राजनीति- कांग्रेस ने एक ही टोकरी में रख दिये सारे अनार

कुमाऊं की झोली झकाझक, गढ़वाल साफ

आर्य, करण व कापड़ी सभी कुमाऊं से

हरीश गुट ने प्रीतम का रास्ता रोक आर्य को आगे बढ़ाया

अविकल थपलियाल

देहरादून। हर वक्त राजनीतिक संतुलन पर विशेष जोर देने वाली पार्टी कांग्रेस ने इस बार असंतुलन की कहानी लिख हार से निराश कार्यकर्ताओं को भड़कने का मौका दे दिया।

रविवार को कांग्रेस ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष, नेता प्रतिपक्ष व उप नेता के तीनों पद कुमाऊं के खाते में लिख दिए। विधानसभा चुनाव से पूर्व तक गढ़वाल से प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल व नेता विपक्ष प्रीतम सिंह अपनी भूमिका निभा रहे थे। लेकिन हार की समीक्षा के बाद हुए बदलाव में गढ़वाल को पूरी तरह साफ कर दिया गया।

नये नेता विपक्ष यशपाल आर्य

छह बार विधानसभा चुनाव जीत चुके प्रीतम सिंह को नेता विपक्ष जा स्वाभाविक दावेदार माना जा रहा था। लेकिन चुनाव से ठीक पहले  कांग्रेस में वापसी कर बाजपुर से चुनाव जीतने वाले यशपाल आर्य को नेता विपक्ष की जिम्मेदारी सौंप दी गयी। यह पूर्व सीएम हरीश रावत की जीत मानी जा रही है। आर्य को आगे कर हरीश रावत  ने प्रीतम सिंह को किनारे कर दिया।

हालांकि, कांग्रेस नेतृत्व ने रानीखेत से विधानसभा चुनाव हारे युवा करण मेहरा को प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी सौंप अप्रत्याशित फैसला किया है। युवा करण मेहरा विधानसभा में पार्टी के उपनेता भी रहे हैं।

सीएम पुष्कर सिंह धामी को खटीमा में चुनाव हारने वाले भुवन कापड़ी को इनाम के तौर पर डिप्टी लीडर की कुर्सी दी गयी है। कापड़ी अभी तक पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष की भूमिका में थे।

नयी जिम्मेदारी -प्रदेश अध्यक्ष करण मेहरा

नयी टीम में प्रीतम सिंह को बाहर किये जाने के अलावा गणेश गोदियाल को भी कुछ नही दिया गया। चुनाव परिणाम के बाद प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी से इस्तीफा देने वाले गोदियाल ने हाल ही में दिल्ली में केंद्रीय नेताओं से मुलाकात भी की थी। गोदियाल को प्रदेश अध्यक्ष बनाने में हरीश रावत की प्रमुख भूमिका रही थी। इस चुनाव में श्रीनगर विधानसभा से मामूली अंतर से चुनाव हार गए गोदियाल को रिपीट नहीं किया जाना भी चर्चा का विषय बना हुआ है।

इधर, पार्टी के अंदर एक गुट ने आर्य की ताजपोशी पर भी निशाना साधना शुरू कर दिया है। 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस छोड़ भाजपा में चले जाना और फिर 2022 के चुनाव से पहले फिर से कांग्रेस में आ जाना, और फिर नेता प्रतिपक्ष बन जाना। यह सब पुराने कांग्रेसियों को काफी पीड़ा दे रहा है।

हालांकि, कांग्रेस की नयी टीम में ब्राह्मण, ठाकुर व दलित का मिश्रण किया है लेकिन क्षेत्रीय संतुलन को नहीं साध पायी। गढ़वाल से प्रीतम सिंह व गोदियाल को किनारे कर पार्टी के अंदर नयी जंग शुरू ही गयी है।

सीएम को हराने के मिला ईनाम -मये उपनेता भुवन कापड़ी

गुटीय संतुलन के हिसाब से भुवन कापड़ी व करण मेहरा को प्रीतम गुट के करीब समझा जाता है जबकि यशपाल आर्य को हरीश रावत का निकट। चुनाव के दौरान हरीश रावत दलित को सीएम बनाने की वकालत करते हुए भी नजर आए।

आने वाले पंचायत, निकाय व 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के इस फैसले की काली छाया पड़ने की संभावना अभी से जतायी जाने लगी है।

इस विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को गढ़वाल से 8 व कुमाऊं से 11 सीट मिली। खराब चुनावी नतीजों के बाद कांग्रेस ने काफी मंथन के बाद युवा व अनुभव को तरजीह देते हुए नयी टीम का गठन किया है। लेकिन एक ही बास्केट में सारे अनार रखने से झगड़े की पूरी गुंजाइश भी छोड़ दी है।

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अध्यक्ष करण मेहरा व नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य

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