकिन आर्य घर वापसी का मन बना चुके थे।
बहरहाल, आर्य ने घर वापसी करते हुए जिस तरह अपनी भावनाओं को व्यक्त किया उससे यह बात भी साफ हुई कि भाजपा में आंतरिक लोकतंत्र में कहीं कुछ कमी रह गयी। यह भी कहा कि वे घर वापसी पर बहुत सुकून महसूस कर रहे हैं। इसके अलावा दिल्ली में हुए घर वापसी के कार्यक्रम में जिस तरह कांग्रेस के केंद्रीय व प्रदेशस्तरीय नेताओं ने यशपाल आर्य की खुले दिल से तारीफ की उससे साफ जाहिर हो गया कि पार्टी भाजपा को करारी चोट देने के मूड में है।
छह बार के विधायक, पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष, पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष समेत अन्य महत्वपूर्ण विभागोंकी जिम्मेदारी संभाल चुके यशपाल आर्य के भाजपा छोड़ने से कांग्रेस का मनोबल निश्चित तौर पर बढ़ा दिख रहा है।
हाल ही में पार्टी विधायक राजकुमार, निर्दलीय राम सिंह कैड्डा के भाजपा में शामिल होने के बाद कांग्रेस कैम्प में हलचल मच गई थी। लेकिन आर्य के आने के बाद पार्टी के दलित फार्मूले पर और पंख लगने की उम्मीद जग गई है।
आने वाले दिनों में दोनों ही दल की सेंधमारी की कुछ और झलक देखने को मिलेगी। आर्य की वापसी में उभरा हरीश का यह लचीलालन बरकरार रहा तो कांग्रेसी गोत्र के कुछ और नेता निकट भविष्य में घर वापसी कर सकते हैं। नवरात्र में शुरू हुई कांग्रेस के घर वापसी को मुहिम और भी परवान चढ़ने की उम्मीद है।
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ब्रेकिंग- मंत्री यशपाल आर्य की विधायक पुत्र संजीव के साथ कांग्रेस में वापसी
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