दोनों नेताओं की नाश्ते की टेबल पर हुई गुफ्तगू
अविकल उत्त्तराखण्ड
देहरादून। उत्त्तराखण्ड विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा-कांग्रेस में जारी तोड़ फोड़ का खेल निराले व रोचक मोड़ पर पहुंचता दिखाई दे रहा है। भाजपा व कांग्रेस के नेताओं के बीच एक दूसरे दल में अफरा तफरी व भूचाल ला देने वाले बयान जारी है।
भाजपा सांसद अनिल बलूनी ने कांग्रेस के अंदरूनी हालात पर टिप्पणी कर हलचल मचा दी थी कि भाजपा जल्द ही हाउस फुल का बोर्ड लगाने वाली है। उधर, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने 15 दिन के अंदर उलट पुलट का दावा ठोक दिया।
इधर, बीते काफी दिनों से भाजपा में शामिल हुए कांग्रेसी गोत्र के नेताओं की घर वापसी की चर्चाओं ने जोर पकड़ा हुआ है। खुफिया सूत्रों की भी खबर है कि इन नेताओं की जल्द ही कांग्रेस में वापसी हो सकती है।
कांग्रेस की हालिया परिवर्तन रैली के पॉजिटिव रुझान के बाद तो इन चर्चाओं को और भी बल मिला। इस संकट की आहट पाते ही व दिल्ली से मिल रहे इनपुट के बाद सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कमान अपने हाथ में लेते हुए पुराने कांग्रेसियों की थाह लेनी शुरू की।
इस मिशन के तहत सीएम पुष्कर सिंह धामी शनिवार को एकाएक कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य के आवास पर सुबह 9 बजे पहुंच गए। सीएम के अचानक आ जाने से यशपाल आर्य भी आश्चर्य में पड़ गए। दोनों ने साथ साथ नाश्ता किया। और चाय की चुस्कियों के बीच बन्द कमरे में लगभग 1 घण्टे तक लंबी वार्ता की। इस दौरान कोई दूसरा शख्स मौजूद नहीं था।
बाद में सीएम ने कहा कि छात्र राजनीति के दिनों से ही उनका यशपाल आर्य जी से व्यक्तिगत सम्बन्ध रहे है। वे उनसे शिष्टाचार भेंट करने आये। आर्य जी को कोई गिला शिकवा नहीं है।
जबकि,कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य ने कहा कि सीएम सरकार के मुखिया हैं। आर्य ने किसी भी प्रकार की नाराजगी से इनकार किया। साथ ही यह भी कहा कि राजनीति में इधर उधर जाना लगा रहता है। लेकिन भाजपा छोड़ने की खबरों को महज अफवाह भी करार दिया।
इस मुलाकात के बाद भी अटकलें थमी नहीं है। 2016 में यशपाल आर्य ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा को अपना लिया था। 2017 के चुनाव में यशपाल आर्य बाजपुर व उनके पुत्र संजीव आर्य नैनीताल विधानसभा से चुनाव जीते।
इधर, भाजपा में शामिल कुछ पुराने कांग्रेस नेताओं की घर वापसी की चर्चाओं ने जोर पकड़ा हुआ है। पूर्व सीएम हरीश रावत ने पंजाब की तर्ज पर उत्त्तराखण्ड में भी दलित चेहरे की वकालत तेज कर दी है। उत्तर प्रदेश के जमाने से विधायक रहे यशपाल आर्य की गिनती प्रदेश के वरिष्ठ नेताओं में होती है। राज्य की राजनीति में आर्य एक बड़ा दलित चेहरा भी है। हालांकि यह भी सत्य है कि अपने लंबे राजनीतिक जीवन मे यशपाल आर्य ने कभी भी वर्ग विशेष की राजनीति नहीं की। लंबे समय तक कांग्रेस की रीति नीति से बंधे रहे।
बहरहाल, आने वाले दिनों में प्रदेश की राजनीति में उठापटक तेज होने की पूरी संभावना है। शनिवार की सुबह सुबह सीएम धामी की कैबिनेट मंत्री आर्य के घर पर दस्तक के बाद राजनीति नयी करवट लेती दिखाई दे रही है।
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