पूर्व कांग्रेसी व एक समय हरीश रावत के करीबी रहे भीमताल के निर्दलीय विधायक राम सिंह कैड्डा भी भाजपा में शामिल
भाजपा नेताओं के हक पर बाहरियों ने डाला डाका
समाचार विश्लेषण/अविकल थपलियाल
नई दिल्ली/देहरादून। इधर, देहरादून के गांधी पार्क में कांग्रेसी नेता हरीश रावत व गणेश गोदियाल मौन व्रत धारण किये धरनारत थे और उधर दिल्ली मुख्यालय में भीमताल से निर्दलीय विधायक राम सिंह कैड्डा भाजपा भाजपा का पटका पहन रहे थे। शुक्रवार को उत्त्तराखण्ड में एक और बड़ी राजनीतिक उठापटक हुई।
हाल ही में कांग्रेस विधायक राजकुमार व पुराने उक्रांद नेता व निर्दलीय विधायक प्रीतम सिंह पंवार भी भाजपा की सदस्यता ले चुके है। कुल मिलाकर भाजपा उत्त्तराखण्ड के तीन विपक्षी विधायकों को अपने खेमे में शामिल करवा कांग्रेस को तोड़ फोड़ के मोर्चे पर नयी चुनौती पेश कर रही है।
लेकिन 2016 से भाजपा रणनीतिकारों के इस उठा पटक के खेल व बाहरियों के वेलकम से ‘भाजपा’ खुश नहीं है। पुराने व निष्ठावान कार्यकर्ताओं को 2017 की तरह एक बार फिर 2022 में भी हक़ मारे जाने की चिंता सताने लगी है। इन विधायकों के आने से कई विधानसभा क्षेत्रों में विरोध की आग भी सुलग रही है। 2022 के विधानसभा चुनाव में टिकट कटने के अंदेशा भी है।
दरअसल, 2016 में कांग्रेस में हुई महाटूट के बाद अधिकतर भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं में पहले ही काफी गुस्सा भरा हुआ है। 2017 में प्रचंड जीत के बाद बनी त्रिवेंद्र कैबिनेट के आधे हिस्से पर कांग्रेसी गोत्र के नेताओं का कब्जा हो गया। नतीजतन, कई पुराने व वरिष्ठ नेताओं को कैबिनेट में जगह नहीं मिल पायी। उनकी यह पीड़ा बार बार झलकती रही।
यही नहीं, कांग्रेस संस्कृति में रचे बसे व फ्रंट फुट पर खेलने वाले नेताओं की भाजपा कैडर से बहुत पटी भी नहीं। अक्सर भाजपाई यह कहते सुने गए कि ये मंत्री हमारी कम और अपने पुराने कांग्रेसियों की ज्यादा सुन रहे हैं।
लेकिन केंद्रीय नेतृत्व ने तीनों सीएम त्रिवेंद्र,तीरथ व धामी की कैबिनेट में कांग्रेसी गोत्र के नेताओं का कोटा कम नहीं किया।
एक बार फिर चुनाव से पहले भाजपा हाईकमान एक एक कर जनप्रतिनिधियों को शामिल करने की जुगत में लग गया। इस मिशन में भाजपा को सफलता तो मिल रही है लेकिन टिकट की आस में बैठे पुराने भाजपाई अपने हक पर पड़ रहे सतत डाके को लेकर खुल कर नाराजगी व विरोध भी जता रहे है।
इससे पूर्व, भाजपा केंद्रीय नेतृत्व ने कुछ अन्य राज्यों में भी अन्य दलों में सेंधमारी कर बाहरी नेताओं को तवज्जो दी। नतीजतन, चुनावों में पार्टी का कैडर बाहर नहीं निकला। कुछ कुछ ऐसे हालात उत्त्तराखण्ड में भी बनते नजर आ रहे हैं।
भीमताल से निर्दलीय विधायक रामसिंह, राजकुमार व प्रीतम पंवार की आमद के बाद भाजपा कैडर गुस्से में दिख रहा है। इस समय लगभग डेढ़ दर्जन से अधिक बाहरी नेता लेकिन टिकट के पुख्ता दावेदार भाजपा में शामिल हैं। विधानसभा चुनाव से पहले जारी टिकट की कशमकश के अब नया रूप लेने की भी पूरी संभावना बनती दिख रही है।
इसके अलावा पुराने बागी सूरत राम नौटियाल विनोद कपरवान की भी घर वापसी हो चुकी है। कपरवान तो कुछ महीने पहले ही आम आदमी पार्टी में शामिल हुए थे।
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