देहरादून।
अगस्त के महीने में उत्त्तराखण्ड में चार मुद्दों की गूंज दूर तक सुनायी पड़ रही है।
पहला, भाजपा विधायक महेश नेगी पर शारीरिक शोषण का आरोप। पीड़िता की डीएनए जांच की मांग। बेटी के हक की मांग। पीड़िता पर मुकदमा।विपक्षी दलों का भाजपा पर प्रहार। कांग्रेस के बड़े नेता इस गर्म मुद्दे पर अभी तक सड़क पर नही उतरे। आप पार्टी का जोश दिखा। राजनीति बेहद नाजुक मोड़ पर।
दूसरा, डांस करते हुए और दारू पीकर हथियार लहराकर उत्त्तराखण्ड को गरियाने वाले कुंवर प्रणव चैंपियन की भाजपा में ससम्मान वापसी। वापसी करते हुए चैंपियन को अपना इतिहास भो याद आया। और एक रहस्योद्घाटन किया कि उनकी दादी लैंसडौन के पास के गांव की थी। लिहाजा, वो आधे पहाड़ी पहले से ही हैं।
अभी तक हरिद्वार जिले की लंढौर रियासत के इस फौलादी कुंवर विधायक का इस पहाड़ी रक्त संबंधी इतिहास को कोई नही जानता था। अब इस इतिहास के पता लगने के बाद चैंपियन का जुर्म पहले से लाख गुना बढ़ गया। आधे पहाड़ी बने चैंपियन उत्त्तराखण्ड को यूं ही खूंटे पर नहीं टांका जाता दो चार पेग पीकर। खबरदार…पहाड़ी जाग रहे हैं,,कभी भी हल्ला बोल हो सकता है।
केजरी का चुनावी बिगुल
तीसरी बड़ी खबर यह कि केजरीवाल की आम आदमी पार्टी उत्त्तराखण्ड की 70 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। केजरीवाल के ऐलान के बाद भाजपा की धड़कनों में भारी इजाफा देखा जा रहा है।
लगभग हर मोबाइल पर केजरीवाल का मोबाइल सन्देश से साफ लग रहा कि आप पार्टी उत्त्तराखण्ड को कितनी गंभीरता से ले रही है। पार्टी के पास अभी मुठ्ठी भर कार्यकर्ता है लेकिन भाजपा के दोनों विधायकों महेश नेगी और कुंवर प्रणव चैंपियन के खिलाफ पूरे जोशोखरोश के साथ सबसे पहले अखाड़े में उतर कर कांग्रेस से लीड ले ली।
बलूनी की डिमांड,जावड़ेकर ने कहा OK
चौथी खबर-मंगलवार की देर सांय दिल्ली से वायरल हुए एक वीडियो ने भी माहौल को थोड़ा और दिलचस्प बना दिया। दरअसल, चैंपियन की वापसी का विरोध कर रहे राज्यसभा सदस्य अनिल बलूनी वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के जरिये प्रकाश जावड़ेकर से कुछ अनुरोध करते हैं । अनुरोध थोड़ा लीक से हटकर लगा। कोई राजनीतिक मांग नही बल्कि उत्त्तराखण्ड में IIMC (indian institue of mass communication) विश्वस्तरीय पत्रकारिता संस्थान का कैंपस खोलने की मांग की। जावड़ेकर ने मांग पूरी करने का आश्वासन दिया। ऐसा होने पर उत्त्तराखण्ड से बेहतरीन युवा पत्रकार निकलेंगे।
उत्त्तराखण्ड में सेक्स स्कैंडल, चैंपियन विवाद व केजरीवाल की गूंज के बीच सांसद अनिल बलूनी का लीक से हटकर पत्रकारिता संस्थान की मांग करना व दूसरी तरफ जावड़ेकर का ग्रीन सिग्नल देना एक पॉजिटिव संकेत तो हैं ही। विश्लेषक पत्रकारिता संस्थान के पीछे की राजनीति का कोई छोर पकड़ने की कोशिश में जुटे तो हैं, लेकिन यह बात खोपड़ी में बहुत जोर देने पर भी घुस नही पा रही कि आखिर भरी बरसात में सांसद अनिल बलूनी ने जयपुरी रजाई क्यों ओढ़ा दी बल्ल चैतू…..
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पुरानी आदत है,मुद्दों से ध्यान भटकाने की।यूथ अब तो चेत। चैत….
Dear Good morning….. उच्चस्तरीय पत्रकारों के लिए उच्च स्तरीय संस्थान की आवश्यकता इंगित करती है कि अब ढरे से अलग हटकर ब्यापक सूझ बूझ तकनीक युक्त व शिक्षित पत्रकारों के भरोसे उत्तराखंड के सम्पूर्ण बिकास पर केन्द्रित राजनीति को ही तरजीह मिलेगी । इसके लिए हाईकमान से सहमति भी ले ली गई है । इसका सीधा सीधा मतलब……………