पूर्व विधानसभाध्यक्ष यशपाल आर्य व गोविंद सिंह कुंजवाल ‘अपनों’ के बीच घिरे
अविकल उत्तराखंड
देहरादून। उत्तराखंड के भर्ती घोटाले को लेकर भाजपा के अंदर तो ‘खेल’ चल ही रहा है लेकिन इस शर्मनाक भर्ती घोटाले की आड़ में कांग्रेस के अंदर भी एक दूसरे को ‘निपटाने’ का खेल भी जोरों से चल रहा है।
कांग्रेस के नेताओं के बीच इस मुद्दे पर अंदरखाने खूब घमासान मचा हुआ है। प्रदेश अध्यक्ष करण मेहरा व पूर्व नेता प्रतिपक्ष व प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह तीर पर तीर चला रहे हैं। इन तीरों से कांग्रेस के अपने ही खूब लहूलुहान हो रहे हैं।
वैसे तो यह दोनों नेता सीबीआई जॉच व साल 2000 से विधानसभा में हुई नियुक्तियों को लेकर सीधे तौर पर भाजपा को निशाने पर ले रहे हैं। लेकिन आरोपों की बौछार के कई काले – नीले – पीले छींटे पूर्व विधानसभाध्यक्ष गोविन्द सिंह कुंजवाल व यशपाल आर्य के दामन पर भी पड़ रहे हैं।
पूर्व नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह ने तो सूचना के जन अधिकार के तहत विधानसभा में राज्य गठन से अब तक हुई नियुक्तियों का ब्यौरा मांगा है। और अब उनका यह बयान भी सामने आ रहा है कि उन्हें अभी तक RTI के तहत सूचना नहीं दी गयी।
चूंकि 2002 से 2007 तक विधानसभाध्यक्ष रहे यशपाल आर्य के कार्यकाल में भी 105 लोगों को नियुक्ति दी गयी। और 2012 से 2017 के बीच गोविन्द सिंह कुंजवाल ने 150 लोगों को नौकरी दी।विधानसभा बैकडोर भर्तियों को लेकर गठित जांच समिति दो चरणों में पूरे 22 साल की भर्ती प्रक्रिया की जांच कर रही है।
बीते कुछ महीनों में कांग्रेस की राजनीति में फेरबदल हुआ। और कांग्रेस नेतृत्व ने नया प्रदेश अध्यक्ष व नया नेता प्रतिपक्ष मनोनीत किये। विधानसभा चुनाव के रिजल्ट के बाद भाजपा से लौटे यशपाल आर्य को नेता प्रतिपक्ष की अहम कुर्सी सौंपी गई। और गणेश गोदियाल की जगह करण मेहरा को नया प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया। इससे भी अंदरूनी कशमकश तेजी से परवान चढ़ी।
यशपाल आर्य से पूर्व नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी प्रीतम सिंह संभाल रहे थे। 2022 में चकराता से एक बार फिर कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीते प्रीतम सिंह को फिलहाल पार्टी ने किसी बड़ी जिम्मेदारी से अलग रखा हुआ है। यह मुद्दा भी पार्टी के अंदर ही अंदर उबल रहा है। और इसीलिए भर्ती घोटाले में कांग्रेसी ही खूब ‘तड़का’ लगा रहे हैं।
यही नहीं, पूर्व सीएम हरीश रावत के खास गोविन्द सिंह कुंजवाल भी पहले दिन से ही निशाने पर हैं। 2012 से 2017 के बीच कुंजवाल ने भी 150 लोगों को बैकडोर से नियुक्ति दी। अपने करीबी रिश्तेदारों के अलावा कई अन्य वीआईपी को भी उपकृत किया। 2017 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले यह नियुक्तियां भी चर्चा का विषय बनी थी।
भर्ती घोटाले को लेकर पूर्व सीएम हरीश रावत,नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य, गोविन्द कुंजवाल, प्रदेश अध्यक्ष करण मेहरा व विधायक प्रीतम सिंह के बीच अंदरखाने चल रही 56 छुरियां राजनीतिक हलकों में चर्चा का मुद्दा बनी हुई है।
अब नये सिरे से उठे इस भर्ती तूफान में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करण मेहरा ने खुल कर मोर्चा खोला हुआ है। देर से ही सही लेकिन कुछ दिन पहले करण मेहरा ने विधानसभा भर्ती घोटाले की जांच हाईकोर्ट के जज से कराने की मांग की। उनका तर्क है कि पूर्व आईएएस अधिकारियों (कार्यपालिका) की जांच समिति कैसे विधायिका (विधानसभा) के निर्णयों की जांच कर सकती है।
सीबीआई जांच की मांग के बाद करण मेहरा की इस नयी मांग का जांच के अंतिम चरण में कोई बहुत अर्थ नहीं रह गया। लेकिन पूर्व सीएम हरीश रावत के पाले में खड़े नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य व गोविन्द सिंह कुंजवाल के बतौर विधानसभाध्यक्ष की गई नियुक्तियों की सच्चाई भी जनता के सामने आई चाहिए। कांग्रेस के प्रदेशस्तरीय बड़े नेता इस विचार के पक्ष में डट कर खड़े दिखाई दे रहे हैं। और दूध का दूध और पानी का पानी कर ‘अपनों’ की कुर्सी भी हिला रहे हैं…
विधानसभा में राज्य गठन के बाद की गयी 480 नियुक्तियां
प्रकाश पंत – 98- भाजपा की अंतरिम सरकार राज्य गठन 9 nov 2000 से मार्च 2002 तक
यशपाल आर्य -105- कांग्रेस सरकार 2002- 07
हरबंस कपूर – 55 – भाजपा सरकार- 2007-2012
गोविन्द सिंह कुंजवाल- 150- कांग्रेस सरकार- 2012- 2017
प्रेमचन्द अग्रवाल – 72- 2017 -2022
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